दिल्ली में बारिश ने बढ़ाई सरकार की मुश्किलें , दिल्ली सरकार का “पैरिस” का सपना हुआ चूर
रिपोर्ट :- प्रज्ञा झा
रविवार को देश की राजधानी दिल्ली में मूसलाधार बारिश के चलते सड़कें डूब गयी और यमुना का पानी खतरे की निशानी को पार करने की कगार पार पहुंचे गया। भारी बारिश के चलते दिल्ली सरकार की चिंता बढ़ गयी है। अब दिल्ली सरकार को ध्यान देना होगा की बचाव कार्य कैसे किया जाए। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने मौसम की मार झेल रही दिल्ली की स्थिति के बारे में जानकारी लेने और समाधान के बारे चर्चा करने के लिए मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई। जिसमें मंत्री सौरभ भरद्वाज और मंत्री आतिशी मार्लेना सहित कई अन्य सम्बंधित अफसर मौजूद रहे।
इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल मीडिया के सामने आए और उन्होंने कहा की ये समय आपस में बहस करने का नहीं है बल्कि काम करने का है। उन्होंने आगे कहा की सभी प्रभावित राज्यों में सरकारों को बचाव कार्य पार ध्यान देना चाहिए। दिल्ली में 8 और 9 जुलाई को 153 मिमी बारिश हुई है। मूसलाधार बारिश के चलते घरों और सरकारी दफ्तरों के अंदर पानी भर चूका है। मुख्यमंत्री आगे कहते नज़र आ रहे हैं की दिल्ली को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है जिससे वो इतनी बारिश की मार नहीं झेल पाएगी। इसके चलते बचाव कार्य और दूसरा जल निकास का कार्य नहीं किया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर अभी लोगों का आक्रोश भी नज़र आ रहा है साथ ही केजरीवाल के झीलों का वादा भी सोशल मीडिया पर ट्रैंड कर रहा है। दिल्ली सरकार अपने काम को तेज तो कर ही रही है साथ ही जितने भी अफसर हैं उन सभी की रविवार की छुट्टियों को भी रद कर दिया गया जिससे बचाव और निकास का कार्य तेजी से हो सके।
इन सभी चीजों के बीच CWC ने बताया की यमुना 203 मीटर के स्तर पर बह रही है वहीँ कल यानि 11 जुलाई तक ये स्तर बढ़ कर 206 मीटर हो जाएगा। मुख्य्मंत्री ने इस मुद्दे को लेकर कहा की यमुना का जल स्तर ज्यादा नहीं बढ़ने के अनुमान है लेकिन 206 मीटर से अगर आगे बढ़ता है तो पानी निकासी का काम किया जाएगा।
इससे पहले सौरभ भरद्वाज ने कहा था की गर्मियों के समय में दिल्ली जब पानी मांगता है तो हरियाणा पानी नहीं देता वहीं हम बरसात के दिनों में पानी नहीं मांगते तो पानी को यमुना में छोड़ दिया जाता है। उन्होंने ये भी कहा की उत्तर भारत का हाल अभी बेहाल हो चुका है।