औरतों के अर्धनग्न शरीर को दिखा के ये बॉलीवुड क्या सबित करना चाहता है ?
रिपोर्ट: गेटी भाव्या
क्या बॉलीवुड युवाओं को गलत राह पर ले जा रहा है ?
आज के समाज को बिगाड़ने में सबसे बड़ा हाथ रहा बॉलीवुड का, आज कल के युवाओं के दिमाग में अश्लीलता भरने के लिए क्या बॉलीवुड का कसुरवार है , बेरोजगारी के बढ़ने में सबसे बड़ा कारन बॉलीवुड के गिरे हुए कंटेंट हैं
औरतों के अर्धनग्न शरीर को दिखा के ये बॉलीवुड क्या सबित करना चाहता है आखिर इनका मकसद क्या है, अपनी संस्कृति को भूल गया है बॉलीवुड और युवा भी ऐसी फिल्में देख कर गलत राह अपना रहे हैं
चलिये आज हम बात करते हैं उस रास्ते की जो दादा साहेब फाल्के ने सन 1913 में फिल्मों की बड़े अरमानी से शुरुआत की थी फिल्म राजा हरिश्चंद्र से जहां से कि हिंदुस्तान में फिल्मों की शुरुआत हुई। जहां पहले तो इसे बहुत नजरंदाज किया गया लेकिन धीरे धीरे लोगो की इसमें रुचि आने लगी, एक कहानी जो दृश्य के मध्यम से दरसाई जा रही थी वो जनता को लोभीत तो करती ही। मगर साथ ही में उस समय की कहानियां काफी समाज को आगे बढ़ाने का दावा रखती थी जैसे कि मदर इंडिया, हम साथ साथ है, शोले, आनंद आदि । इतना ही नहीं उन दिनों की फिल्में आगे बढ़ने की, परिवारिक रहने की प्रेरणा भी देती थी। ये बात हमारे बड़े बुजुर्ग के भी मुंह से आपने सुना होगा।
वही आज कल ऐसी कई फिल्में है जो युवाओं को प्रेरित कर रही हैं बुरे कामों के लिए, अश्लीलता के तरफ आकर्षित कर रही हैं, रेप, खून, चोरी ये सब काफी आम हो गया आजकल के जमाने में और इसके पीछे कहीं ना कहीं फिल्में बहुत बड़ा कारण हैं । कबीर सिंह, रेस, मिर्जापुर, मनी हीस्ट जैसी फिल्में आजकल के युवाओं पर काफी गहरा असर डाल रही हैं। युवाओं को अधनग्न लड़की, गाली व मर्डर पसंद आ रहे हैं, जो कि एक घिनौने समाज की शुरुआत हो रही है
ना जाने ऐसे कितने अंधविश्वास फिल्मों ने बनाए हैं इस समाज को वो हकीकत से दूर कर हैं । आजकल के ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया भी फिल्मों के प्रभाव में आ गए हैं। कुछ पैसों की लालच में फिल्म प्रड्यूसर और एक्टर्स एक्ट्रेस अपने आप को तो बेच ही रहे हैं साथ ही समाज को भी दूषित कर रहे हैं