
शेफाली जरीवाला के निधन के बाद सोशल मीडिया पर पारस छाबड़ा का एक पुराना वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में पारस ने उनकी कुंडली देखकर अचानक मौत की आशंका जताई थी। उन्होंने साफ कहा था कि शेफाली की कुंडली में चंद्रमा, केतु और बुध की विशेष स्थिति अनहोनी का संकेत दे रही है। खास तौर पर 8वें घर में चंद्र और केतु की युति को बेहद अशुभ माना जाता है। आइए समझते हैं कि कुंडली में 8वें भाव में चंद्र-केतु की युति का क्या अशुभ प्रभाव होता है।
धर्म डेस्क | National Khabar
बॉलीवुड एक्ट्रेस और बिग बॉस फेम शेफाली जरीवाला की अचानक मौत ने सभी को सदमे में डाल दिया है। इसी बीच बिग बॉस में उनके साथ कंटेस्टेंट रहे पारस छाबड़ा का एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। इस क्लिप में पारस शेफाली की कुंडली देखकर उनकी असमय मृत्यु की आशंका जताते नजर आ रहे हैं।
दरअसल, साल 2024 में शेफाली जरीवाला पारस छाबड़ा के पॉडकास्ट ‘आबरा का डाबरा शो’ में मेहमान बनी थीं। दोनों बिग बॉस 13 का हिस्सा रह चुके थे। वायरल हो रही इस वीडियो क्लिप में पारस, शेफाली की कुंडली पढ़ते हुए चंद्रमा, केतु और बुध की स्थिति का जिक्र करते हैं और किसी बड़ी अनहोनी की चेतावनी देते दिखते हैं। आइए जानते हैं इस वायरल वीडियो में आखिर क्या कहा गया था।
क्या है वीडियो में?
वीडियो में पारस छाबड़ा शेफाली जरीवाला की कुंडली पढ़ते हुए उनकी ग्रह स्थिति की ओर खास तौर पर ध्यान दिलाते हैं। वह बताते हैं कि शेफाली के 8वें घर में चंद्रमा, बुध और केतु मौजूद हैं। पारस कहते हैं कि चंद्र और केतु का संयोजन कुंडली में सबसे अशुभ माना जाता है।
8वां घर वैसे भी हानि, अचानक मृत्यु, रहस्य, प्रसिद्धि और तांत्रिक विषयों से जुड़ा होता है। पारस यह भी बताते हैं कि चंद्र और बुध का मेल भी अच्छा नहीं होता। यहां तक कि अगर ये आमने-सामने बैठे हों तो भी परेशानियां देते हैं, लेकिन एक ही घर में साथ आ जाएं तो समस्याएं और बढ़ जाती हैं। उन्होंने कहा कि यह विशेष योग मानसिक और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं को भी बढ़ावा दे सकता है।
चंद्रमा और केतु से बनता है ग्रहण योग
ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि जब कुंडली में चंद्रमा और केतु एक ही भाव में होते हैं तो ग्रहण योग बनता है। यह योग काफी अशुभ माना जाता है। ऐसे योग में व्यक्ति को मानसिक तनाव, विवाद और आर्थिक नुकसान जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
जन्म कुंडली का 8वां भाव मृत्यु, विरासत, रहस्य, गुप्त ज्ञान और बड़े परिवर्तनों से जुड़ा होता है। यह भाव मृत्यु के कारण और तरीके के बारे में भी संकेत देता है। हालांकि 8वां भाव केवल नकारात्मक ही नहीं होता – यह अचानक धन लाभ, लॉटरी जीतने, शेयर बाजार में फायदा और विरासत या संपत्ति मिलने जैसी सुखद घटनाओं का भी संकेतक होता है।
रहस्यमयी चीजों में दिलचस्पी
जब कुंडली के 8वें घर में चंद्रमा और केतु की युति बनती है, तो व्यक्ति के भीतर गहरी संवेदनशीलता और अंतर्ज्ञान विकसित होता है। ऐसे लोग रहस्यमयी विषयों और धार्मिक या गूढ़ ज्ञान की ओर आकर्षित होते हैं। हालांकि, इस योग के कारण मृत्यु या अनजानी चीजों को लेकर एक डर भी बना रह सकता है।
इस तरह के लोग आमतौर पर बहुत निजी स्वभाव के होते हैं और अपनी भावनाएं या राय दूसरों के सामने जल्दी जाहिर नहीं करते। वे दूसरों के राज़ संभालने में माहिर होते हैं और संपत्ति या धन के प्रबंधन में भी कुशल माने जाते हैं।
तंत्र-मंत्र में गहरी आस्था
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा और केतु अष्टम भाव में स्थित हों, तो उसमें तंत्र-मंत्र और गुप्त विद्याओं के प्रति विशेष आस्था देखी जाती है। ऐसे लोग अक्सर किसी महिला के माध्यम से अच्छा आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। वे अपने व्यवसाय में सफल होते हैं और परिवार पर खुलकर धन खर्च करते हैं। हालांकि कभी-कभी उनका यही खर्चीला या लापरवाह रवैया आर्थिक नुकसान की वजह भी बन जाता है। ये लोग नई चीजें जल्दी सीखने में माहिर होते हैं और दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। हालांकि तंत्र-मंत्र में अंधा विश्वास कभी-कभार उनके लिए नुकसानदेह भी साबित हो जाता है।
डर और भ्रम की प्रवृत्ति
कुंडली के आठवें भाव में चंद्रमा और केतु की युति को ज्योतिष में ग्रहण योग और पितृदोष माना जाता है। इसे कुंडली का सबसे अशुभ योग भी कहा जाता है। ऐसे लोग आमतौर पर बेहतरीन कहानीकार और बातचीत में निपुण होते हैं, लेकिन उनके भीतर अक्सर गहरा डर और असुरक्षा की भावना रहती है। वे निर्णय लेने में असमंजस में रहते हैं और आसानी से उलझ जाते हैं। इस कारण इनके जीवन में मानसिक तनाव बना रहता है।
अनहोनी की आशंका
आठवें घर में चंद्र और केतु की युति व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां दे सकती है। यदि इस भाव पर मंगल, शनि या बुध की दृष्टि भी पड़ जाए, तो स्थिति और गंभीर हो जाती है। यह मेल गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है, खासकर दिल से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। अक्सर इन लोगों को बचपन में कोई बीमारी नहीं होती, लेकिन समय के साथ ग्रहों की दशा बदलने पर उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और अनहोनी की आशंका भी बनी रहती है।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है।