पाकिस्तान में भी गूंजता है ‘ऊं नम: शिवाय’, जानें कहां-कहां हैं शिव मंदिर

भारत-पाकिस्तान के रिश्ते चाहे जैसे रहे हों और पाकिस्तान में मुस्लिम आबादी ज्यादा हो, लेकिन हैरानी की बात है कि वहां आज भी कई शिव मंदिर मौजूद हैं।

धर्म डेस्क | National Khabar

सावन का पवित्र महीना इस साल 11 जुलाई 2025 से शुरू हो रहा है। इस पूरे महीने शिवभक्त भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की भक्ति में लीन रहते हैं, शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और मंदिरों में लंबी कतारें लगती हैं। ऐसा नज़ारा केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान में भी देखने को मिलता है। हालांकि पाकिस्तान एक मुस्लिम बहुल देश है, लेकिन वहां अब भी हिंदू समुदाय के लोग सावन के दौरान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। दरअसल, 1947 के बंटवारे से पहले पाकिस्तान में हिंदुओं की अच्छी-खासी आबादी हुआ करती थी, इसी कारण वहां कई प्राचीन शिव मंदिर आज भी मौजूद हैं और सावन के अवसर पर भक्तों से गुलजार हो जाते हैं।

कटासराज मंदिर — जहां शिव ने बहाए आंसू
पंजाब (पाकिस्तान) के चकवाल ज़िले में स्थित कटासराज मंदिर बहुत ही प्राचीन और पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि माता सती के आत्मदाह के बाद भगवान शिव ने यहां आकर शोक में अपने आंसू बहाए थे। उनके आंसुओं से ही यहां एक पवित्र सरोवर बना, जिसे कटाक्ष कुंड कहा जाता है। कहा जाता है कि इसी कुंड के किनारे महाभारत के दौरान यक्ष और युधिष्ठिर का संवाद हुआ था।

सियालकोट का शिवाला तेजा सिंह मंदिर
भारत की सीमा से लगे सियालकोट शहर में शिवाला तेजा सिंह मंदिर स्थित है, जो विभाजन से पहले हिंदू समुदाय के लिए प्रमुख धार्मिक स्थल था। यह मंदिर सरदार तेजा सिंह ने बनवाया था। विभाजन के बाद यह बंद हो गया और 1992 में इसे तोड़ने की कोशिश हुई। मगर 2015 में इसे दोबारा मरम्मत के बाद खोला गया। सावन में अब भी यहां श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं।

उमरकोट का 1000 साल पुराना शिव मंदिर
सिंध प्रांत के उमरकोट में स्थित यह शिव मंदिर करीब 1000 साल पुराना माना जाता है। महाशिवरात्रि और सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ जुटती है। कहा जाता है कि किसी समय यह जगह घास का मैदान थी। एक चरवाहे ने देखा कि उसकी गाय रोज यहां आकर दूध बहा देती है। जब उसने जगह खोदकर देखी तो शिवलिंग निकला और तब से यहां मंदिर स्थापित हो गया। सिंध के ही टांडो अल्लाहयार में रामापीर मंदिर भी है, जहां भगवान रामापीर को शिव का अवतार माना जाता है।

कराची का रत्नेश्वर महादेव मंदिर
पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची में भी शिवभक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है — रत्नेश्वर महादेव मंदिर। करीब 150 साल पुराना यह मंदिर आज भी जीवंत है। यहां शिव के साथ अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं। सावन में यहां कराची और आसपास के हिंदू श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचकर शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा और फूल चढ़ाते हैं और जयकारों से मंदिर गूंज उठता है।

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