210 तबादलों में लेनदेन का आरोप, सभी तबादले रद्द

स्टांप और पंजीयन विभाग में तबादलों के दौरान हुए भ्रष्टाचार की शिकायत पर सख्त कार्रवाई करते हुए सरकार ने आईजी स्टांप को पद से हटा दिया है। साथ ही विभाग में किए गए सभी तबादलों को रद्द कर दिया गया है।

Written by: Himanshi Prakash, National Khabar

स्टांप एवं पंजीयन विभाग में तबादलों के दौरान बड़े पैमाने पर पैसे के लेनदेन की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कार्रवाई की है। उन्होंने महानिरीक्षक निबंधक (आईजी स्टांप) समीर वर्मा को पद से हटाकर प्रतीक्षारत सूची में डाल दिया है। साथ ही समीर वर्मा द्वारा किए गए सभी 210 तबादलों को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है।

स्टांप एवं पंजीयन विभाग में तबादलों के दौरान बड़े पैमाने पर पैसे के लेनदेन की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त कार्रवाई की है। उन्होंने महानिरीक्षक निबंधक (आईजी स्टांप) समीर वर्मा को पद से हटाकर प्रतीक्षारत सूची में डाल दिया है। साथ ही समीर वर्मा द्वारा किए गए सभी 210 तबादलों को भी तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है।

स्टांप और पंजीयन विभाग में तबादलों को लेकर बड़ा एक्शन: आईजी समीर वर्मा हटाए गए, जांच के आदेश
स्टांप एवं पंजीयन विभाग में तबादलों के दौरान कथित भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा रुख अपनाते हुए आईजी स्टांप समीर वर्मा को हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया है। उनके द्वारा किए गए सभी 210 तबादलों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है।

यह कार्रवाई स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल की ओर से की गई शिकायत के बाद हुई है। जायसवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर समीर वर्मा पर खुलेआम भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। उन्होंने बताया कि तबादलों में भारी लेनदेन हुआ है और भ्रष्ट अधिकारियों को प्रमुख पदों पर तैनाती दी गई है।

बिना अनुमति किए 210 तबादले
मुख्यमंत्री के निर्देश के बावजूद आईजी समीर वर्मा ने मंत्री से चर्चा किए बिना ही 58 उप निबंधकों, 114 लिपिकों, 8 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और 30 नए कर्मियों के तबादले 13 जून को कर दिए थे। इसके बाद खानापूर्ति के तौर पर 15 जून को तबादलों की सूची मंत्री के समक्ष रखी गई।

मंत्री ने अपने पत्र में लिखा कि तबादलों में न केवल नियमों की अनदेखी की गई बल्कि कई मामलों में इंटर पास बाबुओं को रजिस्ट्रार जैसे पदों पर तैनात कर दिया गया। बार-बार मांगने के बावजूद आईजी ने तबादले से संबंधित प्रस्ताव भी उपलब्ध नहीं कराया।
मेरठ के बिल्डर से कथित सांठगांठ

सूत्रों के मुताबिक समीर वर्मा का मेरठ के एक बिल्डर से लंबे समय से संबंध रहा है। डीएम रहते समय से ही उनके इस बिल्डर से करीबी संबंध रहे और अब नोएडा से लेकर एनसीआर के कई जिलों में तबादले उसी बिल्डर के इशारे पर किए गए। आरोप है कि इन तबादलों में जमकर पैसे का लेन-देन हुआ, जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंची।

एसटीएफ जांच की मांग
राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल ने इस पूरे मामले की जांच एसटीएफ से कराने का अनुरोध किया है। साथ ही उन्होंने आईजी स्टांप को विभाग से हटाने और लंबी छुट्टी पर भेजने की सिफारिश की थी। मुख्यमंत्री ने सभी सुझावों पर कार्रवाई करते हुए तबादलों को रद्द कर जांच के निर्देश दे दिए हैं। वहीं, आईजी स्टांप का अतिरिक्त कार्यभार अब स्टांप और परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव अमित गुप्ता को सौंपा गया है।

अखिलेश यादव का तंज
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस कार्रवाई को लेकर सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए लिखा, जिसको ट्रांसफ़र में नहीं मिला हिस्सा, वही राज खोलके सुना रहा है किस्सा। कई मंत्रियों ने ट्रांसफर की फ़ाइल की ‘फीस’ नहीं मिलने पर फाइल लौटा दी है। इंजन तो ठीक था, पर डिब्बे भी ईंधन के जुगाड़ में लगे हैं।

स्वास्थ्य विभाग में भी तबादले को लेकर विवाद
स्टांप विभाग के बाद अब स्वास्थ्य विभाग में भी तबादले को लेकर घमासान सामने आया है। निदेशक प्रशासन भवानी सिंह खंगारौत को हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया गया है और उनका कार्यभार विशेष सचिव आर्यका अखौरी को सौंपा गया है।

स्वास्थ्य विभाग में इस साल अब तक कोई तबादला नहीं हुआ है। महानिदेशालय द्वारा भेजी गई सूची पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सिर्फ ‘संज्ञान लिया’ लिखकर छोड़ दिया, जिससे नाराजगी के संकेत मिले। अंदरखाने चल रही खींचतान को देखते हुए भवानी सिंह पर कार्रवाई तय मानी जा रही थी।

यूपी सरकार के ट्रांसफर सीजन में लगातार सामने आ रही अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ा एक्शन लेते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर गाज गिराई है। यह साफ संकेत है कि सरकार अब तबादलों को लेकर पारदर्शिता और नियमों की सख्ती से पालना सुनिश्चित करना चाहती है।

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