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17 March से शुरू होगा होलाष्टक: 24 मार्च को होगा होलिका दहन और 25 को खेली जाएगी होली।

Written by: Pragya Jha

सोमवार 11 March से फाल्गुन मास का शुक्ल पक्ष शुरू हो गया है। इस महीने के अंत में यानी फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन होती है। होलिका दहन 24 March को होगा और अगले दिन यानी 25 को होली मनाई जाएगी। इससे पहले 17 मार्च से होलाष्टक शुरू हो जाएगा।

ज्योतिषाचार्य के मुताबिक होलाष्टक ( होली से पहले के आठ दिन) के दिनों में पूजा – पाठ मंत्र जप और ध्यान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि होलिका दहन से पहले 8 दिनों तक हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए कई यातनाएं दी थी। प्रहलाद विष्णु जी के भक्त थे।

बहन होलिका ने प्रहलाद को लेकर आग में बैठने की योजना बनाई।

होलिका को वरदान मिला था कि वह आग में नहीं जलेगी, लेकिन विष्णु जी की कृपा से आग में प्रहलाद तो नहीं जला, लेकिन होलिका जल गईं थीं। प्रहलाद ने इन आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है और इन दिनों में भक्ति का विशेष महत्व है।

हाइलाइट्स

  • होलाष्टक से जुड़ी ज्योतिष की मान्यता।
  • ये शुभ कार्य कर सकते हैं फाल्गुन पूर्णिमा पर।

होलाष्टक से जुड़ी ज्योतिष की मान्यता

होलाष्टक के 8 दिनों में ग्रहों की स्थिति उग्र होती है। ग्रहों की स्थिति ठीक न होने से अधिकतर लोगों को इन दिनों में मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। काम में मन नहीं लगता है। विचार नकारात्मक बने रहते हैं। ये वक्त सकारात्मक रहने का होता है। अच्छी किताबें पढ़ें। साधु संतो के प्रवचन सुने । सत्संग करें। मंत्र जप के साथ ही ध्यान भी करेंगे तो नकारात्मक दूर हो सकती है ।

ये शुभ कार्य कर सकते हैं फाल्गुन पूर्णिमा पर।

  • भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें। भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें-पढें।
  • जरुरतमंद लोगों को कपड़े, खाना, जूते चप्पल, धन का दान करें।
  • पूर्णिमा पर बाल गोपाल का अभिषेक करें। तुलसी के साथ माखन मिश्री का भोग लगाएं।
  • किसी मंदिर में पूजन सामग्री का दान करें।
  • हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का सुंदरकांड का पाठ करें।

इस वजह से हिरण्यकश्यप अपने ही पुत्र को मारना चाहता था। विष्णु जी की कृपा से प्रहलाद के प्राण हर बार बच जाते थे। जब हिरण्यकश्यप की सारी कोशिश असफल हो गई, तब उसकी बहन

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