
महाकाल की नगरी उज्जैन हर साल करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनती है। खासकर सावन में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। अगर आप भी उज्जैन की यात्रा का मन बना रहे हैं, तो बाबा महाकाल के दर्शन के साथ-साथ इस धर्मनगरी के अन्य सिद्ध और पवित्र मंदिरों में जाना न भूलें। माना जाता है कि इन मंदिरों के दर्शन किए बिना उज्जैन की यात्रा अधूरी रहती है।
धर्म डेस्क | National Khabar
विश्वप्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हर दिन लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। सावन और भादों के महीनों में तो यहां भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं के लिए महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन के साथ-साथ कुछ अन्य पवित्र स्थलों की यात्रा भी बेहद खास मानी जाती है। कहा जाता है कि इन स्थानों के दर्शन किए बिना उज्जैन यात्रा अधूरी रहती है।
महाकाल के दर्शन के बाद श्रद्धालु अब महाकाल लोक की भव्यता निहारना नहीं भूलते। महाकाल कॉरिडोर बनने के बाद यहां न सिर्फ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है, बल्कि बड़ी संख्या में पर्यटक भी आने लगे हैं। यह कॉरिडोर इतना सुंदर और अद्भुत है कि लोग यहां घंटों समय बिताते हैं।
महाकाल की नगरी में शिव के साथ-साथ शक्ति की उपासना भी होती है। माता हरसिद्धि को सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी माना जाता है। महाकाल वन में स्थित यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में शामिल है। यहां रोज़ाना 1051 दीपों से माता की आरती की जाती है। सावन-भादों में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ देखते ही बनती है। यहां की पूजा और आरती की परंपरा अन्य मंदिरों से अलग और अनूठी है।
उज्जैन का चिंतामण गणेश मंदिर भी खास महत्व रखता है। मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान यहां भगवान गणेश की स्थापना की थी, जबकि लक्ष्मण जी और सीता माता ने इच्छामण और सिद्धिविनायक गणेश की स्थापना की। कहा जाता है कि चैत्र महीने के बुधवार को यहां दर्शन करने से भगवान गणेश भक्त की हर चिंता दूर कर देते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
यहां का संदीपनि आश्रम भी ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। कहा जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण 11 साल 7 दिन की उम्र में शिक्षा प्राप्त करने के लिए यहां आए थे। आज भी यहां हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन के लिए आते हैं और सावन के महीने में यह संख्या लाखों तक पहुंच जाती है।
उज्जैन का काल भैरव मंदिर भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है। भगवान शिव के रौद्र अवतार काल भैरव की पूजा करने से शत्रुओं और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां काल भैरव को मदिरा का भोग लगाया जाता है और भक्तों को प्रसाद स्वरूप भी दी जाती है। सावन मास में यहां दर्शन करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
तंत्र-मंत्र की देवी के रूप में प्रसिद्ध मां गढ़कालिका का मंदिर भी उज्जैन का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। कालीघाट स्थित यह मंदिर तांत्रिक साधना के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। रोज़ाना हजारों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए यहां आते हैं और मान्यता है कि गढ़कालिका के दर्शन मात्र से ही सफलता के द्वार खुल जाते हैं।
इसके अलावा मंगलनाथ मंदिर भी उज्जैन की पहचान है। इसे मंगल ग्रह का जन्मस्थान माना जाता है और यह मंदिर भगवान मंगल को समर्पित है। यहां विशेष रूप से मंगल दोष निवारण के लिए पूजा की जाती है और कहा जाता है कि भात पूजा से मंगल दोष का प्रभाव कम हो जाता है।
अगर आप उज्जैन की यात्रा पर निकल रहे हैं तो बाबा महाकाल के दर्शन के साथ इन सिद्ध स्थलों पर भी जरूर जाएं, ताकि आपकी यात्रा पूर्ण और फलदायी हो सके।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है।