लखीमपुर खीरी में मचा बवाल, कौन है असली गुनहगार ?
रिपोर्ट- भारती बघेल
महीनों से दिल्ली में चल रहे कृषि कानून के विरोध की आग अब उत्तर प्रदेश में भी नजर आ रही है। करीब डेढ़ हफ्ते पहले केंद्रीय राज्य मंत्री और खीरी के सांसद अजय मिश्र टेनी ने एक बयान दिया था। और इस एक बयान ये लखीमपुर खीरी के किसानों के दिलों में ऐसी आग लगाई कि वो सड़कों पर उतर आए। और ये प्रदर्शन देखते ही देखते इतना भयानक हो गया कि इसमें चार किसानों की जान चली गई। लेकिन ताज्जुब की बात ये रही कि इन किसानों की जान लाठी या गोली खाकर नहीं हुई बल्कि एक बेकाबू वाहन इनके ऊपर चढ़ गया। इस प्रदर्शन में 4 किसान ही नहीं बल्कि भाजपा समर्थक भी मारे गए हैं, ऐसा सरकार और केंद्रीय गृहमंत्री का कहना है। और साथ में ये भी कहा गया है कि इन चार भाजपा समर्थकों की हत्या किसानों के हमले से हुई है।
सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा न । किसानों ने भाजपा समर्थकों को मारा और किसानों को एक बेकाबू वाहन ने।बहरहाल बवाल पर काबू पाने के लिए घटनास्थल पर केंद्रीय बल की पांच कंपनियां और पीएसी की भी तीन कंपनियां तैनात की गई हैं। वहीं घटना की सूचना मिलते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपर पुलिस महानिदेशक जो कि प्रशांत कुमार हैं उनको मौके पर भेज दिया गया है।
इतना सब होने के बाद भी केंद्रीय मंत्री की जुबान है कि रुकने का नाम नहीं ले रही मगर आप घबराईये नहीं इस बार वो कोई बयान नहीं दे रहे बल्कि ये बता रहे हैं कि भाजपा समर्थकों में मरने वालों की संख्या चार नहीं बल्कि पांच है..साथ ही में ये आरोप भी लगाया है कि ये घटना किसानों के पथराव और उग्र प्रदर्शन के चलते हुई हैं, लेकिन बड़े ही खेद के साथ हमें ये कहना पड़ रहा है कि किसानों की तरफ से अभी कोई भी आरोप नहीं लगाया गया है। शायद वो राजनीति से परे उनकी यादों में रो रहे होंगे जिनको उन्होंने बेकाबू वाहन के चलते खो दिया।
केंद्रीय मंत्री के एक वायरल वीडियो ने पूरे लखीमपुर- खीरी को तहस-नहस कर दिया। ऐसे भड़काऊ बयान को देने से मंत्री जी अगले साल यूपी में आ रहे चुनाव की भी लाज नहीं रख पाए। खामाखाम कुर्सी को खतरे में डाल दिया..कृषि कानून के विरुध्द प्रदर्शन करने वालों को सुधारने की चेतावनी के चक्कर में पूरी कानून व्यवस्था का सुधार तितर- बितर कर दिया।
बदलना पड़ गया केशव का कार्यक्रम
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य लखीमपुर में कुछ सरकारी योजनाओं का शिलान्यास करने गए थे। उप मुख्यमंत्री को हेलीकॉप्टर से आना था लेकिन हैलीपैड पर सैकड़ों किसान जना हो गए। इसलिए उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें कार से ले जाया गया। वहीं ऐसे हालातों को देखते हुए डिप्टी सीएम को कार्यक्रम अधूरा छोड़कर वापस लखनऊ लौटना पड़ा।
क्या बोले डीएम चौरसिया
लखीमपुर के डीएम डॉ. अरविंद चौरसिया न बताया कि दिन में करीब सवा तीन बजे का टाइम था। किसान सड़क के दोनों तरफ खड़े थे। आगे उन्होंने कहा कि विपरीत दिशा से तीन गाड़ियां आ रही थीं। उनसे दबकर चार लोगों की मौत हो गई। वहीं इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाई जा रही है।
घटना को लेकर क्या बोले योगी आदित्यनाथ
