
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग कथा: भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का विशेष स्थान है। सावन के पावन महीने में यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है, जो शिव की आराधना के लिए उत्साह से आते हैं। माना जाता है कि काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। एक रोचक मान्यता है कि शिव की नगरी काशी वास्तव में इस धरती पर नहीं है। आइए, जानें काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कहानी और इसके धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से।
धर्म डेस्क | नेशनल खबर
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख स्थान रखता है और यह पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। यह स्थल मोक्ष की नगरी के नाम से प्रसिद्ध है और यहां देवों के देव महादेव विराजमान हैं, जिन्हें बाबा विश्वनाथ या बाबा विश्वेश्वर के नाम से भी पुकारा जाता है। शिव और काल भैरव की यह पावन नगरी सप्तपुरियों में शुमार है। सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ दर्शन और पूजा के लिए उमड़ती है।
काशी — शिव के त्रिशूल की नगरी
कहा जाता है कि काशी धरती का हिस्सा नहीं, बल्कि शिव के त्रिशूल पर बसी हुई है। इस वजह से इसे मोक्ष और पाप नाशिनी नगरी के रूप में जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, यह पहले भगवान विष्णु की नगरी थी, जहां उनके आनंद के आंसू गिरकर सरोवर का निर्माण हुआ। भगवान शिव को यह जगह इतनी प्रिय थी कि उन्होंने इसे अपने निवास के रूप में ग्रहण कर लिया।
काशी के कोतवाल — काल भैरव
कई बार आक्रांताओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर को नष्ट करने की कोशिश की, लेकिन यहां की अटूट आस्था ने इसे हर बार पुनः भव्य रूप में स्थापित किया। काशी में शिव के गणों के साथ मां पार्वती के अनुचर काल भैरव काशी के कोतवाल माने जाते हैं। काशी विश्वनाथ के दर्शन से पहले भैरव की पूजा करना परंपरा है।
काशी की ऐतिहासिक और पौराणिक महत्ता
काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थित ज्योतिर्लिंग ईशान कोण में है, जो विद्या, कला और ब्रह्मज्ञान का प्रतीक माना जाता है। यह दर्शाता है कि शिव केवल शक्ति के देवता ही नहीं, बल्कि ज्ञान और तंत्र के भी अधिपति हैं। काशी में बाबा विश्वनाथ और मां अन्नपूर्णा सदैव विराजमान हैं। अन्नपूर्णा हर जीव का पोषण करती हैं, जबकि बाबा विश्वनाथ मृत्यु के बाद आत्मा को मुक्ति प्रदान करते हैं।
बाबा विश्वनाथ की अघोर पूजा
मंदिर का मुख्य द्वार दक्षिण की ओर है और बाबा का मुख उत्तर दिशा (अघोर दिशा) में स्थित है। यहां दर्शन करने वाले पहले शिव के अघोर रूप को देखते हैं, जो सभी पापों, कष्टों और बंधनों का नाश करने वाले हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोत में बाबा विश्वनाथ को पापों का संहारक और आनंद के स्रोत के रूप में वर्णित किया गया है।
देवी अन्नपूर्णा और अन्य मंदिर
काशी विश्वनाथ के निकट देवी अन्नपूर्णा का मंदिर है, जिन्हें अन्न की देवी माना जाता है। इसके अलावा संकट विमुक्ति की देवी संकटा का मंदिर, 9 ग्रहों के नौ मंदिर और काल भैरव मंदिर भी यहां के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
मृत्युंजय महादेव मंदिर का चमत्कारिक जल
वाराणसी के विशेसरगंज इलाके में स्थित मृत्युंजय महादेव मंदिर का जल कई रोगों को नष्ट करने वाला माना जाता है। यहां का पानी भूमिगत नदियों के मिश्रण से आता है और इसे चमत्कारी बताया गया है।
काशी — भारत की धार्मिक राजधानी
काशी में तुलसी मानस मंदिर, दुर्गा मंदिर और संकटमोचन मंदिर जैसे कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं। तुलसीदास जी ने यहीं रामचरित मानस की रचना की थी। इस शहर को ‘मंदिरों का शहर’, ‘भारत की पवित्र नगरी’ और ‘भारत की धार्मिक राजधानी’ के रूप में भी जाना जाता है।
इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।