शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स: फिटनेस के चक्कर में कहीं नुकसान तो नहीं?

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में फिटनेस को लेकर लोगों की जागरूकता तेजी से बढ़ी है, जिसके चलते शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स का चलन बढ़ गया है। हालांकि, इन उत्पादों में मौजूद आर्टिफिशियल स्वीटनर पेट की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं और पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही, ये इंसुलिन लेवल में भी असंतुलन पैदा कर सकते हैं।

Written by Himanshi Prakash, National Khabar

आज कल की भागदौड़ भरी ज‍िंदगी में लोग फ‍िटनेस को लेकर जागरूक हो गए हैं। इसके ल‍िए लोग घंटों ज‍िम में जाकर पसीना बहाते हैं। साथ ही कई तरह की डाइट फॉलो करते हैं। हालांक‍ि फि‍टनेस की बात जब भी होती है तो सबसे पहले लोग चीनी खाना ही छोड़ते हैं। आज के समय में तो लोग चीनी से बचने के लिए शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने लगे हैं।

डायबिटीज के मरीज हों या वजन कम करने की कोशिश कर रहे लोग, अक्सर शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता देते हैं। मिठाई हो, ड्रिंक्स, कुकीज़ या डायबिटिक फ्रेंडली चॉकलेट्स—लोग यह सोचकर इन्हें बेझिझक खा लेते हैं कि इनमें चीनी नहीं है, तो नुकसान भी नहीं होगा। लेकिन सवाल उठता है कि क्या ये शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स वाकई हमारी सेहत के लिए सुरक्षित हैं? या इनमें भी कोई ऐसा नुकसान छिपा है जो नजर नहीं आता?

अगर आप भी शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स को लेकर उलझन में रहते हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद जरूरी है। इसमें हम आपको बताएंगे कि इन प्रोडक्ट्स का सेवन करने से आपकी सेहत को कौन-कौन सी समस्याएं हो सकती हैं। तो आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

पेट की सेहत को हो सकता है नुकसान
शुगर-फ्री चीजों का ज्यादा सेवन आपके पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है। इनमें मौजूद आर्टिफिशियल स्वीटनर्स लिवर में पाए जाने वाले नेचुरल बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसका असर सीधे तौर पर डाइजेशन पर पड़ता है, जिससे अपच, गैस और ब्लोटिंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

क्रेविंग बढ़ने का खतरा
आर्टिफिशियल स्वीटनर दिमाग को भ्रमित कर सकते हैं। जब आप इनका अधिक सेवन करते हैं, तो दिमाग यह समझता है कि उसे असली चीनी मिल रही है। लेकिन जब शरीर को अपेक्षित ऊर्जा नहीं मिलती, तो और अधिक मीठा खाने की इच्छा बढ़ जाती है, जिससे क्रेविंग कंट्रोल करना मुश्किल हो सकता है।

सिरदर्द और मूड स्विंग की समस्या
शुगर-फ्री उत्पादों का अत्यधिक सेवन सिरदर्द और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याओं को ट्रिगर कर सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इन उत्पादों में मौजूद कृत्रिम मिठास (आर्टिफिशियल स्वीटनर्स) तंत्रिका तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। ये रसायन मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर के संतुलन को बिगाड़कर मनोवैज्ञानिक लक्षणों जैसे मूड स्विंग्स और व्यवहार संबंधी बदलावों को जन्म दे सकते हैं।

वजन घटाने के बजाय बढ़ सकता है
अक्सर लोग वजन कम करने की कोशिश में शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स का सेवन करते हैं, लेकिन यह सोच कभी-कभी उलटी पड़ सकती है। इन प्रोडक्ट्स का अधिक इस्तेमाल वजन घटाने के बजाय वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है।

इंसुलिन रेसिस्टेंस का बढ़ सकता है खतरा
अगर आप सोचते हैं कि डायबिटीज के मरीजों के लिए शुगर-फ्री प्रोडक्ट्स पूरी तरह सुरक्षित हैं, तो यह भ्रम हो सकता है। दरअसल, इन प्रोडक्ट्स में मौजूद आर्टिफिशियल स्वीटनर्स शरीर के इंसुलिन लेवल को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे इंसुलिन रेसिस्टेंस का खतरा बढ़ सकता है।

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