लखीमपुर खीरी की घटना पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने दुख जताया है। सीएम ने कहा कि सरकार इस घटना की तह तक जाएगी। इनमें जो भी तत्व शामिल हैं उनके चेहरे बहुत जल्द सबके सामने होंगे। और जो लोग इस घटना में शामिल होंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। वहीं क्षेत्र में रहने वाले सभी लोगों से सीएम ने अपील की है कि वे लोग अपने घरों में रहें और किसी के बहकावे में न आएं। सभी लोग शांति व्यवस्था को बनाए रखने में अपना योगदान दें और किसी भी नतीजे पर पहुंचने की सोचने से पहलेजो जांच और कार्यवाही हो रही है उसका इंतजार करें।
विपक्ष ने लखीमपुर की तरफ किया कूच
जैसा कि हमने ऊपर बताया कि लखामपुर में आठ लोगों की जान चली गई। इतनी बड़ी घटना हो जाए और विपक्ष खामोश रहे ये तो हरगिज़ मुमकिन नहीं है। वैसे आज अगर राजनीति में कोई अपना कार्य पूरे तन और मन से कर रहा है तो वो विपक्ष ही है जो देश में होने वाली घटनाओं की खबर लेने सबसे पहले पहुंचता है। साथ में बैठकर हालचाल लेता है और पीड़ित परिवार की सरकार से ज्यादा आर्थिक मदद करके आता है। इसे आप कुर्सी की मोह माया कह लीजिए या विपक्ष में रहने का अधिकार जिसे पूरी लगन और ईमानदारी से विपक्ष निभा रहा है।
जैसे ही विपक्षी दलों के नेताओं ने लखीमपुर कूच का एलान किया वैसे ही सरकार चौकन्ना हो गई और विपक्ष को रोकने में जुट गई। आपको बता दें कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को रविवार देर रात पुलिस ने लखीमपुर जाने से रोका। लेकिन प्रियंका गांधी रुकने वालों में से कहां है। दिमाग का भरपूर इस्तेमाल करते हुए वो किसी तरह बचते बचाते लखीमपुर खीरी के लिए निकल गईं। उनके साथ कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी थे।
दोनों ने भरपूर कोशिश की लखीमपुर खीरी तक पहुंचने की, लेकिन यूपी पुलिस इस बार भी अपना करतब दिखाने से पीछे नहीं हटी। बिना अरेस्ट वारंट के प्रियंका को अरेस्ट करने के लिए पुलिस का एक टोला आ धमका। प्रियंका वीडियो में बार-बार कहती दिखाई दे रही हैं कि उन्हें अरेस्ट का वारंट दिखाओ वहीं पुलिस वाले साहब कहते सुनाई दे रहे हैं कि अरेस्ट करो। और फिर कड़ी मशक्कत के बाद सीतापुर से प्रियंका गाँधी को अरेस्ट कर लिया गया। यूपी पुलिस जैसे पूरी कर्मठता के साथ नेताओं को रोकने में दिखाती है उतनी ही कर्मठता प्रदर्शन को रोकने में दिखाती तो चार किसानों की यूं जान न जाती।
अखिलेश ने मुख्यमंत्री से मांगा इस्तीफा
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट करके सरकार पर हमला बोला..इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफे की मांग भी कर डाली।आगे उन्होंने कहा कि किसान शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रहे थे, इसके बावजूद भी केंद्रीय गृह मंत्री के बेटे ने उन्हें गाड़ी से रौंद दिया। ये बहुत ही क्रूर कृत्य है।
मायावती बोली ये भाजपा की तानाशाही है
अब जब बात विपक्ष की हो ही रही है तो विपक्ष का कोई भी नेता बयान देने से चूक कैसे सकता है। और इसी कड़ी में मायावती ने ट्वीट किया कि किसान तीन कृषि कानूनों को लेकर लखीमपुर खीरी में प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान केंद्रीय मंत्री के बेटे ने कथित तौर पर कई किसानों को अपनी गाड़ी से रौंद दिया।और उनकी हत्या हो गई। ये बहुत ही दुखद घटना है। ये घटना सबूत है भाजपा की क्रूरता और तानाशाही की। वहीं रालौद के अध्यक्ष जयंत चौधरी का भी ट्वीट आया। उन्होंने कहा कि किसान का खून बहाया गया है और मैं उनसे मिलने जाऊंगा।
आम आदमी पार्टी ने की सीबीआई की मांग
