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डीएम और एसडीएम में क्या अंतर है, जानें दोनों में कौन है पावरफुल?

रिपोर्ट : नेशनल ख़बर

डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यानी DM एक भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का अधिकारी होता है। DM देश के किसी भी एक जिले के सामान्य प्रशासन का सबसे सीनियर एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और मुख्य प्रभारी होता है।
सरल शब्दों में एक DM भारत के एक जिले में एक प्रमुख प्राधिकारी होता है। भारत में DM को राज्य सरकार हर जिले के लिए चुनती है।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इसमें शक्ति और अधिकार की एक बहुत ही जटिल व्यवस्था होती है।


सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट यानी SDM जो एक सब डिवीजन का मुख्य अधिकारी होता है। SDM एक प्रशासनिक अधिकारी होता है, जो देश के सरकारी ढांचे के आधार पर जिले के लेवल से नीचे होता है।
SDM आमतौर पर PCS की रैंकिंग का अधिकारी होता है। प्रत्येक जिले को तहसील में बांटा जाता है, जिसे टैक्स इंस्पेक्टर, कलेक्टर मजिस्ट्रेट के द्वारा अधिकार दिया जाता है।


SDM किसी एक अनुमंडल यानी तहसील के प्रभारी होते हैं। कई बार अक्सर लोगों को DM और SDM में कंफ्यूजन हो जाती है। अगर आप भी इसी कंफ्यूजन में रहते हैं, तो यहां हम आपको विस्तार से इनके बारे में बताएंगे।

DM (District Magistrate)

  • राजस्व टैक्स बकाया, उत्पाद शुल्क, सिंचाई बकाया और बकाया को व्यवस्थित करना होता है।
  • भूमि अधिग्रहण का मध्यस्थ, उसका निर्धारण, भूमि बकायों को इटट्ठा करना
  • संपत्ति के कागजों का पंजीकरण, बिक्री विलेख, पावर अटार्नी, विरूपण, शेयर सर्टिफिकेट की जिम्मेदारी होती है।
  • विभिन्न जिला कार्यालयों, सब डिवीजनल और तहसीलों का निरीक्षण करना
  • राहत और पुनर्वास
  • SDM (Sub Divisional Magistrate)
  • एक हाई लेवल अधिकारी यानी DM के निर्देशों का पालन करना होता है।
  • विनिर्माण संयंत्र, कृषि, कारखाने, स्कूल, गांवों आदि जैसे कई क्षेत्रों की जांच करना
  • SDM को उन्हें सौंपे गए पूरे काम के बारे में DM को रिपोर्ट करने का काम होता है।
  • एक जिले में एक से ज्यादा SDM होते हैं।
  • SDM, DM के जूनियर लेवल का अधिकारी माना जाता है।

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