
पुरी, ओडिशा का प्रसिद्ध Jagannath मंदिर रहस्यों से भरा हुआ है। इस वर्ष 27 जून 2025 को भव्य रथ यात्रा की शुरुआत होगी। मान्यता है कि मंदिर में प्रवेश करते ही समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देना बंद हो जाती है। एक और दिलचस्प विश्वास यह है कि राधा रानी के श्राप के कारण कोई भी अविवाहित प्रेमी जोड़ा मंदिर में एक साथ दर्शन नहीं करता। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और आज भी लोग इसे मानते हैं।
धर्म डेस्क | National Khabar
ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए साल का सबसे बड़ा उत्सव आने वाला है। यह है जगन्नाथ रथ यात्रा 2025, जिसकी भव्य शुरुआत इस वर्ष 27 जून को होने जा रही है।
आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत होती है, और 2025 में यह आयोजन 27 जून से आरंभ होगा। इस अवसर पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं और भगवान श्रीजगन्नाथ की भव्य यात्रा में भाग लेते हैं। पुरी का यह मंदिर कई रहस्यों से घिरा है—ऐसे रहस्य जिनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं, लेकिन जिन पर वर्षों से लोग आस्था के साथ विश्वास करते आ रहे हैं।
रहस्यों से भरा है मंदिर
पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर से जुड़ी कई बातें इतनी रहस्यमयी हैं कि उन पर यकीन करना आसान नहीं होता। जैसे ही कोई भक्त मंदिर के भीतर प्रवेश करता है, समुद्र की लहरों की आवाज अचानक गायब हो जाती है—लेकिन जैसे ही वह बाहर निकलता है, वही आवाजें फिर से सुनाई देने लगती हैं।
मंदिर की एक और अनोखी बात यह है कि इसकी छाया (परछाई) कभी नहीं दिखाई देती, जो आज भी एक रहस्य बनी हुई है।
यहां मौजूद विश्व की सबसे बड़ी रसोई में हर दिन हजारों लोगों के लिए भोजन तैयार होता है, और आश्चर्य की बात ये है कि आज तक कोई भी श्रद्धालु प्रसाद के बिना लौटकर नहीं गया।
राधा रानी ने दिया था श्राप
पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर से जुड़ी एक बेहद रोचक और रहस्यमयी मान्यता वर्षों से लोगों की आस्था का हिस्सा बनी हुई है। कहा जाता है कि इस मंदिर में कोई भी अविवाहित प्रेमी जोड़ा एक साथ दर्शन करने नहीं जाता, और इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है।
मान्यता के अनुसार, एक बार राधा रानी की इच्छा हुई कि वे जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करें। जब वे मंदिर के द्वार तक पहुंचीं, तो वहां मौजूद पुजारी ने उन्हें भीतर जाने से रोक दिया। कारण पूछने पर पुजारी ने कहा—”आप श्रीकृष्ण की प्रेमिका हैं, और इसी कारण आपको प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
इस बात से राधा रानी बेहद आहत हुईं और उन्होंने क्रोधित होकर मंदिर को श्राप दे दिया: “भविष्य में कोई भी अविवाहित जोड़ा इस मंदिर में दर्शन करेगा, तो उसका प्रेम सफल नहीं होगा और वे जीवनभर एक-दूसरे का साथ नहीं पा सकेंगे।”
भले ही इस कथा की ऐतिहासिक सच्चाई पर सवाल उठ सकते हैं, लेकिन आज भी यह मान्यता पूरी श्रद्धा और गंभीरता से निभाई जाती है। शायद यही कारण है कि अविवाहित प्रेमी युगल मंदिर में साथ प्रवेश करने से बचते हैं।