क्या 2024 के चुनाव का सेमीफइनल पटना से होगा तय
रिपोर्ट :- प्रज्ञा झा
2024 के चुनाव के लिए जो छवि दिखनी मुश्किल नज़र आ रही थी वो अब साफ हो रही है | यानि विपक्षी पार्टियों का एक जुट होना | देश में केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्षी पार्टियों का जो मोर्चा खुला था वो अभी तक एक जुट नहीं हो पा रहा था लेकिन अब शायद विपक्षी पार्टियों के खेमें में हलचल होती नज़र तो आ रही है | 12 जून को सभी विपक्षी दलों की रैली पटना में होने वाली थी लेकिन कई बड़े नेताओं का बाहर जाने का कार्यक्रम होने के कारण ये बैठक टल गयी और अब ये रैली 23 जून को पटना में होने वाली है | जिसे देखते हुए ये लग रहा है की आने वाले समय में पटना देश की राजीनीति में बड़ा बदलाव कर सकती है | इस पूरे रैली में कई बड़े नेताओं को आमंत्रण दिया गया है | जैसे सपा नेता अखिलेश यादव, दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल , कांग्रेस नेता राहुल गाँधी और अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे , महाराष्ट्र पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री MK स्टालिन, झारखंड के मुख्यमत्री हेमंत सोरेन और वेस्ट बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे कई बड़े नेता शामिल हैं |
पटना का इतिहास के पन्नों में बड़ा जिक्र किया गया है और राजनीती में भी पटना ने बहुत महवपूर्ण बदलाव किए हैं | 1974 में जब समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण ने जून के महीने में ही उस समय के इंदिरा गाँधी सरकार के खिलाफ रैली की , तो तीन दशकों से काबिज़ कांग्रेस सरकार को चंद मिनटों में उखाड़ दिया |1965 में जब राम मनोहर लोहिया ने पटना में राजनितिक बदलाव का आगाज़ किया तो पटना विपक्षी दलों के लिए विरोध का केंद्र बन गया | इसके बाद कांग्रेस की सरकार 9 राज्यों से चली गयी |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पटना से हुंकार की रैली कर , प्रधानमंत्री के पद तक का सफर तय कर पाए हैं | यानि 23 अक्टूबर 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाँधी मैदान में हुंकार की रैली की जिसे नितीश कुमार में “हुंकार की नहीं अहंकार की रैली ” बता कर विरोध किया था, लेकिन अभी जो हालत हैं उसे हम देख सकते हैं |
ऐसी कई कहानिया इतिहास में बंद है और पटना हमेशा से ही राजनीती को बदलने और चलने का केंद्र है | तो क्या 23 जून को होने वाली रैली 2024 का सेमीफइनल तय करेगा |