स्वामिनारायण अक्षरधाम में “गुरुहरि वंदना” समारोह, अक्षरधाम मंदिर में हजारों भक्तों ने किया गुरुपूजन !
Written By : News Desk ( National Khabar )
दिल्ली स्थित स्वामिनारायण अक्षरधाम में “गुरुहरि वंदना” समारोह भक्तिभाव पूर्वक संपन्न हुआ I
बोचासणवासी श्री अक्षरपुरुषोत्तम स्वामिनारायण संस्था (बी.ए.पी.एस.) के अध्यक्ष और गुरु परम पूज्य महंतस्वामी जी महाराज के दिव्य सान्निध्य में वैदिक विधि द्वारा सम्पूर्ण गुरु परंपरा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई I इस अवसर पर दिल्ली के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पुणे से पधारे श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित हुए I
विश्ववन्दनीय गुरु महंतस्वामी महाराज की 91वीं जन्म जयंती का यह प्रतीकात्मक समारोह दिल्ली के भक्तों ने भव्यता और दिव्यता से मनाया I
स्वामीजी, दिनांक 13 सितम्बर को अपनी आयु के 92 वर्ष में प्रवेश करेंगे I अनुयायिओं ने आज इसे “गुरुहरि वंदना” समारोह के रूप में मनाया ! संस्था के वरिष्ठ संतो ने भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में गुरु महिमा के महत्त्व पर प्रवचन प्रस्तुत किये I पूज्य श्रुतिप्रियदास स्वामी जी ने ‘लौकिक विषयों के प्रति अनासक्ति’ पर अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि “महंत स्वामी महाराज के जीवन में भगवान ही सर्वस्व है I वे सभी लौकिक पदार्थों और पञ्च विषयों से अनासक्त है “ I
आधुनिक दौर में द्वंदों के मध्य स्थिर रहने का मार्ग बताते हुए पूज्य ब्रह्म्वत्सलदास स्वामी ने कहा कि “सुख–दुःख,मान-अपमान,जय-पराजय मानव जीवन के अभिन्न अंग है I
इन सभी परिस्थितियों में सम रहने की प्रेरणा महंत स्वामीजी से प्राप्त होती है I वे सदा स्थिर रहते हैं और भक्तों को भी स्थिर रखते है “ I गुरु के प्रति दासत्व भक्ति ही मोक्ष का मार्ग है, ऐसा कहते हुए पूज्य संतचरित स्वामी ने गुरुजी की भगवान के साथ तल्लीनता के प्रसंग सुनाये I सभी प्रवचनों से स्वामीश्री की अखंड ब्राह्मी स्थिति का बोध हुआ I
संस्था के वरिष्ठ सतगुरु संत, पूज्य विवेकसागर स्वामी जी तथा पूज्य ईश्वरचरण स्वामी जी ने महंत स्वामी महाराज की महिमा के अनेक उदाहरण देते हुए उनके अक्षरब्रह्म स्वरूप का परिचय दिया I
बाल-युवावृंद ने रोचक संवाद, भक्तिमय कीर्तन तथा ऊर्जावान नृत्य द्वारा अपने गुरु के प्रति अगाध स्नेह अंजलि को अर्पण किया I चलचित्र के माध्यम से महंत स्वामी महाराज की जीवन गाथा का प्रस्तुतीकरण हुआ I उनके दिव्य, करुणामय, भक्तियुक्त, निर्माणी भाव और शालीन व्यक्तित्व को सभी ने वास्तविक घटनाओं के माध्यम से देखा I
इस अवसर पर परम पूज्य महंतस्वामी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि “स्वामिनारायण भगवान ने मुमुक्षों पर अपार कृपा करते हुए इस पृथ्वी पर केवल जीवों के कल्याण हेतु पधारे I
अपने इस कार्य को उन्होंने अपने बाद गुणातीत संत के माध्यम से जारी रखा है I भगवान स्वामिनारायण के धारक सत्पुरुष का प्राकट्य सदैव इस पृथ्वी पर रहेगा I”