Sunday, September 8, 2024
National

नेता फिट कर रहे अपने-अपने जुगाड़,लोकसभा चुनाव की बढ़ी सरगर्मी; भाजपा में तेज हुई टिकट की रस्साकशी….

यूपी से लेकर दिल्ली तक लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ चुकी है। भारतीय जनता पार्टी में लोक सभा चुनाव 2024 को लेकर तैयारियों के साथ टिकट की रस्साकशी तेज हो गई है। बाहरी लोग भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं। मौजूदा सांसद अपनी दावेदारी पक्की मान रहे हैं। वहीं दो पूर्व सांसद व एक मौजूदा विधायक राष्ट्रीय नेतृत्व तक जुगाड़ लगा रहे हैं।

Written By: Anshika Jha, Edited By: Pragya Jha

Highlights:

.लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ी

.प्रियंका सिंह रावत भी जिले में खूब सक्रिय

.सुनील रावत की बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स लगी हैं

.दूसरे दलों से आगमन जारी

.भारतीय जनता पार्टी में लोक सभा चुनाव 2024 को लेकर तैयारियों के साथ टिकट की रस्साकशी तेज हो गई है। बाहरी लोग भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं। मौजूदा सांसद अपनी दावेदारी पक्की मान रहे हैं। वहीं, दो पूर्व सांसद व एक मौजूदा विधायक राष्ट्रीय नेतृत्व तक जुगाड़ लगा रहे हैं। इसके अलावा आधा दर्जन ऐसे दावेदार हैं, जिनके परिवार के लोग सांसद या विधायक रह चुके हैं।

लखनऊ के निकट का जिला होने के कारण यहां भाजपा प्रदेश नेतृत्व का सीधा दखल रहता है। हर गतिविधि पर नजर रहती है। राजधानी आने वाले राष्ट्रीय स्तर के नेता भी जिले की राजनीतिक परिस्थितियों से बखूबी परिचित हैं। वर्ष 2014 में बाहर से आईं और छह माह के अंदर ही टिकट पाकर मोदी की आंधी में सांसद बनीं प्रियंका सिंह रावत को 4,54,214 वोट मिले थे।

लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ी:

विधायक रहे उपेंद्र सिंह रावत को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया। इसका विरोध भी प्रियंका सिंह रावत के समर्थकों ने किया। समझा जा रहा था कि विरोध के कारण भाजपा का वोट बैंक कम होगा, लेकिन उपेंद्र सिंह रावत 5,15,917 वोट पाकर जीते। सपा-बसपा गठबंधन प्रत्याशी राम सागर रावत को 4,25,777 मत मिले थे।

प्रियंका सिंह रावत भी जिले में खूब सक्रिय:

प्रियंका सिंह रावत को चुनाव बाद भाजपा ने प्रदेश महामंत्री पद का दायित्व देकर बुंदेलखंड का प्रभारी बनाया, लेकिन लोकसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ते ही प्रियंका सिंह रावत भी जिले में खूब सक्रिय हैं। वह हर कार्यक्रम में नजर आती हैं। गांव-गांव पोस्टर बैनर भी लगवाए हैं। पूर्व सांसद बैजनाथ रावत भाजपा से जिले में पहली बार सांसद बने थे।

विधान सभा चुनाव 2017 में हैदरगढ़ से विधायक रहे, लेकिन 2022 में हैदरगढ़ से दिनेश रावत को टिकट दे दिया गया, वह जीत कर विधायक भी बन गए। बैजनाथ रावत भी लोक सभा के टिकट के दावेदारों में प्रमुख हैं। वह भी हर कार्यक्रम में सक्रिय हैं। पार्टी के शीर्ष स्तर के नेताओं से अच्छा संपर्क भी है। चर्चा तो यह भी है कि हैदरगढ़ विधायक दिनेश रावत भी टिकट की चाहत रखते हैं, क्योंकि 2019 में विधायक रहते हुए उपेंद्र सिंह रावत को टिकट मिला था।

सुनील रावत की बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स लगी हैं:

लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और दिनेश रावत अनुसूचित जाति से हैं। अन्य दावेदारों में पूर्व विधायक रहे स्वर्गीय राम नरेश रावत की पत्नी सरोज रावत व उनके पुत्र अरुण रावत का राम भी लिया जा रहा है। राम नरेश रावत के राजनीतिक संबंध पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक रहे हैं। राम नरेश रावत के निधन के बाद सरोज रावत व अरुण रावत सक्रिय हैं। डॉ. सुनील रावत की बड़ी-बड़ी होर्डिंग्स लगी हैं, लेकिन इनका पहले से जिले में कोई राजनीतिक इतिहास नहीं है। इसके अलावा कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ता ऐसे हैं जो इन दिनों दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं। हालांकि, मौजूदा सांसद उपेंद्र सिंह रावत अपनी दावेदारी पक्की मानकर चुनाव कार्यालय भी खोल चुके हैं।

दूसरे दलों से आगमन जारी:

टिकट की प्रत्याशा में दूसरे दलों के भी कई लोग भाजपा में आ रहे हैं। इन दिनों भाजपा में दूसरे दलों के लोगों को सदस्यता दिलाई जा रही है। सपा व कांग्रेस गठबंधन का प्रत्याशी भाजपा के विपक्ष में आएगा। कांग्रेस के पूर्व सांसद डा. पीएल पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया का नाम गठबंधन प्रत्याशी के रूप में सबसे आगे है। ऐसे में सपा से टिकट की अपेक्षा रखने वाले कुछ लोग भाजपा में भी जुगाड़ लगा रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *