
11 जुलाई से शुरू हो रहे सावन में महिलाएं हरा रंग पहनना शुभ मानती हैं। हरी चूड़ियां, साड़ी, बिंदी और मेहंदी से वे श्रृंगार करती हैं। यह परंपरा धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ी है।
धर्म डेस्क | National Khabar
भोलेनाथ का प्रिय सावन मास 11 जुलाई से शुरू हो रहा है, और इस बार पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा। सावन के आगमन के साथ ही प्रकृति हरे रंग की चादर ओढ़ लेती है और हर तरफ हरियाली ही हरियाली नजर आती है। परंपरा है कि इस महीने में महिलाएं भी अपने श्रृंगार में हरे रंग को शामिल करती हैं — चाहे वह चूड़ियां हों, साड़ी, बिंदी या मेहंदी। आइए जानते हैं, आखिर महादेव और माता पार्वती का हरे रंग से क्या रिश्ता है और सावन में शिवलिंग पर जल अर्पित करने की परंपरा कैसे शुरू हुई।
क्यों खास है सावन और हरा रंग?
धार्मिक ग्रंथों में सावन को भगवान शिव का प्रिय महीना बताया गया है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब विष निकला, तो शिव ने उसे अपने कंठ में धारण कर लिया और उनका कंठ नीला हो गया। इस दौरान प्रकृति ने हरियाली ओढ़कर शिव की तपस्या की और देवी-देवताओं ने उन पर जल अर्पित किया। इसी समय से सावन में शिवलिंग पर जल अर्पित करने की परंपरा का प्रारंभ हुआ।
हरा रंग प्रकृति, जीवन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह भगवान शिव के सृजन और संहार दोनों स्वरूपों को दर्शाता है। शिव को अर्पित किए जाने वाले बेलपत्र और धतूरा भी हरे रंग के होते हैं, जिनकी शीतलता और शांति विशेष मानी जाती है। काशी के ज्योतिषाचार्य बलभद्र तिवारी के अनुसार, हरा रंग न केवल माता पार्वती को प्रिय है, बल्कि शिवजी भी इसे पसंद करते हैं। ज्योतिष में यह बुध ग्रह से जुड़ा माना जाता है, और इसे धारण करने से बुध प्रसन्न होते हैं।
शिव-पार्वती के प्रेम का प्रतीक
सावन में हरा रंग माता पार्वती और भगवान शिव के प्रेम का प्रतीक भी है। माता पार्वती को प्रकृति का स्वरूप माना जाता है, और वे हरे वस्त्र पहनकर भोलेनाथ को प्रसन्न करती हैं। इसी वजह से सुहागिनें सावन में हरे वस्त्र पहनकर माता पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
हरी चूड़ियां, साड़ी और मेहंदी न केवल सौंदर्य बढ़ाती हैं, बल्कि सौभाग्य, प्रेम और भक्ति का प्रतीक भी मानी जाती हैं। हरे रंग की चूड़ियां सुहागिनों के लिए सौभाग्य और समृद्धि का संकेत होती हैं, जबकि मेहंदी का गहरा हरा रंग उनके प्रेम और भक्ति की गहराई को दर्शाता है।
सावन में हरियाली तीज और हरियाली अमावस्या जैसे त्योहार भी इसी परंपरा को और खास बनाते हैं। इन दिनों महिलाएं हरे कपड़े पहनकर झूले झूलती हैं और शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। यह परंपरा न केवल सौंदर्य का उत्सव है, बल्कि आत्मिक शांति और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना का भी एक तरीका है।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है।