
हिंदू धर्म में सावन का महीना बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दौरान हरे रंग का खास महत्व होता है। महिलाएं खासकर हरे रंग की चूड़ियां और कपड़े पहनकर शिव भक्ति में लीन होती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर हरे रंग को इतना खास क्यों माना जाता है? इसके पीछे छिपी धार्मिक और आध्यात्मिक वजह क्या है? आइए इसे विस्तार से जानते हैं।
धर्म डेस्क | National Khabar
सावन का महीना पूरी तरह भगवान शिव की भक्ति और आराधना को समर्पित होता है। इस पवित्र समय में भक्त विशेष पूजा-पाठ करते हैं, व्रत रखते हैं और भोलेनाथ व माता पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए तरह-तरह के अनुष्ठान करते हैं। मान्यता है कि सावन में शिव-पार्वती की भक्ति करने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य, वैवाहिक सुख और समृद्धि का आशीष मिलता है। इस बार श्रावण मास (Sawan 2025) 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त को समाप्त होगा।
इस दौरान हरे रंग का विशेष महत्व होता है। महिलाएं खासतौर पर हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां पहनती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सावन में हरे रंग को इतना महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? आइए जानते हैं इसके धार्मिक, सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक कारण।
सावन में हरा रंग क्यों है खास?
सावन का महीना आते ही प्रकृति नई हरियाली ओढ़ लेती है। चारों तरफ हरियाली फैल जाती है, और यही हरा रंग समृद्धि, जीवन और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव को हरियाली बहुत प्रिय है और वे प्राकृतिक वातावरण में रहना पसंद करते हैं। इसी वजह से सावन में हरे वस्त्र पहनना भोलेनाथ की भक्ति का एक प्रतीक बन गया है।
महिलाएं क्यों पहनती हैं हरी चूड़ियां?
भारतीय संस्कृति में चूड़ियां स्त्री के सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक होती हैं। सावन के महीने में हरी चूड़ियां पहनने की परंपरा इसलिए है क्योंकि हरा रंग सौभाग्य, सुख-शांति और खुशहाली का प्रतीक है। इस दौरान महिलाएं हरी चूड़ियां पहनकर अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन में प्रेम और सुख-शांति की कामना करती हैं।
हरे रंग के मनोवैज्ञानिक फायदे
मनोवैज्ञानिक दृष्टि से हरा रंग मन को शांति देने वाला और तनाव दूर करने वाला होता है। यह आत्मविश्वास को बढ़ाता है, सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है और रचनात्मक सोच को प्रोत्साहित करता है। इसलिए सावन में हरे रंग के वस्त्र पहनना न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी लाभकारी माना जाता है।
इस खबर में दी गई जानकारियाँ धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित हैं। नेशनल ख़बर इनकी पुष्टि नहीं करता।