दूसरे मुसलमानों से बहुत अलग हैं बोहरा मुस्लिम, यूं ही नहीं पीएम मोदी बढ़ाते हैं दोस्ती का हाथ!
नेशनल डेस्क रिपोर्ट
पीएम मोदी मुसलमानों में बीजेपी की पैठ बनाने पर जोर देते नज़र आ रहे हैं। उन्होंने हैदराबाद में हुई बीजेपी की एक समिट में पसमांदा मुसलमानों की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाने का संकेत दिया था।
उधर, मुसलमानों के एक ताकतवर समुदाय के रुप में जाने जाने वाले बोहरा से वो खुद लंबे समय से साथ में रहे हैं। पीएम बोहरा समुदाय के कार्यक्रमों में शिरकत करत आए हैं। आज भी वो मुंबई में दाऊदी वोहरा समुदाय के शिक्षण संस्थान अलजामिया-तुस-सैफिया के चौथे कैंपस का उद्घाटन करेंगे।
आप सोच रहे होंगे कि ये बोहरा और दाऊदी बोहरा का क्या चक्कर है? तो आइए जानते हैं कि मुसलमानों में बोहरा कौन हैं और क्या बोहरा से दाऊदी वोहरा कोई अलग समुदाय है?
इस्लाम के इतिहास और इस्लामी कानून की समझ के हिसाब से मुसलमानों के बीच अलग-अलग फिरके हैं। फिर उन फिरकों के अंदर भी कई फिरके हैं। जैसे हिंदुओं में जातियां होती हैं और जातियों के अंदर भी जातियां यानी उपजातियां होती हैं।
मुसलमानों के दो बड़े फिरके शिया और सुन्नी हैं। दुनिया के ज्यादातर मुस्लिम देशों में सुन्नी मुसलमानों हैं जबकि ईरान एक शिया मुस्लिम बहुल देश के रुप में स्थापित है। भारत में भी सुन्नी मुस्लिमों की संख्या अधिक है। उनके मुकाबले शिया समुदाय के मुसलमानों की आबादी काफी कम है।
खैर बात मुसलमानों के बोहरा समुदाय की कर लेते हैं। सुन्नी और शिया, दोनों फिरकों का अपना-अपना बोहरा समुदाय होता है। सुन्नियों का बोहरा सुन्नी बोहरा के नाम से जाना जाता है जबकि शियाओं का बोहरा समुदाय दाऊदी बोहरा के तौर पर जाना जाता है।
सुन्नी बोहरा गुजरात, महाराष्ट्र और पाकिस्तान के सिंध प्रांत का एक कारोबारी समुदाय होता है। बोहरा मुख्यतः गुजराती बोलने वाले कारोबारी लोग होते हैं। ये गुजरात के हिंदू थे जो धर्म बदलकर मुसलमान बन गए। अभी भी कई बोहरा परिवार हिंदू ही हैं।