
भाजपा नेता गिरीश महाजन ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे गुट के कई विधायक और सांसद उनसे संपर्क में हैं। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा, “यदि संदेह है तो जल्द ही सब अपनी आँखों से देख लेंगे।” महाजन ने यह भी कहा कि अब जनता का विश्वास उद्धव ठाकरे के नेतृत्व से खत्म हो चुका है।
Written by Himanshi Prakash, National Khabar
महाराष्ट्र के वरिष्ठ भाजपा नेता और मंत्री गिरीश महाजन ने रविवार को दावा किया कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के कई सांसद और विधायक उनके संपर्क में हैं, क्योंकि जनता अब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर विश्वास नहीं करती। राज्य में तीन-भाषा नीति को लेकर जारी विवाद के बीच महाजन ने उद्धव ठाकरे को “पलटीबहादुर” करार देते हुए उन पर अपरिपक्वता का आरोप भी लगाया।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने की चाह में उद्धव ठाकरे ने अपने पिता बाल ठाकरे की विचारधारा से समझौता कर अपना राजनीतिक भविष्य बर्बाद कर लिया।भाजपा नेता की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब एक दिन पहले उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई तथा महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे ने मुंबई में आयोजित एक रैली में करीब दो दशकों बाद पहली बार मंच साझा किया था। यह रैली राज्य सरकार द्वारा कक्षा एक से हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने संबंधी दो सरकारी प्रस्ताव (जीआर) वापस लेने के फैसले के बाद हुई।
‘उद्धव ठाकरे गुट के कई विधायक और सांसद मेरे संपर्क में हैं’ — गिरीश महाजन
रविवार को सोलापुर में पत्रकारों से बातचीत में भाजपा नेता गिरीश महाजन ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे गुट के कई विधायक और सांसद अब भी उनके संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि जल्द ही सबको दिख जाएगा कि जनता का भरोसा अब उद्धव ठाकरे पर नहीं रहा।
तीन-भाषा नीति के मुद्दे पर महाजन ने आरोप लगाया कि हिंदी को लागू करने का फैसला खुद उद्धव ठाकरे सरकार का था। उन्होंने कहा, “उस प्रस्ताव को कैबिनेट ने पास किया था और फाइल पर उद्धव ठाकरे के खुद के दस्तखत हैं। अब वे उसी फैसले का विरोध कर रहे हैं, जिसे उन्होंने मंजूरी दी थी। यह सीधा यू-टर्न है।”
महाजन ने उद्धव ठाकरे को “पलटीबहादुर” बताते हुए कहा कि उनका व्यवहार बेहद अपरिपक्व है।
गिरीश महाजन ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने सिर्फ सरकार का विरोध करने के लिए रुख बदला। उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों से पता चलेगा कि जनता किस पर भरोसा करती है।
महाजन ने यह भी आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे ने अपने पिता बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा को त्याग दिया। उन्होंने कहा, “2019 के विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री बनने की चाह में उद्धव ने बालासाहेब के हिंदुत्व को छोड़कर शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठजोड़ कर लिया। इसी फैसले ने उनके राजनीतिक भविष्य को बर्बाद कर दिया।”