क्या है कॉलेजियम सिस्टम?
रिपोर्ट : प्रज्ञा झा
हम सबने अपने जीवन में कई बार सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के नाम पढ़े हैं और उनके द्वारा दिए गए महान फैसलों के बारे में भी पढ़ा है। लेकिन जब बात इनके चुनाव की हो कि CJI आखिर चुने कैसे जाते हैं? तो इसके लिए नीचे लिखे गए इस पूरे आर्टिकल को पढ़ें।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया गणतंत्र का सर्वोच्च पद होता है संविधान में 1 चीफ जस्टिस और 30 न्यायाधीश का प्रावधान किया गया है। किसी भी इंसान की चीफ जस्टिस बनने की उम्र 65 वर्ष होती है यानी कि 65 वर्ष तक ही सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बना रह सकता है। वर्तमान समय में हमारे शर्वोच्य न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश है “उदय उमेश ललित” जो की 49th न्यायाधीश है ,जिनका कार्यकाल 8 नवंबर 2022 को खत्म होने वाला है। अब अगले सीजेआई डॉक्टर डीवाई चंद्रचूड़ बनने वाले है। ये पहली बार होगा की किसी CJI ने किसी दूसरे को CJI बनने के लिए सरकार को नाम सजेस्ट किया है। जिसके बाद अब ये बात साफ हो गई है की अगले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ बनने वाले है।
कैसे चुना जाता है सुप्रीम कोर्ट का न्यायधीश?
मुख्य न्यायाधीस का चुनाव सरकार की NJAC यानी नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन बॉडी के अंदर आता है। जिसमे कॉलेजियम सिस्टम को अपनाया जाता है।
क्या है कॉलेजियम सिस्टम?
कॉलेजियम सिस्टम के अंतर्गत देश का सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट का चार और जज मिलकर अगले जज के बारे में विचार विमर्श करते है की अलगा चीफ जस्टिस कौन हो सकता है। इस पद के लिए हाई कोर्ट के जज भी हो सकते है या फिर कोई भी वकील जो काफी अनुभवी हो उनमें से किसी भी एक को चुना जाता है।
सविधान क्या कहता है।
संविधान के Article 124 के अंदर सर्वोच्य न्यायाधीस के चुनाव को रखा गया है। जिसमे सभी जज के विचार विमर्श के बाद देश के राष्ट्रपति के अनुमति से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को नियुक्त किया जाता है।
कौन है डीवाई चंद्रचूड़?
धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ इस समय “सुप्रीम कोर्ट के जज” है और “इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस” है वही वह “नेशनल लीगल अथॉरिटी” के चेयरमैन है और “बॉम्बे हाईकोर्ट में पूर्व न्यायाधीश”।
“डीवाई चंद्रचूड़” “यशवंत विष्णु चंद्रचूड़” के पुत्र हैं, जो कि हमारे देश में सबसे लंबे समय तक मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
यशवंत चंद्रचूड़ अपने लिए गए फैसलों के लिए काफी ज्यादा मशहूर है।
2017 में निजिता के आधार पर एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए इससे मौलिक अधिकार के रूप में बताया गया था और यह फैसला 9 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से लिया था।
निजता के कानून को लेकर ही 40 साल पहले इनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ ने भी एक फैसला सुनाया था जिस को चुनौती देते हुए डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया कि निजता का कानून संविधान में आर्टिकल 21 के जीवन और व्यक्तिगत गारंटी से निकल कर आता है।
24 July 2022 को महिलाओं के लिए भी एक बड़ा फैसला लिया था
जिसमें यह कहा गया था कि अविवाहित महिलाएं भी गर्भपात करा सकती हैं।
इस तरीके के और भी कई फैसले डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा लिए गए हैं जिन्होंने इनका नाम सुर्खियों में लाकर शुमार कर दिया।