
करोल बाग तिब्बिया कॉलेज परिसर में रह रहे शरणार्थी परिवारों पर बेघर होने का संकट, पुनर्वास की मांग तेज
Written by: Himanshi Prakash, National Khabar
दिल्ली के करोल बाग स्थित आयुर्वेदिक और यूनानी तिब्बिया कॉलेज एवं अस्पताल परिसर में बीते चार दशकों से रह रहे 218 शरणार्थी परिवार इन दिनों गहरे असमंजस और तनाव में हैं। दिल्ली सरकार द्वारा परिसर की जमीन खाली कराने का आदेश जारी होने के बाद इन परिवारों का भविष्य अधर में लटक गया है।
सरकार के इस आदेश पर तिब्बिया कॉलेज वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) ने नाराज़गी जताई है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि वे जमीन खाली करने को तैयार हैं, लेकिन चिंता की बात यह है कि अभी तक उनके पुनर्वास के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है।
1947 के विभाजन के समय पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थी परिवारों को, तत्कालीन राजनेताओं और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निर्देश पर, कॉलेज परिसर में बने अस्थायी शिविरों में बसाया गया था। बाद में कॉलेज स्टाफ के लिए बनाए गए आवासीय कमरों को भी इन परिवारों को अस्थायी रूप से सौंपा गया।
तब से लेकर आज तक चार पीढ़ियों से ये परिवार उसी जमीन पर रह रहे हैं। शुरुआत में वे कॉलेज प्रशासन को 15 रुपये प्रति माह किराया भी देते थे।
वेलफेयर एसोसिएशन का कहना है कि जहां भी दिल्ली सरकार ने अन्य जगहों पर झुग्गियों या अस्थायी बस्तियों को हटाया है, वहां पुनर्वास के तहत जमीन या फ्लैट उपलब्ध कराए गए हैं। लेकिन तिब्बिया कॉलेज परिसर में रह रहे परिवारों के साथ यह भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है।
स्थानीय निवासियों की मांग है कि सरकार उन्हें बेघर न करे, बल्कि बातचीत कर समाधान निकाले और वैकल्पिक जमीन या आवास की व्यवस्था सुनिश्चित करे।