विज्ञान और तकनीक में भारत कैसे बना रहा ‘विश्व गुरु’ , ISRO और ICHR मिलकर खंगालेंगे इतिहास
नेशनल खबर,डेस्क रिपोर्ट
भारत एक बार फिर उस पायदान पर है जिसपर हर भारतवासी गर्व महसूस कर सकता है। इसरो और आईसीएचआर मिलकर भारत का इतिहास खंगालेंगे और बताएंगे कि कैसे भारत…विज्ञान और तकनीक के मामले में विश्वगुरु रहा है।
रामायण और महाभारत की कथाओं में हमने पुष्पक विमान, अग्निबाण और आकाशवाणी जैसी तकनीकों के बारे में खूब पढ़ा है। साथ ही हम यह भी देखते आ रहे हैं कि हमारे वेद-पुराणों पर देश-विदेश में शुरु से ही काफी रिसर्च होते आ रहे हैं, जिनसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में खूब मदद भी मिलती रही है। इन क्षेत्रों में भारत कैसे वाकई में ‘विश्व गुरु’ रहा है, इसरो और आईसीएचआर मिलकर अब इसका पता लगाएंगे।
दरअसल, भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद यानी ICHR और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने प्राचीन शास्त्रों के साक्ष्य का उपयोग करके विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के योगदान का पता करने के लिए दोनों ने मिलकर काम करने का फैसला लिया है। भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इतिहास को संकलित करने के इस प्रोजेक्ट पर बहुत जल्द काम शुरू होने वाला है।
वहीं आईसीएचआर के सदस्य सचिव जिनका नाम प्रो. उमेश अशोक कदम है उन्होंने बताया कि इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ के साथ इस बारे में चर्चा हुई है और जल्द ही इस संबंध में कंसेप्ट नोट भेजा जायेगा। उन्होंने इस बारे में कहा कि भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के इतिहास का संकलन छह अलग-अलग खंडो में तैयार किया जायेगा, जिसमें से दो खंड प्राचीन इतिहास के , दो खंड मध्ययुगीन के और दो खंड आधुनिक काल से जुड़े हुए होंगे।
उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत आगामी पांच महीने के लिये शिक्षा मंत्रालय से 25 लाख रूपये की राशि मंजूर कर ली गई है। इस परियोजना में वैज्ञानिकों, इतिहासकारों के अलावा विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों को भी शामिल किया जा रहा है।
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