इसूदान गढ़वी को क्यों चुना गया सीएम पद का उम्मीदवार?
रिपोर्ट :- प्रज्ञा झा
चुनाव आयोग द्वारा गुजरात चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने गुजरात में आम आदमी पार्टी के सीएम पद के दावेदार के नाम का ऐलान कर दिया है ।जो कि है इसूदन गढ़वी। इसूदान गढ़वी गुजरात के एक लोकप्रिय एंकर रह चुके हैं और जून 2021 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे । लेकिन सबसे बड़ा सवाल जो मन में उठता है कि इतने सारे मुख्यमंत्री पद के दावेदार होने के बावजूद इसूदान गढ़वी को ही क्यों सीएम पद के लिए चुना गया। गोपाल इटालिया , महासचिव मनोज सोथिया जैसे बड़े नाम मुख्यमंत्री पद के लिए एकदम सटीक बैठते हैं तो फिर क्यों किसी नए दावेदार पर इतना विश्वास की चंद दिनों के अंदर में ही सीएम पद के लिए चुना गया।
- गढ़वी का OBC होना।
गुजरात में ओबीसी के फीसद की अगर बात करें तो यह करीबन 48% है और गढ़वी जाति की बात करें तो यह संख्या सिर्फ 1% है । लेकिन यह कयास लगाए जा रहे हैं कि ओबीसी होने के कारण इसूदान गढवी को ज्यादा वोट मिल सकते हैं और इससे हार और जीत का पलड़ा भारी हो सकता है।
- गढ़वी की साफ छवि।
चुनाव में सीएम पद के लिए चुने जाने का सबसे बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि गढ़वी की कभी भी ऐसी छवि नहीं बनी है कि वह किसी घोटाले में नज़र आए हैं या फिर किसी तरीके के केस में उनका नाम जाहिर तौर पर शामिल हुआ हो। कुछ ऐसी घटनाएं हैं जहां पर गढवी के खिलाफ थाने में केस दर्ज है लेकिन वह गंभीर आरोप नहीं लगाते।
- जाना माना चेहरा होना।
इसूदान गढ़वी सियासी जंग में उतरने से पहले एक एंकर और रिपोर्टर भी रह चुके थे और गुजरात में महामंथन नाम से इनका शो 8:00 से 9:00 तक चलता था जो कि इतना लोकप्रिय हुआ कि इसे आधे घंटे और बढ़ाया गया। यहां पर यह गरीब ,किसान और आम आदमी के जो भी सवाल होते थे उन्हें नेताओं से पूछा करते थे। जिसके कारण उनकी यह छवि बनी कि वह गरीबों का समर्थन करने वाले नेता भी साबित हो सकते हैं।
- इसूदान के परिवार का राजनीति से कोई वास्ता नहीं रहा।
इसूदान गढवी के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो उनका या उनके परिवार का राजनीति से कभी किसी तरीके का संबंध नहीं रहा और एक लोकप्रिय चेहरा होने के कारण आम आदमी पार्टी ने उन पर दांव लगाया है। जिससे कि गुजरात में भाजपा शासन से जो लोग परेशान हैं और कांग्रेस की कमजोर तैयारियों के कारण किसी तरीके से उन वोटों को आम आदमी पार्टी इकट्ठा कर ले तो इससे हार और जीत का फैसला साफ हो जाएगा।