
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के वेलकम इलाके की जनता कॉलोनी में शनिवार सुबह दर्दनाक हादसा हो गया। चार मंजिला इमारत भरभराकर गिरने से एक ही परिवार के छह लोगों की मौत हो गई, जिनमें दो साल की मासूम भी शामिल है। हादसे में आठ लोग घायल हुए हैं। घटना के वक्त इमारत में दस लोग मौजूद थे। मलबा गिरने से आसपास के तीन अन्य मकान भी क्षतिग्रस्त हो गए।
Written by Himanshi Prakash, National Prakash
पूर्वी दिल्ली में देर रात खाने के बाद अब्दुल मतलूब (55) का परिवार हंसी-मजाक करते हुए अपने-अपने फ्लोर पर सोने चला गया। किसी को अंदाजा नहीं था कि अगली सुबह मौत उनका दरवाजा खटखटाने वाली है और परिवार के छह सदस्यों को हमेशा के लिए छीन लेगी। हादसे में घायल परवेज ने बताया कि सभी लोग देर से सोए थे, इसलिए सुबह गहरी नींद में थे। तभी अचानक जोरदार कंपन महसूस हुई। चौथी मंजिल पर सो रहे परवेज को लगा कि शायद भूकंप आ गया है। वह जैसे ही जागा, मकान तेज धमाके के साथ धराशायी हो गया।
मलबे में आधा दबे परवेज को लगा कि अब बचना मुश्किल है, लेकिन तभी पड़ोसी और उसका दोस्त रिजवान आवाज लगाते हुए आए और उसे मलबे से खींचने लगे। उस पल परवेज को एहसास हुआ कि अभी सांसें बाकी हैं। कुछ ही देर में रिजवान ने उसे बाहर निकाल लिया। उसके सिर से लगातार खून बह रहा था।
लहूलुहान और बदहवास परवेज ने बाहर निकलते ही अपनी पत्नी, बेटे और परिवार के बाकी लोगों के बारे में पूछना शुरू किया। तभी उसकी नजर मलबे में दबी पत्नी शीजा, बेटा अहमद और भाई नावेद पर पड़ी। अपनी तकलीफ भूलकर परवेज उन्हें बचाने में जुट गया। बेटे अहमद को बेहोश देख वह घबरा गया, लेकिन जब उसने अहमद के सीने पर कान रखकर उसकी धड़कन सुनी, तो उसकी जान में जान आई।
अहमद को छोड़कर सभी की हालत स्थिर बताई जा रही है। इस बीच पड़ोसी भी मौके पर जुट गए और राहत एवं बचाव कार्य में मदद करने लगे। परवेज, शीजा, अहमद और नावेद को तुरंत अस्पताल भेजा गया। डॉक्टरों ने बताया कि अहमद की हालत नाजुक है और वह वेंटिलेटर पर है, जबकि बाकी सभी की स्थिति स्थिर है। अब्दुल मतलूब के भतीजे सरफराज ने बताया कि उनके चाचा आनंद विहार के सी-ब्लॉक में ड्राई क्लीनिंग का काम करते हैं।
परवेज, जावेद और नावेद भी उनके साथ काम करते थे। मकान की पहली मंजिल पर उनके चाचा अब्दुल मतलूब, चाची राबिया, भाई अब्दुल्ला और जावेद रहते थे। दूसरी मंजिल पर उनकी शादीशुदा बहन जूबिया अपनी बेटी फौजिया और भाई नावेद के साथ रहती थीं।
जूबिया की ससुराल लोनी में है, लेकिन पिछले कुछ समय से उसका अपने पति आज़म से विवाद चल रहा था, जिसके चलते वह मायके में रह रही थी। चौथी मंजिल पर परवेज अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहता था।
