चीन नहीं, अब भारत से ही कर सकेंगे कैलाश के दर्शन
Report: National Khabar
कोविड और फिर चीन से तनातनी के बीच भले ही कैलास मानसरोवर यात्रा चार साल बाद भी शुरू नहीं हो सकी है। मगर अब श्रद्धालुओं की कैलाश दर्शन की इच्छा भारत से ही पूरी हो जाएगी।
इसके लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) आदि कैलास यात्रा की तर्ज पर पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख से करीब तीन किमी दूर पुराने लिपुलेख (ओल्ड लिपु ) से कैलाश पर्वत के दर्शन कराएगा।
इसके लिए पर्यटकों की सुविधा का विस्तार किया जाएग समृद्ध प्लेटफार्म तैयार किया जाएगा। दूरबीन की भी व्यवस्था की जाएगी। इस स्थल तक पहुंच मार्ग का कार्य सीमा सड़क संगठन ने पूरा कर लिया है। ऐसे में अगले वर्ष से श्रद्धालु यहीं से कैलास पर्वत के दर्शन यात्रा की उम्मीद है।
पुराने लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर की हवाई दूरी 90 से 100 किमी के बीच है। मौसम साफ रहने पर यहां से कैलास मानसरोवर के विराट दर्शन होते हैं। वर्ष 2020 भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) के तत्कालीन डीआइजी एपीएस निंबाडिया ने भारत सरकार को इस बारे में सुझाव भी भेजा था।
इसमें कहा गया था कि कैलाश मानसरोवर यात्रा की तर्ज पर ही गाइड और स्थानीय लोगों की मदद से यह यात्रा संचालित की जा सकती है। गाइड की मदद से ही यात्री यहां पहुंच सकते हैं। पुराने लिपुलेख के लिए लिपुलेख के यात्री विश्राम गृह मार्ग से जा सकते हैं।
यह मार्ग लगभग तीन किमी है। साढ़े सत्रह हजार से लेकर 18 हजार फीट की ऊंचाई वाला यह मार्ग काफी दुर्गम है। यही नहीं यहां से भक्त कैलाश मानसरोवर के दर्शन कर आदि कैलास आ सकते हैं।
यानी कैलाश मानसरोवर और आदि कैलास की यात्रा एक साथ संभव हो पाएगी। गौरतलब है कि चीन ने भले ही भारत के लिए कैलाश यात्रा की अनुमति नहीं दी है, लेकिन इस वर्ष चीन ने नेपाल से यात्रा शुरू कर दी है।