बढ़ती उम्र में भी खुद को कैसे रखें जवान
रिपोर्ट: नेशनल खबर
बढ़ती उम्र से संबंधित परेशानियों का आधुनिक उपचार से समाधान तो संभव है, पर सेहत और गुणवत्तापूर्ण जीवन को लेकर चुनौतियां भी बढ़ रही हैं। ऐसे में खानपान, फिटनेस का ध्यान रखकर बढ़ती उम्र की दिक्कतों को कम करके जीवन को आनंदमय बनाया जा सकता है। यदि उम्र 45-50 के बीच या इससे अधिक है, तो सेहत को ठीक रखने के लिए खानपान व जीवनशैली का ध्यान रखना अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है। आइए जानें, इसके लिए किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
बढ़ती उम्र में डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी स्वाभाविक है। अगर पेशाब का रंग पारदर्शी है, तो फिर शरीर में पानी की कमी नहीं है, लेकिन यूरिनगाढ़ा पीला है, तो यह शरीर में पानी के कम होने का संकेत है। अगर उम्र 60 के ऊपर है, तो प्रतिदिन तीन से साढ़े तीन लीटर पानी पिएं। पानी की कमी से रक्त आपूर्ति भी बाधित होती है। हाथ-पैरव मासपेशियों में दर्द, चक्कर आना डिहाइड्रेशन के लक्षण हो सकते हैं।
• पानी पीते रहें : गर्मियों में शरीर को पानी की जरूरत बढ़ जाती है। हर दो घंटे में कुछखाते-पीते रहें। अपने शरीर की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करते रहें।
• रेडमीट, चीनी और नमक से करें परहेज : रोजाना दो ग्राम से अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे ज्यादा होगा, तो फेफड़े में पानी भरने, रक्तचाप की शिकायत हो सकती है। रेडमीट और चीनी से भी परहेज करें।
उम्र बढ़ने के साथ बीमारियों का जोखिम भी बढ़ता है। 50 वर्ष की उम्र के बाद मधुमेह, रक्तचाप, थायरायड की आशंका बढ़ने लगती है। कुछ लोगों की सर्जरी भी हो चुकी होती है। सक्रियता कम होने से भूख भी कम लगती है। अगर किसी कावजन 70 किग्रा. है, तो उसे प्रतिदिन 2500 कैलोरी की आवश्यकता होती है।
• पाचन शक्ति को रखें बेहतर : बढ़ती उम्र में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। चेहरे पर झाइया और कोशिकाएं कमजोर पड़ने लगती है। ऐसे में खानपान को लेकर सावधान रहने की जरूरत होती है।
• विटामिन बी 12 और विटामिन डी जरूरी : इस उम्र में विटामिन बी 12 और विटामिन डी की समस्या भी देखी जाती है। बी 12 की कमी होने से मांसपेशियों में ऐंटन, थकान और हाथों-पैरों में दर्द होने लगता है।
• खानपान का विशेष ध्यान : हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मौसमी फलों का सेवन अवश्य करें। रेडमीट से परहेज करें। हां, मछली का सेवन हृदय और फेफड़े के लिए बेहतर है।
आतों को दुरुस्त रखने के लिए शरीर में पर्याप्त पानी जरूरी है। इसके अलावा, कब्ज से बचें। दवाओंके बजाय प्राकृतिक उपायों को अपनाएं।
क्या खाएं, क्या नहीं : दही का सेवन करें, क्योंकि यह नेचुरल प्रोबायोटिक है। इससे आतों की कार्यप्रणाली बेहतर रहती है। तले-भुने और मसालायुक्त भोजन से परहेज करें। शराब के सेवन और धूमपान से बचें।
मल्टीविटामिन भी बेहतर विकल्प है। विटामिनकी कमी है, तो चिकित्सक के परामर्श से मल्टीविटामिन का सेवन कर सकते हैं।
लंबे समय तक शरीर में सूजन की समस्या अधिक उम्र / बुढापे का सबसे बड़ा लक्षण है विटामिन डी और कैल्शियम की कमी से आस्टियो आर्थराइटिस, आस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याए आने लगती है।
विटामिन डी की जरूरत : हर वयस्क को प्रतिदिन 700 आइयूविटामिन डी की आवश्यकता होती है। विटामिन डी को कैप्सूल, इंजेक्शन औरल लिक्विड के रूप में लिया जा सकता है। सुबह की धूप शरीर के लिए जरूरी है।
• सही मुद्रा का ध्यान : अगर आर्थराइटिस या स्पांडिलाइटिस की दिक्कत है तो व्यायाम और फिजियोथेरेपी की मदद लें। ध्यान रखें, वजन न बढे। स्पांडिलाइटिस में सिर के नीचे तकिया नहीं लगाना चाहिए। सिर पर भारी सामान नहीं उठाना चाहिए। गर्दन को एक ही मुद्रा में ना रखें, उसे बदलते रहे।
उम्र बढ़ने के साथ बीमारियों का जोखिम भी बढ़ता है। 50 वर्ष की उम्र के बाद मधुमेह, रक्तचाप, थायरायड की आशंका बढ़ने लगती है। कुछ लोगों की सर्जरी भी हो चुकी होती है। सक्रियता कम होने से भूख भी कम लगती है। अगर किसी का वजन 70 किग्रा. है, तो उसे प्रतिदिन 2500 कैलोरी की आवश्यकता होती है।
अगर आपको इतनी कैलोरी नहीं मिल रही है, तो वजन में गिरावट स्वाभाविक है।
• पाचन शक्ति को रखें बेहतर: बढ़ती उम्र में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। चेहरे पर झाइयां और कोशिकाएं कमजोर पड़ने लगती है। ऐसे में खानपान को लेकर सावधान रहने की जरूरत होती है।
• विटामिन बी 12 और विटामिन डी जरूरी: इस उम्र में विटामिन बी 12 और विटामिन डी की समस्या भी देखी जाती है। बी 12 की कमी होने से मांसपेशियों में ऐंटन, थकान और हाथों-पैरों में दर्द होने लगता है।
• खानपान का विशेष ध्यान हरी पत्तेदार सब्जियों, मौसमी फलों का सेवन अवश्य करें। रेडमीट से परहेज करें। हां, मछली का सेवन हृदय और फेफड़े के लिए बेहतर है।