Wednesday, April 17, 2024
DELHI/NCR

क्यों हो रहे हैं हिंदू धर्म की शोभायात्राओं पर हमले? जानिए जहांगीरपुरी हिंसा का पूरा सच !

रिपोर्ट- भारती बघेल

हिंदू धर्म से जुड़ी शोभा यात्राओं पर हमले का क्रम देश की राजधानी दिल्ली तक पहुंच गया है। जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती की शोभायात्रा पर भीषण हमला और आगजनी ठीक वैसे ही है जो हम मध्य-प्रदेश के खरगोन से लेकर गुजरात के खंभा और राजस्थान के करौली तक देख चुके हैं। दिल्ली, गुजरात, झारखंड, बंगाल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में हुई इन हिंसक घटनाओं के बीच कुछ समानताएं दिखाई दे रही हैं। जैसे पहले शोभा यात्रा पर हमला। वैसे भी पेट्रोल बम, तलवार, पिस्तौल के साथ अनगिनत पत्थरों, कांच की बोतलों का चलना, लक्षित आगजनी आदि अचानक नहीं हो सकती।

हिंसा का भयावह सच वीडियो और सीसीटीवी फुटेज में साफ दिख रहा है। दिल्ली का वीडियो देखें। इसमें शोभायात्रा में लोग गाते, नारा लगाते चल रहे हैं। अचानक उन पर भारी संख्या में लोग हमला कर देते हैं। जितनी संख्या में हिंसा करते लोग दिख रहे हैं। वह एकाएक इकट्ठे नहीं हो सकते। जाहिर है सब सुनियोजित तरीके से किया गया। और पहले से पूरी तैयारी थी। तो यह कौन है? जिन्होंने देशव्यापी हिंसा की साजिश रच कर उन को अंजाम तक पहुंचाने में सफलता पाई। इसका एक उत्तर गुजरात के आनंद जिले के खंभात इलाके में 5 अप्रैल को एक धार्मिक जुलूस पर हुए हमले के आरोप में पकड़े गए लोगों से पूछताछ के बाद मिल रहा है।

गिरफ्तार लोगों से पता चला है कि उस हिंसा के पीछे मौलवी रजक पटेल था। मौलवी रजक घटना को अंजाम देने के लिए जिले के बाहर और कुछ विदेशी लोगों से आवश्यक धन की व्यवस्था को लेकर भी संपर्क में था। जैसे ही उसे पता चला कि रामनवमी जुलूस की अनुमति मिल गई है, तो उसने 3 दिन के भीतर पूरी व्यवस्था कर ली। जाहिर है तैयारी पहले से हो रही होगी। कब्रिस्तान से पत्थर फेंकने की योजना इसलिए बनाई गई ताकि पत्थरों की कमी ना पड़े।

अभी तक की छानबीन का निष्कर्ष है कि इन लोगों ने देश में शोभा यात्राओं में हिंसा इसलिए की, ताकि हिंदुओं के अंदर भय पैदा हो। और वह आगे से यात्रा ना निकालें। यह मानसिकता जुनूनी मजहबी घृणा से ही पैदा होती है। और विश्व स्तर पर यह जिहादी आतंकवाद के रूप में हमारे सामने हैं। जिस तरह से कोई आतंकी मॉड्यूल योजना बनाकर हमला करता है। लगभग वैसा ही तौर तरीका इनका भी है। यानी पहले बैठकर तय करना कि शोभा यात्राओं को कहां-कहां किस तरह निशाना बनाना है। उस पर चर्चा करना। योजना बनाना उन्हें अंजाम देने के लिए संसाधन जुटाना। मुख्य लोगों को तैयार करना, या बाहर से बुलाना। आम लोगों को भड़का कर इसके लिए तैयार करना। शोभायात्रा आने के पहले ही घात लगाकर बैठना। और अचानक हमला कर देना।

इन हमलों के संदेश क्या हैं? आमतौर पर माना जाता है कि केंद्र से लेकर अनेक राज्यों में भाजपा की सरकारों के कारण जिहादी और सांप्रदायिक तत्व कमजोर पड़ गए हैं। वे बड़ी साजिशों को सफल नहीं कर पा रहे। आतंकी हिंसा को अंजाम देने वाली ताकतें भी निराश हैं। इस कारण सीधे आतंकवादी हमले करने की जगह इन शक्तियों ने तरीका बदलने की शुरुआत की है। आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के विकल्प के तौर पर इस प्रकार की एकपक्षीय हिंसा और दंगा हमारे लिए नई चुनौती बनकर सामने आई हैं।

राष्ट्रव्यापी साजिश रचने के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठनों का हाथ होने की बात सामने आ रही है। पीएफआई पहले से सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। इसके बावजूद यह संगठन एक पक्षीय सांप्रदायिक हिंसा की साजिशों को अंजाम देने में सफल हो गया। क्या उसकी गतिविधियों पर नजर रखने में हाल के महीनों में ढिलाई बरती गई? वास्तव में इन घटनाओं की सीख यह है कि केंद्र और राज्य सरकारें तथा सभी सुरक्षा एजेंसियां देश विरोधी जिहादी ताकतों को लेकर सतर्कता में जरा भी ढिलाई ना बरतें। उत्तर प्रदेश जैसे संवेदनशील राज्य में रामनवमी के जुलूस 800 स्थानों से निकले। लेकिन कहीं हिंसा की घटना नहीं हुई। अगर वहां हिंसा करने में कामयाब नहीं हुए तो इसके पीछे सख्त सुरक्षा व्यवस्था के साथ यह भी मुख्य कारण रहा कि अगर पकड़े गए तो उनके सहित परिवारों और रिश्तेदारों तक के खिलाफ पुलिस प्रशासन किसी भी सीमा तक जा सकता है।

घटना के बाद मध्य प्रदेश सरकार भी उन लोगों की संपत्तियां बुलडोजर से ध्वस्त करवा रही है, जिनके चेहरे साफ तौर पर वीडियो फुटेज में दिख रहे हैं। इससे वहां भी भय पैदा हुआ है। आगे इसका असर होगा। धार्मिक आयोजनों पर हमले और बाद में हिंसा को अंजाम देने वाले आतंकवादी ही हो सकते हैं। उनके साथ उसी तरह की कार्यवाही होनी चाहिए।

विडंबना देखिए कि देश के सेक्यूलरवाद और लिबरलवाद का झंडा उठाए कुछ लोगों के मुंह पर ताले लगे हुए हैं। यही हिंसा मुस्लिम धार्मिक जुलूस पर होती तो तूफान खड़ा हो चुका होता। संभव है टूल किट भी बन जाती। और दुनिया भर में प्रचार होता कि भारत में फास्टेस्ट शक्तियों का राज आ गया है। जो हिंदू धर्म के अलावा हर मजहब को हिंसा की बदौलत नष्ट करना चाहते हैं। जो भी हो हम सब को इन घटनाओं के बाद ज्यादा गहराई से अपने विचार और व्यवहार पर विचार करने की आवश्यकता है। अच्छा होगा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी कि एनआईए को संपूर्ण हिंसा की जांच सौंप दे। ताकि राष्ट्रव्यापी साजिशों का पता चल सके।

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