Justice Yashwant Verma Case: कैश इन कोठी’ केस: संदिग्ध शख्स की पहचान पर बढ़ी जांच, यशवंत वर्मा की बेटी और स्टाफ के बयान संदिग्ध

Justice Yashwant Verma Case से जुड़े चर्चित ‘कैश-इन-कोठी’ मामले में जांच को नई दिशा देने वाला एक महत्वपूर्ण सबूत सामने आया है। जांच समिति को 15 मार्च की सुबह की एक तस्वीर मिली है, जिसमें फायरफाइटर्स जली हुई नकदी से भरी बोरियों के पास खड़े दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, इसी तस्वीर में चेक शर्ट पहने एक अज्ञात व्यक्ति भी नजर आ रहा है, जिसकी मौजूदगी ने जांच में नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

Written by: Himanshi Prakash, National Khabar

क्या यह व्यक्ति नकदी हटाने में शामिल था?
जांच समिति को आशंका है कि यह अज्ञात शख्स जस्टिस वर्मा के निजी सचिव राजेंद्र सिंह कार्की, स्टाफ के सदस्य मोहम्मद राहिल, बबलू और हनुमान के साथ मिलकर जली हुई नकदी को ठिकाने लगाने में शामिल हो सकता है। समिति के अनुसार, इस व्यक्ति ने रात 1 बजे से सुबह 7 बजे के बीच नकदी हटाने की कोशिश की।
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि तस्वीर में एक फायरमैन स्टोर के प्रवेश द्वार पर टॉर्च लेकर खड़ा है और वीडियो बना रहा है। मलबा स्टोर के पीछे रखा गया है और उसी फ्रेम में दाईं ओर एक अज्ञात व्यक्ति खड़ा दिखाई देता है। यह भी आशंका जताई गई है कि यह व्यक्ति घटनास्थल पर मौजूद लोगों से जुड़ा हुआ हो सकता है।

जांच समिति ने क्या कहा?
इस पूरे मामले की जांच के लिए तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की समिति गठित की गई थी
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जी. एस. संधावालिया
कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन

समिति ने जस्टिस वर्मा के तुगलक क्रीसेंट स्थित बंगले में 14 मार्च की रात लगी आग की विस्तृत जांच की। समिति के अनुसार, उस समय बंगले में जस्टिस वर्मा की बेटी, उनकी बीमार मां (जिनसे पूछताछ नहीं हो सकी), निजी सचिव कार्की और कुछ घरेलू कर्मचारी मौजूद थे।

समिति को अवैध नकदी के ठोस प्रमाण मिलने के बावजूद, जांच के दौरान सभी पक्षों ने भ्रामक और असत्य बयान दिए। इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य तथा फोरेंसिक जांच से प्राप्त वीडियो क्लिप्स प्रस्तुत किए जाने पर भी, वे अपने गलत बयानों पर कायम रहे।

गवाह नंबर 54: जस्टिस वर्मा की बेटी

जांच रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा की बेटी को ‘गवाह नंबर 54’ के रूप में नामित किया गया है। वह उस रात परिवार की इकलौती सदस्य थीं (जस्टिस वर्मा की मां को छोड़कर) जो घर में मौजूद थीं।
कार्की और तीनों कर्मचारियों ने समिति के सामने हैरान कर देने वाला बयान दिया कि उन्होंने स्टोर रूम में जली हुई नकदी नहीं देखी। हालाँकि, समिति ने इन दावों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि “इन बयानों पर बिना किसी संदेह के भरोसा नहीं किया जा सकता।”

कर्मचारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में
समिति ने यह भी खुलासा किया कि जस्टिस वर्मा ने जिन घरेलू कर्मचारियों को रखा था, वे लंबे समय से उनके संपर्क में थे। समिति का मानना है कि इन कर्मचारियों ने न सिर्फ सच छिपाया बल्कि सबूतों को लेकर विरोधाभासी बातें भी कहीं।
जांच में यह भी सामने आया कि जब जस्टिस वर्मा की बेटी को वीडियो क्लिप्स दिखाए गए, तो उन्होंने स्पष्टीकरण दिया कि “यह कमरा शायद उनके घर का नहीं है”। इतना ही नहीं, उन्होंने वीडियो में सुनाई दे रही राजेंद्र सिंह कार्की की आवाज को भी पहचानने से इनकार कर दिया।

जब कार्की ने मानी अपनी आवाज
हालांकि, निजी सचिव कार्की ने खुद माना कि वीडियो में जो आवाज है, वह उनकी ही है। लेकिन उन्होंने समिति को बताया कि उन्हें इस घटना की जानकारी छह-सात दिन बाद मिली। यह बयान भी समिति को संदेहास्पद लगा, क्योंकि मौके पर मौजूद सभी लोग पहले से जानते थे कि क्या हुआ है।

समिति की रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा, उनके स्टाफ और बेटी की भूमिका को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं। विशेष रूप से उस चेक शर्ट पहने अज्ञात शख्स की पहचान को लेकर अब जांच और तेज हो सकती है। क्या वह वाकई नकदी को हटाने में शामिल था, या केवल एक राहगीर था—यह सच्चाई अब आने वाली जांच रिपोर्ट पर निर्भर करेगी।
जांच जारी है और आने वाले समय में इस हाई-प्रोफाइल मामले में कई और चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।

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