Amarnath Ki Katha: जब अमर कथा सुनते-सुनते सो गईं माता पार्वती, तो किसने सुन ली अमरत्व की रहस्यमयी कहानी?

Amarnath Ki Katha 2025: बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए पहला जत्था 2 जुलाई को रवाना हुआ, और 3 जुलाई को भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन करेंगे। कहते हैं कि माता पार्वती अमरनाथ गुफा में भगवान शिव से अमरत्व की रहस्यमयी कथा सुनने आई थीं। आइए, जानते हैं उस अद्भुत अमरनाथ कथा के बारे में।
धर्म डेस्क | National Khabar
अमरनाथ की अद्भुत कथा: जब माता पार्वती सो गईं और किसी और ने सुन ली अमर कथा!
अमरनाथ यात्रा 2025 के लिए पहला जत्था 2 जुलाई को रवाना हो चुका है और 3 जुलाई, गुरुवार से बाबा बर्फानी के दर्शन शुरू हो जाएंगे। हर साल लाखों श्रद्धालु पवित्र अमरनाथ गुफा में भगवान शिव का दर्शन करने पहुँचते हैं। यही वह गुफा है, जहाँ भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य सुनाया था। लेकिन इस कथा के बीच एक अद्भुत घटना घटी — माता पार्वती कथा सुनते-सुनते सो गईं और किसी और ने इस अमर कथा को सुन लिया। आइए जानते हैं पूरी कहानी।
अमर कथा से पहले क्यों किया प्रतीकों का त्याग?
भगवान शिव चाहते थे कि अमर कथा केवल माता पार्वती ही सुनें, कोई और नहीं। इसीलिए उन्होंने गुफा तक पहुँचने के रास्ते में अपने सभी प्रतीकों और प्रिय साथियों का त्याग कर दिया।
पहलगाम में नंदी को छोड़ा।
चंदनवाड़ी में चंद्रदेव को त्यागा।
शेषनाग के पास वासुकी नाग को छोड़ दिया।
महागुनस पर्वत पर गणेश जी को रोक दिया।
पंचतरणी में पंचतत्वों को भी त्याग दिया।
इन सभी स्थानों के दर्शन आज भी अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालु करते हैं।
अमर कथा की शुरुआत
शिवपुराण के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि आप तो अजर-अमर हैं, कभी जन्म नहीं लेते, तो शक्ति (यानी मैं) को हर जन्म में कठोर तप क्यों करना पड़ता है? आपके अमरत्व का रहस्य क्या है?
माता पार्वती के इस हठ के आगे महादेव ने हार मान ली और उन्हें अमर कथा सुनाने का निश्चय किया। गहन एकांत के लिए उन्होंने अमरनाथ की पवित्र गुफा चुनी और वहाँ जाकर कथा सुनानी शुरू की।
जब माता पार्वती सो गईं और किसी और ने सुनी कथा
गुफा में भगवान शिव कथा सुनाते गए और माता पार्वती बीच-बीच में ‘हूँ’ कहकर ध्यान देने का संकेत देती रहीं। लेकिन कथा के बीच में माता पार्वती की आँख लग गई। उसी समय एक शुक (तोता) भी गुफा में मौजूद था और वह कथा सुनता रहा। जब भगवान शिव को एहसास हुआ कि माता पार्वती तो सो रही हैं, तो उन्होंने क्रोधित होकर पूछा — यह ‘हूँ’ कौन भर रहा है?
उनकी दृष्टि शुक पर पड़ी। शिव जी ने त्रिशूल उठाया और शुक को मारने के लिए छोड़ दिया। डर के मारे शुक भागता-भागता वेदव्यास के आश्रम पहुँचा और उनकी पत्नी के गर्भ में घुसकर 12 साल तक वहीं छिपा रहा।
शुकदेव का जन्म
भगवान कृष्ण के आश्वासन के बाद शुक गर्भ से बाहर आए और वही आगे चलकर शुकदेव मुनि कहलाए, जिन्हें बचपन से ही वेद-पुराणों का ज्ञान था।
कबूतरों की कथा
एक मान्यता है कि माता पार्वती के सो जाने पर अमर कथा दो कबूतरों ने सुनी। शिवजी के क्रोधित होने पर उन्होंने क्षमा मांगी और आशीर्वाद पाया कि वे गुफा में हमेशा शिव-शक्ति के प्रतीक रहेंगे। आज भी भक्त उन्हें वहाँ देखते हैं।
बाबा बर्फानी के दर्शन
हर साल सावन मास में बाबा बर्फानी हिमलिंग के रूप में अमरनाथ गुफा में प्रकट होते हैं। इस अद्भुत शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं और यह यात्रा सावन पूर्णिमा तक चलती है।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है।