वडोदरा पुल हादसा: 15 की मौत, चेतावनी के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई

गुजरात के वडोदरा में महिसागर नदी पर बने करीब 40 साल पुराने पुल के ढहने से 15 लोगों की मौत हो गई। एक स्थानीय कार्यकर्ता का दावा है कि उन्होंने तीन साल पहले ही पुल की जर्जर हालत को लेकर चेतावनी दी थी। उस वक्त एक अधिकारी ने भी माना था कि पुल ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

Written by Himanshi Prakash, National Khabar

गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार को महिसागर नदी पर बना करीब 40 साल पुराना पुल ढह गया। इस दर्दनाक हादसे में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है। इसी बीच एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने दावा किया कि उन्होंने तीन साल पहले ही पुल की जर्जर हालत को लेकर सरकार को आगाह किया था। उस वक्त एक अधिकारी ने भी स्वीकार किया था कि पुल ज्यादा दिन नहीं टिक सकेगा। बावजूद इसके कोई कदम नहीं उठाया गया, जिससे यह बड़ा हादसा हो गया।

‘युवा सेना’ संस्था के सामाजिक कार्यकर्ता लखन दरबार ने अगस्त 2022 में एक सरकारी अधिकारी से बातचीत के दौरान पुल की जर्जर हालत पर चिंता जताई थी। उन्होंने तत्काल मरम्मत कराने या नया पुल बनाने की मांग की थी।अब इसी बातचीत की ऑडियो क्लिप सामने आई है, जिसमें दरबार बार-बार कह रहे हैं कि यह पुल लोगों की जान के लिए खतरा बन सकता है। इसके बावजूद उस वक्त कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

अधिकारी ने खुद माना था कि पुल ज्यादा दिन तक नहीं टिकेगा।
वायरल हुई ऑडियो क्लिप में सड़क एवं भवन विभाग के एक अधिकारी साफ तौर पर कहते सुनाई देते हैं कि “हमें भी लगता है कि यह पुल ज्यादा दिन नहीं टिक पाएगा।” अधिकारी यह भी बताते हैं कि एक निजी कंसल्टेंट द्वारा कराए गए सर्वे में भी यही नतीजा सामने आया था। बावजूद इसके विभाग ने केवल एक प्रस्ताव बनाकर ऊपरी अधिकारियों को भेज दिया, लेकिन पुल को बंद करने जैसी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

यह पुल था प्रभावित क्षेत्र का मुख्य
जिस पुल के ढहने की घटना हुई, वह आनंद और वडोदरा जिलों को जोड़ने वाला प्रमुख संपर्क मार्ग था, जिससे रोज़ाना हजारों वाहन गुजरते थे। बुधवार सुबह पुल का एक हिस्सा अचानक टूटकर गिर पड़ा, जिससे कई गाड़ियां सीधे महिसागर नदी में समा गईं। अब तक 15 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और रेस्क्यू टीमें अभी भी लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं। यह हादसा न सिर्फ प्रशासन की गंभीर लापरवाही का नतीजा है, बल्कि समय रहते चेतावनी के बावजूद कोई कदम न उठाने की बड़ी चूक का भी उदाहरण बन गया है।

अधिकारियों की चुप्पी से बढ़ा संदेह
सामाजिक कार्यकर्ता लखन दरबार ने मीडिया से सवाल किया कि जब अधिकारियों को पुल की खस्ताहाल की जानकारी थी, तो उसे तत्काल बंद क्यों नहीं किया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि पुल की जांच रिपोर्ट न तो सार्वजनिक की गई और न ही गंभीरता से कोई कदम उठाया गया, जिससे यह त्रासदी हुई। दरबार ने पूछा कि क्या अधिकारियों ने जानबूझकर खतरे को अनदेखा किया या सिर्फ कागजी खानापूरी कर इतिश्री कर ली?

सरकारी विभाग का बचाव
वहीं, सड़क एवं भवन विभाग के कार्यकारी इंजीनियर नैनिश नायकवाला ने विभाग का बचाव करते हुए कहा कि पुल का निरीक्षण किया गया था और कोई बड़ी खराबी सामने नहीं आई थी। उन्होंने बताया कि पुल के एक हिस्से में बीयरिंग कोट की समस्या थी, जिसे पिछले साल ठीक कर दिया गया था। उनका कहना है कि पुल को बंद करने की कोई औपचारिक मांग भी नहीं आई थी।

गुजरात में लगातार पुल हादसे
गुजरात में पिछले तीन वर्षों में पुल गिरने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। अक्टूबर 2022 में माच्छू नदी पर मोरबी का पुल टूटने से 135 लोगों की जान गई। जून 2023 में तापी जिले में एक नया पुल ढह गया। सितंबर और अक्टूबर 2023 में भी दो बड़े हादसे हुए, जिनमें जानमाल का नुकसान हुआ। अगस्त 2024 में सुरेंद्रनगर जिले में भी एक पुल गिरा। इन लगातार हादसों के बावजूद सरकार और प्रशासन ने कोई ठोस सबक नहीं लिया।

गुजरात सरकार पर कांग्रेस का तीखा हमला
वडोदरा में पुल हादसे के अगले ही दिन कांग्रेस ने गुजरात सरकार पर बड़ा हमला बोला। पार्टी ने दावा किया कि पिछले चार वर्षों में राज्य में 16 पुल हादसे हो चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे बीजेपी सरकार की विफलता, भ्रष्टाचार और असंवेदनशीलता का नतीजा करार दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से इस्तीफे की मांग की और चेतावनी दी कि अगर मामले की SIT जांच नहीं कराई गई तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर विरोध करेगी।


कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी ने आरोप लगाया कि आम जनता पहले ही पुल की खतरनाक हालत को लेकर सरकार को चेतावनी दे चुकी थी, लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि गुजरात में अब हादसों के बाद केवल मुआवजे की राजनीति होती है और लोगों की जान की कीमत महज 4 लाख रुपये तय कर दी गई है। कांग्रेस ने सरकार पर भ्रष्ट कंपनियों को ठेके देने का भी आरोप लगाया।

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