शुक्रवार रात नावेद छत पर सोने चला गया था। शनिवार सुबह जब हादसा हुआ, तब परवेज और नावेद ऊपरी मंजिलों पर थे, इसी वजह से उनकी जान बच गई। दुर्भाग्य से, मतलूब, राबिया, अब्दुल्ला, जावेद, जूबिया और फौजिया निचली मंजिलों पर मौजूद होने के कारण इमारत के मलबे में दब गए।
चारों तरफ धूल का गुबार छा गया…
सुबह के करीब सात बज रहे थे। कोई अब भी नींद में था तो कोई नाश्ता करने या अपने काम में लगा हुआ था। तभी मोहल्ले वालों ने अचानक जोरदार आवाज सुनी। एक पल के लिए लगा मानो बृहस्पतिवार की तरह फिर से भूकंप आया हो। लोग घबराकर घरों से बाहर भागे तो गली में सिर्फ धूल का घना गुबार था, कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। जब धूल धीरे-धीरे छटी, तब पता चला कि अब्दुल मतलूब का मकान पूरी तरह ढह चुका था।
मौके पर पहुंचे लोगों ने देखा कि हादसे में सब्जी विक्रेता गोविंद और सोना देवी के मकान को भी नुकसान पहुंचा है। गोविंद के मकान का अगला हिस्सा ढह चुका था। पड़ोसी सलमान ने कहा कि अगर मलबा तुरंत हटाया जाता तो शायद कुछ और लोगों की जान बचाई जा सकती थी। प्रशासन की लापरवाही के चलते शाम पांच से साढ़े पांच बजे के बीच मलबे में दबे लोगों को मृत अवस्था में बाहर निकाला गया। पुलिस ने एहतियात के तौर पर आसपास के कई मकानों को खाली करवा दिया है।
चार मंजिला इमारत ढही, एक ही परिवार के छह लोगों की दर्दनाक मौत
शनिवार सुबह उत्तर-पूर्वी दिल्ली के वेलकम इलाके स्थित जनता कॉलोनी में एक चार मंजिला इमारत अचानक ढह गई। इस हादसे में एक ही परिवार के छह सदस्यों सहित दो साल के एक मासूम बच्चे की भी दर्दनाक मौत हो गई।
जबकि आठ लोग घायल हो गए। घटना के वक्त इमारत में कुल दस लोग मौजूद थे। मलबे की चपेट में आकर आसपास के तीन और मकान भी क्षतिग्रस्त हो गए। दिल्ली सरकार ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सुबह इमारत गिरते ही जोरदार धमाका हुआ, जिसे सुनकर लोग घबराकर मौके पर पहुंच गए। मलबे से चार लोगों और एक मासूम को बचाया गया, जबकि पड़ोस के मकान से चार अन्य लोगों को निकालकर अस्पताल पहुँचाया गया। पुलिस, दमकल, एनडीआरएफ, जिला प्रशासन और नगर निगम की टीमें तुरंत मौके पर पहुँच गईं, लेकिन महज चार फीट चौड़ी गली, आपस में सटे हुए मकानों के छज्जे और बिजली के झूलते तारों के कारण राहत और बचाव कार्य बेहद मुश्किल हो गया। इस दौरान, स्थानीय निवासियों ने मानव श्रृंखला बनाकर मलबा हटाने में सहयोग किया।
भूतल पर था आंगनबाड़ी केंद्र
करीब 35 गज में बनी इस चार मंजिला इमारत के भूतल पर आंगनबाड़ी केंद्र चलता था। ऊपर की मंजिलों पर यूपी के बिजनौर निवासी अब्दुल मतलूब अपनी पत्नी राबिया, चार बेटों—परवेज, जावेद, नावेद, अब्दुल्ला उर्फ भूरा—बहू शीजा, पोते अहमद, बेटी जूबिया और दो साल की नवासी फौजिया के साथ रहते थे। इस हादसे में अब्दुल, राबिया, जावेद, जूबिया, अब्दुल्ला और फौजिया की मौत हो गई।