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हल्द्वानी में “नया” शाहीन बाग ?

रिपोर्ट: प्रज्ञा झा

हल्द्वानी में अवैध जमीन कब्ज़ा केस बना कैंडल मार्च।


पिछले 2 दिनों से नैनीताल के हल्द्वानी की खबरें काफी सुर्खियों में बनी हुई है यहां पर बड़ी तादाद में लोगों के घरों को तोड़ने का आदेश नैनीताल हाई कोर्ट द्वारा दिया गया है। आरोप यह है कि इन लोगों ने रेलवे की जमीन पर अपने अवैध घर बना रखे हैं। कोर्ट का फैसला रहा कि 1 हफ्ते का नोटिस देकर इस जगह को खाली कराया जाए । जिसके बाद घरों को तोड़ा जाएगा। इस आदेश के बाद यह फैसला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है । सुप्रीम कोर्ट 5 जनवरी को इस मामले पर अपना फैसला सुनाने वाला है । लेकिन मामला पेचीदा होता जा रहा है ,क्योंकि वहां के स्थानीय लोग कैंडल मार्च निकाल रहे हैं । कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया जा रहा है और इन सभी के बीच प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और भी कई बड़े नेता नेताओं का साथ इन्हें मिल रहा है।


समझिए पूरे मामले को


पिछले कुछ समय से हल्द्वानी में रेलवे के आसपास की जगहों पर बनाई गई झुग्गी झोपड़ियों को तोड़ने का आदेश दिया गया। जिसके बाद यह केस नैनीताल के हाई कोर्ट पहुंचा जिसमें रेलवे प्रशासन और आसपास के लोगों के बीच में मुकदमा चला। इस मुकदमे में रेलवे प्रशासन जीता और हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया कि 1 हफ्ते के नोटिस के बाद उन सभी झुग्गी झोपड़ियों को तोड़ दिया जाए। वहां के स्थानीय लोग इस फैसले से नाराज हुए और यह केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। हल्द्वानी के स्थानीय लोगों का कहना है कि यह उनकी जमीन है ,वह यहां पर तब से रह रहे हैं जब उनके दादा परदादा ने घर बनवाया था। तकरीबन 1907 और 1937 के बीच एक संधि हुई थी जिसके तहत से यह जमीन लीज पर ली गई थी और यह जमीन अब उनकी है ।आपको पता हो कि यह पूरी जुगी झोपड़ियां करीबन 78 एकड़ जमीन पर बनी हुई है और 50,000 से ज्यादा लोग यहां रह रहे हैं । जिसमें ज्यादा संख्या मुस्लिम परिवारों की है और 4500 से ज्यादा परिवार यहां रहते हैं। यहां पर 3 इंटर कॉलेज ,5 गवर्नमेंट स्कूल, 16 मस्जिद , 2 मंदिर और एक धर्मशाला भी बनी हुई है।


सड़कों पर हो रहे आंदोलन


कोर्ट के फैसले से नाराज लोग सड़कों पर कैंडल मार्च लेकर निकलते नजर आए हैं ।यह मार्च भी बिल्कुल शाहीन बाग जैसे मार्च की ही तस्वीर है वहां पर भी महिलाओं और बच्चों को आगे किया गया था और हल्द्वानी में भी अभी यही तस्वीरें देखने को मिल रही है।


ओवैसी की सरकार से बड़ी अपील।


आई एम आई एम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में केंद्र सरकार से अपील की है कि यह मानवता की राजनीति नहीं है उन सभी लोगों को वहां से ना निकाला जाए या फिर निकालते हैं तो यह बता दिया जाए कि दोबारा उनका विस्थापन कहां होगा

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