अपने शरीर के 7 चक्र और उनके रंग: जानिए कैसे करें इन्हें एक्टिवेट

हमारे शरीर में 7 चक्र होते हैं, और प्रत्येक चक्र एक विशिष्ट रंग से जुड़ा होता है। रंग और चक्रों के बीच यह गहरा संबंध हमारे शरीर की ऊर्जा प्रणाली की धुरी है। इन चक्रों को संतुलित और जागृत करके हम अपनी आंतरिक ऊर्जा को नियंत्रित और विकसित कर सकते हैं। आइए, इंसान के इन रहस्यमय चक्रों के बारे में विस्तार से जानें।

धर्म डेस्क | National Khabar

हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं, जो हमारे संपूर्ण अस्तित्व को नियंत्रित करते हैं। ये चक्र शरीर के सात ऊर्जा केंद्रों का प्रतीक हैं और शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक ऊर्जाओं को संतुलित करते हैं। हर चक्र का एक विशेष रंग होता है, जो उसकी ऊर्जा से गहराई से जुड़ा होता है। इसी कारण रंग और चक्रों का आपसी संबंध हमारे जीवन पर सीधा असर डालता है और हमारे कल्याण को प्रभावित करता है।

अपने शरीर के 7 चक्रों को करें सक्रिय: जानें कौन सा रंग किस चक्र का प्रतिनिधित्व करता है

हमारे शरीर में सात प्रमुख चक्र होते हैं। ये चक्र हमारे ऊर्जा केंद्र हैं, जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक अवस्थाओं को प्रभावित करते हैं। हर चक्र एक विशेष रंग से जुड़ा होता है, जो उसकी ऊर्जा के साथ गहराई से संबंध रखता है। रंग और चक्रों का यह आपसी रिश्ता हमारे जीवन को संतुलित और सक्रिय बनाने में अहम भूमिका निभाता है। रंगों के माध्यम से चक्रों को संतुलित करना ही कलर थेरेपी कहलाता है। आइए जानते हैं किस चक्र का कौन सा रंग है, उसका कार्य क्या है और उसके सकारात्मक–नकारात्मक पहलू क्या हैं।

  1. मूलाधार चक्र (लाल रंग)

स्थान: रीढ़ की हड्डी का आधार

कार्य: सुरक्षा, ग्राउंडिंग, कुंडलिनी ऊर्जा, भय को नियंत्रित करना

नकारात्मक स्थिति: असुरक्षा, भय, लालच, बेचैनी, अलगाव

सकारात्मक स्थिति: स्थिरता, सुरक्षा की भावना, संतोष, नैतिकता, प्रतिबद्धता

मंत्र: लम

  1. स्वाधिष्ठान चक्र (नारंगी रंग)

स्थान: नाभि के नीचे

कार्य: भावनाओं और कामुकता का संतुलन

नकारात्मक स्थिति: थकान, उदासी, अवसाद, लालच

सकारात्मक स्थिति: खुशी, आनंद, प्रचुरता, संतुष्टि

मंत्र: वम

  1. मणिपुर चक्र (पीला रंग)

स्थान: नाभि से तीन इंच ऊपर

कार्य: आत्मविश्वास और व्यक्तिगत शक्ति

नकारात्मक स्थिति: आत्म-संदेह, आत्म-मूल्य की कमी, उपलब्धियों की कमी

सकारात्मक स्थिति: आत्मविश्वास, सफलता, सशक्तिकरण

मंत्र: राम

  1. अनाहत चक्र (हरा रंग)

स्थान: हृदय

कार्य: प्रेम और करुणा

नकारात्मक स्थिति: घृणा, अलगाव, बेहोशी

सकारात्मक स्थिति: प्रेम, समूह चेतना, करुणा

मंत्र: यम

  1. विशुद्ध चक्र (आसमानी नीला रंग)

स्थान: गला

कार्य: संचार और आत्म-अभिव्यक्ति

नकारात्मक स्थिति: संचार में रुकावट, आत्म-अभिव्यक्ति की कमी, सुस्त ऊर्जा

सकारात्मक स्थिति: स्पष्ट संचार, रचनात्मकता, ध्वनि की शक्ति

मंत्र: हम

  1. आज्ञा चक्र (नीला रंग)

स्थान: भौंहों के बीच (तीसरी आंख)

कार्य: अंतर्ज्ञान और बुद्धि

नकारात्मक स्थिति: तनाव, अवसाद, मानसिक धुंध

सकारात्मक स्थिति: अंतर्ज्ञान, स्पष्टता, प्रकाश, टेलीपैथी

मंत्र: ओम

  1. सहस्त्रार चक्र (बैंगनी रंग)

स्थान: सिर के ऊपर

कार्य: आध्यात्मिक जागरूकता और ज्ञान

नकारात्मक स्थिति: थकान, सिरदर्द, अनिद्रा, आत्म-चेतना की कमी

सकारात्मक स्थिति: आध्यात्मिक दृष्टि, ज्ञानोदय, दिव्यता

मंत्र: सार्वभौमिक ध्वनि

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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