लखीमपुर घटना को लेकर आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजय सिंह का भी बयान आया है। उन्होने कहा कि इस घटना की सीबीआई जांच होनी चाहिए, और जो भी दोषी हैं उन्हें सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। .वहीं संजय सिंह ने मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा दिलाने की मांग भी की है।
मृतक किसानों का किया गया पोस्टमार्टम
जैसा कि हम लगातार आपको ऊपर बताते आ रहे हैं कि लखीमपुर खीरी हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की जान चली गई। इन चारों किसानों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद तीन का तो अंतिम संस्कार कर दिया लेकिन एक का अंतिम संस्कार रोक दिया गया। रोकने की वजह परिजनों ने गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट बताई है। परिवार वालों का आरोप है कि उनके बेटे की हत्या गोली मारकर की गई है। और उन्होंने दोबारा पोस्टमार्टम कराने की मांग की है। वहीं किसान नेता राकेश टिकत और मृतक का परिवार शव को एयरलिफ्ट कराकर दिल्ली में पोस्टमार्टम कराने की बात पर अड़े हैं।
पत्रकार रमन कश्यप के परिवार से मिलने पहुंचे राकेश टिकैत
लखीमपुर खीरी में जान गंवाने वालों में एक पत्रकार भी शामिल है, जिनका नाम रमन कश्यप था। राकेश टिकैत पत्रकार के घर उनके परिवार से मिलने पहुंचे और उनके परिवार को ढांढ़स बंधाया। इसके बाद वो नानपारा मृतक किसान के परिवार से मिलने के लिए निकल गए।
भाजपा का आरोप, राजनीति कर रही कांग्रेस सपा
लखीमपुर हिंसा को लेकर भाजपा दावा कर रही है कि किसान आंदोलन का सहारा लेकर सपा और कांग्रेस अपनी नईया पार करने की कोशिशों में लगी हुई है..जो भी विपक्षी नेता हैं वो लखीमपुर हिंसा में सिर्फ और सिर्फ राजनीति रोटियां सेंकने में लगे हैं। इतना ही नहीं भाजपा के अमित मालवीय ने ये आरोप भी लगाया है कि लखीमपुर खीरी में जो हिंसा हुई उसमें सपा के कार्यकर्ता भी शामिल थे। हालांकि भाजपा के अभी तक किसी भी मृतक किसान के लिख दुख व्यक्त नहीं किया है। वहीं संबित पात्रा जो कि जानेमाने बीजेपी प्रवक्ता हैं जुबान तो उनकी भी खुली लेकिन सिर्फ इतनी कि विपक्ष अपने राज्यों में होने वाली घटनाओं पर आँखें मूंद लेता है।
विपक्ष का कोई भी नेता नहीं पहुंच पाया लखीमपुर
प्रदेश की सरकार या योगी सरकार की ये पूरी कोशिश रही कि किसी भी विपक्षी दल के नेता को लखीमपुर न पहुंचने दिया जाए। प्रियंका गांधी को सीतापुर से बिना वारंट हिरासत में ले लिया। वहीं छत्तीसगढ़ से आए सीएम भूपेश बघेल लखनऊ एयरपोर्ट पर रोक दिया गया। जिसके चलते भूपेश बघेल एयरपोर्ट पर ही धरने पर बैठ गए। अखिलेश यादव भी लखीमपुर के लिए जाने वाले थे। सरकार ने न सिर्फ अखिलेश यादव बल्कि कई विपक्षी नेताओं को हाउस अरेस्ट कर दिया। और इसके बावजूद भी अगर किसी नेता ने निकलने की कोशिश की तो उसे हिरासत में ले लिया गया। सिर्फ किसान नेता राकेश टिकैत को ही लखीमपुर जाने की इजाजत मिली। विपक्षी नेताओं को यूं हिरासत में डाले जाना वाकई में चिंताजनक है। सरकार का कहना है कि अगर कोई भी विपक्षी नेता लखीमपुर जाएगा तो हालात बिगड़ जाएंगे।
लेकिन जो हालात पहले से लखीमपुर में बने हुए हैं उनके बारे में सरकार को सोचने की आवश्यक्ता है। इसके अलावा राजनीति। राजनीतिक नेताओं तक ही रहे तो अच्छा है। आम आदमी पर राजनीति करना अच्छी बात नहीं है। सुख और शांति के लिए ही जनता सरकार को चुनती है, और उस सुख-शांति को बनाये रखना सरकार का कर्तव्य है।