
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के चर्चित निर्देशक पार्थो घोष का आज निधन हो गया। बताया जा रहा है कि मुंबई स्थित उनके घर पर उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके चलते उन्होंने अंतिम सांस ली। एक्ट्रेस ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने सोशल मीडिया के ज़रिए इस दुखद खबर की पुष्टि की है।
मनोरंजन डेस्क | नेशनल खबर
Partho Ghosh Death:
हिंदी सिनेमा के जाने-माने निर्देशक पार्थो घोष का सोमवार को निधन हो गया। सुबह मुंबई के मढ़ आइलैंड स्थित उनके घर पर उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उनका निधन हो गया। 75 वर्षीय पार्थो घोष के निधन की खबर से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई है। एक्ट्रेस ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने सोशल मीडिया पर भावुक श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “बहुत दुखी हूं। हमने एक शानदार फिल्ममेकर और एक बेहद नेक इंसान को खो दिया। पार्थो दा, आपका सिनेमाई योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।”
पार्थो घोष: हिंदी फिल्मों के एक मेहनती डायरेक्टर का आखिरी अलविदा
साल 1993 में फिल्म ‘दलाल’ की सफलता के बाद पार्थो घोष ने खुद को एक सफल फिल्म निर्देशक के रूप में स्थापित किया। लेकिन उनके करियर की शुरुआत 1985 में एक असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में हुई थी। अपनी कड़ी मेहनत और जुनून के दम पर उन्होंने इंडस्ट्री में खास पहचान बनाई। 1991 में आई थ्रिलर फिल्म ‘100 डेज’ उनकी पहली सुपरहिट फिल्म रही, और 1992 में दिव्या भारती के साथ बनाई गई ‘गीत’ ने भी दर्शकों का दिल जीता।
हालांकि उन्हें असली पहचान 1993 की फिल्म ‘दलाल’ से मिली, लेकिन 1996 में रिलीज हुई ‘अग्नि साक्षी’ ने उन्हें एक गंभीर फिल्मकार के तौर पर स्थापित किया। इस फिल्म में घरेलू हिंसा जैसे संवेदनशील मुद्दे को बेहतरीन ढंग से दिखाया गया था।
हर जॉनर में दिखाया निर्देशन का दम
अपने करियर में पार्थो घोष ने थ्रिलर, रोमांस, ड्रामा और एक्शन जैसे कई शैलियों में 15 से अधिक फिल्में बनाई। ‘तीसरा कौन?’, ‘गुलाम-ए-मुस्तफा’, ‘युगपुरुष’ और ‘एक सेकंड… जो जिंदगी बदल दे?’ जैसी फिल्मों से उन्होंने अपनी विविध सोच और सिनेमाई दृष्टिकोण को दर्शाया।
साल 2018 में उन्होंने ‘मौसम इकरार के दो पल प्यार के’ के ज़रिए वापसी की। भले ही यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन इससे यह जरूर झलका कि सिनेमा के प्रति उनका प्यार कभी कम नहीं हुआ।
उनकी मृत्यु फिल्म जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। इंडस्ट्री आज एक ऐसे निर्देशक को खो चुकी है, जिसने हर फ्रेम में अपनी ईमानदारी और समर्पण को जिया।