
जामुन एक औषधीय गुणों से भरपूर फल है (Jamun Ayurvedic Benefits)। मधुमेह नियंत्रण में इसकी भूमिका तो मशहूर है, लेकिन आयुर्वेद में इसे कई और बीमारियों के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है। आइए, जानें इसके बारे में।
Written by Himanshi Prakash, National Khabar
प्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रंथ प्रकाश निघंटु में जामुन को फलेंद्र, नदी और सुरभिपत्र के नामों से उल्लेखित किया गया है। डॉ. आर. वात्स्यायन (संजीवनी आयुर्वेदशाला, लुधियाना) बताते हैं कि संस्कृत में इसे जंबूफल कहा जाता है। प्राचीन आचार्यों ने जामुन को स्वादिष्ट, भूख बढ़ाने वाला, रक्त को शुद्ध करने वाला और प्यास को शांत करने वाला बताया है।
जामुन क्यों है फायदेमंद?
जामुन की छाल में कटु रस और स्तंभक गुण पाए जाते हैं, जो इसे औषधीय रूप से बेहद असरदार बनाते हैं। इसके नियमित सेवन से कमजोर मसूड़ों को मजबूती मिलती है और मुंह की दुर्गंध दूर होती है। जामुन के फल में ऑक्जैलिक और टैनिक एसिड के अलावा भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स, मिनरल्स और विटामिन मौजूद होते हैं। इसका पका हुआ फल पाचन को दुरुस्त रखने और दिल की सेहत के लिए भी लाभकारी माना जाता है। जामुन से तैयार सिरका भी इसी तरह के गुणों से भरपूर होता है।
ग्रामीण भारत में उल्टी की समस्या होने पर जामुन के फल का करीब दो चम्मच रस मरीज को देने की परंपरा है। इसी तरह, नकसीर फूटने पर भी इसका उपयोग कई जगहों पर किया जाता है। जामुन की सूखी छाल और कुटज की सूखी छाल को बराबर मात्रा में पीसकर तैयार किए गए चूर्ण की एक-एक ग्राम की दो खुराक सुबह-शाम शहद के साथ देने से अल्सरेटिव कोलाइटिस और रक्तातिसार (खूनी दस्त) में बहुत अच्छा लाभ होता है। इससे बार-बार शौच जाने की समस्या भी नियंत्रित हो जाती है।
जामुन के पत्तों और बादाम के छिलकों को बराबर मात्रा में लेकर जलाकर बनाई गई राख दांतों और मसूड़ों की कमजोरी व पायरिया में काफी लाभकारी होती है। अगर मुंह से दुर्गंध आ रही हो, तो इसमें थोड़ा पिपरमिंट मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारतीय परंपरा में जामुन की गुठली का इस्तेमाल मधुमेह (डायबिटीज़) में किया जाता है। इसके लिए जामुन की गुठली का चूर्ण एक से दो ग्राम की मात्रा में, अकेले या किसी अन्य मधुमेह-निरोधक औषधि के साथ लिया जाता है। इससे रक्त शर्करा का स्तर कम होता है और बार-बार पेशाब जाने जैसी समस्या में भी राहत मिलती है।
हालाँकि, ध्यान रखें कि जामुन के कच्चे या पके फलों का जरूरत से ज्यादा सेवन करने पर कई बार पेट में जलन, गैस और अपच जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में भुना हुआ जीरा (एक ग्राम) और सैंधा नमक (आधा ग्राम) मिलाकर लेने से आराम मिल जाता है।
जामुन के औषधीय गुण
पुराने मधुमेह (डायबिटीज) में लगभग 500 मिग्रा जामुन की गुठली का चूर्ण, 65 मिग्रा बसंत कुसुमाकर के साथ मिलाकर सेवन करने से अच्छा लाभ मिलता है।
कई अनुभवी वैद्य जामुन की गुठली, सूखा करेला, गुड़मार, मेथी दाना और बिल्व पत्र को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनाते हैं और इसे एक-एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम देने की सलाह देते हैं।
जामुन गुठली का चूर्ण महिलाओं में होने वाले प्रदर (सफेद पानी) जैसी समस्याओं में भी लाभकारी माना जाता है।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या या उपचार से पहले कृपया अपने चिकित्सक या योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। नेशनल खबर इस जानकारी की पूर्ण सत्यता, सटीकता या प्रभाव के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है।