बच्‍चों में डिप्रेशन: अनदेखी न करें ये संकेत, पेरेंट्स के लिए जरूरी है सतर्कता

आज के समय में डिप्रेशन सिर्फ वयस्कों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि बच्चे भी बड़ी संख्या में इसकी चपेट में आ रहे हैं। अक्सर समझा जाता है कि डिप्रेशन केवल उम्रदराज लोगों की समस्या है, लेकिन सच यह है कि हंसते-खेलते दिखने वाले बच्चे भी अंदर से मानसिक संघर्ष झेल रहे होते हैं — और हमें इसका आभास तक नहीं होता।

Written by Himanshi Prakash , National Khabar

एक बड़ी वजह यह भी है कि आजकल माता-पिता दोनों कामकाजी होते हैं। ऐसे में बच्चों के साथ समय बिताना और उनकी भावनात्मक जरूरतों को समझना कठिन हो जाता है। बच्चों को जब घर में सहारा नहीं मिलता, तो वे चुपचाप अंदर ही अंदर घुटने लगते हैं। धीरे-धीरे वे गुमसुम हो जाते हैं, लोगों से कटने लगते हैं, और किसी भी चीज़ में रुचि नहीं लेते।

डिप्रेशन के शुरुआती लक्षणों को पहचानना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि इन्हें अक्सर सामान्य आदत समझकर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।

बच्चों में डिप्रेशन के संभावित कारण:

पारिवारिक इतिहास: अगर घर में पहले किसी को डिप्रेशन रहा है, तो बच्चों में भी इसकी आशंका बढ़ जाती है।
जन्म के समय जटिलताएं
घरेलू कलह और तनावपूर्ण माहौल
किसी भय का मन में बैठ जाना
यौन उत्पीड़न जैसे आघात

डिप्रेशन के संकेत जो माता-पिता को सतर्क कर सकते हैं:

  1. लगातार उदास रहना
    अगर बच्चा हर समय दुखी या अनमना रहता है, और किसी भी चीज़ में रुचि नहीं दिखाता, तो यह डिप्रेशन का संकेत हो सकता है।
  2. खुद से बातें करना
    बच्चा अगर खुद से बातें करने लगे, सवाल-जवाब करे या बड़बड़ाए, तो यह मानसिक असंतुलन का संकेत हो सकता है।
  3. चिड़चिड़ा व्यवहार
    हर बात पर गुस्सा करना, प्रतिक्रिया में तीखा होना और अकेले रहना पसंद करना डिप्रेशन की ओर इशारा कर सकता है।
  4. भूख कम लगना या खाना छोड़ देना
    भूख का कम हो जाना या लगातार भोजन को टालना एक चिंताजनक संकेत है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। माता-पिता क्या करें?
  5. बच्चों के साथ समय बिताएं – काम के बाद कुछ वक्त सिर्फ उनके लिए निकालें।
  6. खुलकर बात करें – बच्चों से उनकी भावनाओं के बारे में बात करें, उन्हें बताने का मौका दें।
  7. सकारात्मक माहौल बनाएं – घर में ऐसा माहौल बनाएं जहां बच्चा सुरक्षित और सहज महसूस करे।
  8. खेल-कूद और बाहर घूमने के लिए प्रेरित करें – आउटडोर एक्टिविटी मानसिक तनाव को कम करने में मदद करती है।
  9. यदि ज़रूरत हो तो विशेषज्ञ से संपर्क करें – बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लें, और काउंसलर या मनोवैज्ञानिक की मदद लेने से न हिचकें।
  10. बच्‍चों का चुप रहना हमेशा उनकी आदत नहीं होती — यह एक संकेत हो सकता है कि वे अंदर से कुछ झेल रहे हैं। ऐसे में माता-पिता की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर आप समय रहते सतर्क हो जाएं, तो अपने बच्चे को डिप्रेशन जैसी गंभीर स्थिति से उबार सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या या उपचार से पहले कृपया अपने चिकित्सक या योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। नेशनल खबर इस जानकारी की पूर्ण सत्यता, सटीकता या प्रभाव के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है।

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