
9 जुलाई को यूपी विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने एक पत्र जारी कर इन तीनों विधायकों को विधानसभा से असंबद्ध कर दिया। अब मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह विधायक नहीं रह गए हैं। विधानसभा सचिवालय ने भी इन्हें असंबद्ध घोषित कर दिया है।
Written by Himanshi Prakash, National Khabar
समाजवादी पार्टी से 23 जून को निकाले गए मनोज कुमार पांडेय, राकेश प्रताप सिंह और अभय सिंह को अब विधानसभा सचिवालय ने भी असम्बद्ध कर दिया है। इस संबंध में प्रमुख सचिव विधानसभा प्रदीप कुमार दुबे ने पत्र जारी किया है।
राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ वोट देने पर समाजवादी पार्टी ने कार्रवाई करते हुए रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज कुमार पांडेय, अमेठी की गौरीगंज सीट से विधायक राकेश प्रताप सिंह और अयोध्या की गोसाईगंज सीट से विधायक अभय सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसके बाद 9 जुलाई को विधानसभा सचिवालय ने भी इन्हें असम्बद्ध घोषित कर दिया। अब ये तीनों विधायक नहीं रह गए हैं।
समाजवादी पार्टी ने 23 जून को ऊंचाहार के विधायक मनोज कुमार पांडेय, गौरीगंज के विधायक राकेश प्रताप सिंह और गोसाईंगंज के विधायक अभय सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद 5 जुलाई को पार्टी ने उनके निष्कासन की सूचना विधानसभा सचिवालय को दी। समाजवादी पार्टी का पत्र मिलने के महज चार दिन बाद ही विधानसभा सचिवालय ने तीनों को असम्बद्ध घोषित कर दिया।
पिछले साल हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान इन तीनों विधायकों ने अपनी पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार आलोक रंजन के खिलाफ जाकर क्रॉस वोटिंग की थी और भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। अब ये तीनों विधायक सदन में किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े नहीं माने जाएंगे।
समाजवादी पार्टी ने इन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ये “सांप्रदायिकता और सामाजिक विभाजन को हवा देने” के साथ-साथ “किसान विरोधी, महिला विरोधी, युवा विरोधी और व्यापार विरोधी नीतियों” को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। पार्टी की ओर से की गई इस कार्रवाई को एक बड़ी और सख्त कदम के तौर पर देखा गया।
सपा ने इस कार्रवाई की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की। पोस्ट में लिखा गया कि विधायक अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह और मनोज कुमार पांडेय को उनकी समाजवादी पार्टी ने सदस्य को “सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति” तथा “किसानों, महिलाओं, युवाओं, व्यवसायियों, कर्मचारियों एवं विकास विरोधी नीतियों” को बढ़ावा देने के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया है।
पोस्ट में यह भी कहा गया कि इन विधायकों को हृदय परिवर्तन का अवसर देने के लिए तय की गई अनुग्रह-अवधि पूरी हो चुकी थी, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। शेष जिनकी अवधि अभी बाकी है, उनका आचरण अब तक अपेक्षित रहा है। भविष्य में भी ‘जनविरोधी’ तत्वों के लिए पार्टी में कोई जगह नहीं होगी और पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ जाने वाली गतिविधियां हमेशा अक्षम्य मानी जाएंगी। पोस्ट के अंत में संदेश दिया गया — जहां रहें, विश्वसनीय रहें।