बकरीद पर बकरों की कीमत तय होती है उनकी डाइट से

इस साल ईद-उल-अज़हा यानी बकरीद का त्योहार 7 जून 2025 (शनिवार) को देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। त्योहार से एक दिन पहले देश की बकरी मंडियों में जबरदस्त चहल-पहल देखी जा रही है। लेकिन इस बार चर्चा का केंद्र उनकी शाही खुराक बन गई है।

Written by: Himanshi Prakash, National Khabar

इन बकरों की कीमतें जहाँ ₹1 लाख से शुरू होकर ₹5 लाख तक पहुँच रही हैं, वहीं इनके खानपान की लिस्ट देखकर लोग हैरान हैं — काजू, बादाम, पिस्ता, छुहारे, अनार, सेब और खजूर, इन बकरों की रोज़ाना की डाइट का हिस्सा बन चुके हैं।

सोशल मीडिया का नया ट्रेंड: #RoyalBakra #DryFruitDiet

ईद से पहले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बकरों की रील्स और तस्वीरें बाढ़ की तरह आ गई हैं। ट्रेंडिंग हैशटैग्स: #DryFruitBakra, #Lakhtakiyabakra, #BakraWithAttitude

कुछ बकरों के साथ मालिकों ने बाकायदा डायट चार्ट और वीडियो इंटरव्यू भी शेयर किए हैं। लोगों में दिलचस्पी सिर्फ बकरे की उम्र या वजन में नहीं, बल्कि इस बात में है कि वह खाता क्या है।

ईद-उल-अजहा के मौके पर तोतापरी बकरी की मांग भी काफी बढ़ जाती है। इसकी कीमत बकरी के वजन, उम्र और दिखावट पर निर्भर करती है। आमतौर पर इसकी कीमत ₹6,000 से ₹25,000 तक होती है, जबकि अच्छी नस्ल और भारी वजन वाली बकरियाँ ₹50,000 से ₹80,000 या उससे ज्यादा में बिकती हैं। उत्तर प्रदेश के लखनऊ, गाज़ियाबाद जैसे शहरों की मंडियों में टोटापारी बकरी की बिक्री जोरों पर है। जैसे-जैसे ईद नज़दीक आती है, कीमतें और भी बढ़ जाती हैं।

ईद का असली संदेश: सादगी और त्याग

हालाँकि बकरीद का त्योहार इस्लाम धर्म में त्याग और सेवा का प्रतीक है, लेकिन बाजार में बढ़ती रौनक के बीच दिखावे की होड़ भी साफ नज़र आ रही है। धार्मिक जानकारों का कहना है कि इस त्योहार की असली भावना गरीबों, ज़रूरतमंदों और पड़ोसियों में खुशियाँ बाँटना है।

मंडियों में भीड़, लेकिन जेब पर बोझ

देश के कई हिस्सों में बकरी मंडियों में भारी भीड़ देखी जा रही है, लेकिन लोग महंगाई से परेशान भी हैं। जहाँ कुछ बकरे ₹50,000 से ₹1 लाख में बिक रहे हैं, वहीं ड्राई फ्रूट्स पर खर्च करना भी लोगों के लिए आसान नहीं है।

ईद 7 जून को, ट्रैफिक व साफ-सफाई के इंतज़ाम

प्रशासन ने ईद-उल-अज़हा के मद्देनज़र 7 जून 2025 (शनिवार) के दिन विशेष इंतज़ाम किए हैं। प्रमुख शहरों में ट्रैफिक नियंत्रण, मंडियों में सफाई और सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। बकरों की शाही डाइट चाहे जितनी वायरल हो, बकरीद का असली संदेश आज भी वही है — त्याग, सहानुभूति और समाज में बराबरी।

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