
(NAFLD) नॉन-अल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ आज के दौर की एक बेहद आम लेकिन नजरअंदाज की जाने वाली बीमारी है, जो शराब का सेवन न करने वाले लोगों को भी प्रभावित करती है। यह तब होती है जब लिवर में जरूरत से ज्यादा चर्बी (वसा) जमा हो जाती है, जिससे लिवर की सामान्य कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है।
Written by: Himanshi Prakash, National Khabar
यह रोग मुख्य रूप से उन लोगों में देखा जाता है जो मोटापे से ग्रस्त होते हैं, खासकर पेट के आसपास फैट अधिक होता है, जिनकी जीवनशैली बहुत ही निष्क्रिय है, जो अधिक फास्ट फूड, तली-भुनी चीज़ें और प्रोसेस्ड फूड खाते हैं, और जो डायबिटीज़, हाई बीपी या कोलेस्ट्रॉल की समस्या से जूझ रहे होते हैं। इसके पीछे का मुख्य कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस है, जिसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं और ग्लूकोज का सही तरह से उपयोग नहीं हो पाता। इससे शरीर में फैट जमा होने लगता है, और वह लिवर में भी इकट्ठा होने लगता है।
लक्षण जिन पर ध्यान देना ज़रूरी -:
पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में भारीपन या हल्का दर्द, अत्यधिक थकान और सुस्ती, भूख की कमी ,वजन बढ़ना या घटाना , आंखों और त्वचा में पीलापन (उन्नत अवस्था में)
NAFLD के प्रमुख कारण -:
मोटापा और पेट के आसपास चर्बी, हाई ब्लड शुगर (डायबिटीज़) ,हाई कोलेस्ट्रॉल , फास्ट फूड और जंक फूड का सेवन, शारीरिक गतिविधि की कमी ,इंसुलिन रेजिस्टेंस।
क्या है इसका इलाज? -:
इसका कोई निश्चित मेडिकल इलाज नहीं है, लेकिन सही जीवनशैली और खानपान से इसे रोका और कंट्रोल किया जा सकता है। कुछ मामलों में डॉक्टर सपोर्टिव दवाएं दे सकते हैं।
जीवनशैली में बदलाव है सबसे बड़ा इलाज -:
रोज़ाना 30-45 मिनट की एक्सरसाइज़ करें, वजन कम करें ,तनाव से दूर रहें ,पर्याप्त नींद लें।
NAFLD में क्या खाएं, क्या न खाएं (डाइट गाइड) -:
खाएं: हरी सब्ज़ियाँ, मौसमी फल , ब्राउन राइस, ओट्स, दलिया , दालें, सलाद , नींबू पानी, ग्रीन टी, आंवला, हल्दी आदि।
बचें: तले-भुने खाद्य पदार्थ , फास्ट फूड, जंक फूड , चीनी, मीठे पेय, मैदा ,रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड।
नियमित जांच है ज़रूरी -:
NAFLD की पुष्टि और निगरानी के लिए निम्न जांचें करवाई जाती हैं: लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) , अल्ट्रासाउंड , फाइब्रोस्कैन,लिवर बायोप्सी (गंभीर मामलों में)
NAFLD कैसे बढ़ सकता है – NASH और सिरोसिस का खतरा – :
अगर समय पर इलाज न हो तो NAFLD नॉन-अल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (NASH) में बदल सकता है, जिससे लिवर में सूजन और क्षति होती है। यह आगे चलकर सिरोसिस और लिवर फेलियर का कारण बन सकता है।
सावधानी ही बचाव है -:
अगर समय पर सही कदम उठाए जाएं तो NAFLD को पूरी तरह कंट्रोल और रिवर्स किया जा सकता है। सही खानपान, व्यायाम और नियमित जांच से लिवर को फिर से स्वस्थ बनाना संभव है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या या उपचार से पहले कृपया अपने चिकित्सक या योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। नेशनल खबर इस जानकारी की पूर्ण सत्यता, सटीकता या प्रभाव के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है।