
चीन के बंदरगाह शहर किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भाग लिया। इस दौरान उन्होंने चीन के रक्षा मंत्री से द्विपक्षीय मुलाकात भी की।
Written by Himanshi Prakash, National Khabar
चीन के किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के दौरान भारतीय रक्षा मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष, एडमिरल डोंग जून से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। साथ ही, भारतीय रक्षा मंत्री ने चीनी रक्षा मंत्री को मधुबनी पेंटिंग की सौगात भी भेंट की।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक के बाद एक्स पर लिखा कि किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान उनकी चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से बातचीत हुई। इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दों पर रचनात्मक और दूरदर्शी विचारों का आदान-प्रदान किया गया। उन्होंने करीब छह साल के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के उन्होंने इस पुनःप्रारंभ पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों राष्ट्रों के लिए यह आवश्यक है कि वे इस सकारात्मक गति को बनाए रखें तथा द्विपक्षीय संबंधों में किसी भी प्रकार की नई जटिलताओं से बचाव करें।
इसके अलावा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने चीनी समकक्ष को बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग भेंट की। मिथिला क्षेत्र की यह पारंपरिक कला अपनी जीवंत रंगों, जटिल रेखांकन और विशिष्ट पैटर्न के लिए जानी जाती है। आदिवासी रूपांकनों और प्राकृतिक मिट्टी से बने चमकीले रंगों के उपयोग के कारण मधुबनी पेंटिंग न केवल सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय है।
इससे पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया। इसका कारण यह था कि मसौदे में हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का कोई उल्लेख नहीं किया गया था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी।
बैठक के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना उस पर जोरदार निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ देश अपनी नीतियों में सीमा पार आतंकवाद को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और आतंकवादियों को संरक्षण दे रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि ऐसे दोहरे मानदंडों को समाप्त करना अत्यंत आवश्यक है, और एससीओ जैसे मंच को इन शक्तियों की खुलकर निंदा करनी चाहिए।