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चीन क्यों विकासशील देशों के 5 हजार सैनिकों को प्रशिक्षण देने की कर रहा है बात

रिपोर्ट: नेशनल ख़बर

दुनिया के भूरणनीतिक हालात में चीन की कोशिश अमेरिका को हावी होने से रोकने की है, जबकि दूसरी तरफ अमेरिका कह रहा है चीन खुद की मंशा अंतरराष्ट्रीय सहयोग की कम बल्कि स्वार्थपूर्ण विस्तारवादी रही है।


अमेरिका के दावे का दम कई बार नजर आता है जब वह भारत सहित अपने पड़ोसियों के इलाकों पर कब्जा करने वाले काम करता दिखता है। लेकिन चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी भागीदारी को बढ़ाने का प्रयास करने में ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है और उसने ऐलान कर दिया है कि अगले पांच वर्षों में वह विकासशील देशों के पांच हजार सैनिकों को ट्रेनिंग देगा।


ऐसे में यह जानना जरूरी है कि चीन आखिर इस भलनसाहत के पीछे का इरादा कितना नेक है?


चीन के अखबार साउथ चाइना पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार चीन ने यह ऐलान इसलिए किया क्योंकि इस प्रशिक्षण से आतंकवाद, साइबर क्राइम, आदि खतरों से निपटने में विकासशील देशों की वो मदद करना चाहता है। यह कदम चीन का विकासशील देशो के लिए अपनी ओर से सहयोगात्मक रूख को बढावा देने के लिए उठाया गया है।


माना तो यह भी जा रहा है कि इस नवाचार कदम के जरिए चीन पश्चिमी देशों के वर्चस्व वाली विश्व सुरक्षा व्यवस्था को हावी होने से रोकना चाहता है। यह विचार सबसे पहले पिछले वर्ष अप्रैल में ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिन ने बोआओ फोरम फॉर एशिया की वार्षिक सम्मेलन में रखा था।


चीन ही नहीं दुनिया में कई देश भी यह मानते हैं कि अमेरिका इकलौता दुनिया में एकमात्र महाशक्ति बने रहना चाहता है।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक चीन अंतरराष्ट्रीय मंच पर और ज्यादा आदान प्रदान तथा सहयोग करना जाहता है जिससे आंतकवाद के खिलाफ सुरक्षा चुनौतियों से निपट सकें। इसके अलावा साइबर, सिक्योरिटी, बायोसिक्योरिटी और उभरती तकनीकों की वजह से भी सुरक्षा मामलों में आ रही चुनौतियों से निपटने में मदद की जा सके।

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