Ashadhi Sankashti 2025: क्या करें आज के दिन? व्रत कथा, पूजा विधि और शुभ समय

Ashadhi Sankashti Chaturthi 2025: आज, 14 जून को आषाढ़ महीने की संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है। इस खास दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना बड़े भक्ति भाव से की जाती है। इसे ‘कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी’ भी कहा जाता है, जिसका खास मतलब है। आइए जानते हैं इस व्रत की सही पूजा विधि, शुभ समय, आज के दिन बनने वाले शुभ योग और इस त्योहार से जुड़ी सारी जरूरी बातें।

धर्म डेस्क | National Khabar

Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने दो बार रखा जाता है, लेकिन आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विशेष रूप से ‘कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्व होता है। इस तिथि पर भगवान गणेश के ‘कृष्णपिङ्गल’ स्वरूप की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस रूप में गणेश जी का रंग काले और भूरे मिश्रण जैसा होता है, इसलिए उन्हें ‘कृष्णपिङ्गल’ कहा जाता है। भक्तगण इस दिन विशेष विधि से व्रत रखकर उनकी आराधना करते हैं।

संकष्टी चतुर्थी का दिन भगवान गणेश की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक गणपति बाप्पा की पूजा करने से जीवन में बाधाएं दूर होती हैं और सफलता के नए मार्ग खुलते हैं। इस बार यह व्रत 14 जून को रखा जा रहा है, जो भक्तों के लिए विशेष आध्यात्मिक महत्व रखता है।

जानिए इस खास व्रत की तिथि, धार्मिक महत्व, पूजन की विधि और इस दिन बन रहे शुभ योगों की पूरी जानकारी। ध्यान रहे, इस व्रत का पारण चंद्रोदय के बाद ही किया जाता है, जो इसे और भी विशेष बनाता है।

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि:

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी का महत्व:

संकष्टी चतुर्थी के पावन दिन भगवान गणेश की भक्तिपूर्वक आराधना करने से जीवन के सभी प्रकार के बाधाएं और विघ्न दूर हो जाते हैं। इस दिन श्री गणेश जी की विशेष रूप से षोडशोपचार पूजा की जाती है।

इस दिन बनने वाले योग:

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी के दिन विशेष शुभ योग ‘ब्रह्म योग’ बनता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ब्रह्म योग तब बनता है जब बृहस्पति, शुक्र और बुध ग्रह अपनी विशेष स्थिति में होते हैं।

कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि:

  1. सुबह स्नान करने के बाद भगवान गणेश का ध्यान लगाएं और व्रत का संकल्प लें।
  2. गणेश जी की मूर्ति को साफ-सुथरे स्थान या चौकी पर स्थापित करें।
  3. गणेश जी को ताजा फूल और फल चढ़ाएं, साथ ही पीला चंदन भी लगाएं।
  4. मोदक या लड्डू का भोग अर्पित करें।
  5. मंत्र “ऊं गं गणपतये नमः” का जाप करें।
  6. गणेश जी की आरती करें।
  7. अंत में चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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