महाभारत: दुर्योधन के जन्म पर क्यों गधों, सियारों और उल्लुओं ने मचाया शोर? जानें पूरी कथा

महाभारत की कथा के अनुसार, दुर्योधन के जन्म लेते ही चारों ओर अशुभ संकेत दिखाई देने लगे। वातावरण में ऐसी नकारात्मकता छा गई जिसे लोग भारी अपशकुन मानने लगे। यह देखकर सभी घबरा गए और उन्हें लगा कि कोई बड़ी आपदा आने वाली है।
धर्म डेस्क | National Khabar
महाभारत में दुर्योधन का जन्म कई रहस्यमय और भयावह घटनाओं के बीच हुआ था। उसके पैदा होते ही ऐसी अशुभ घटनाएँ घटने लगीं जिन्हें देखकर सभी लोग डर गए। हर कोई समझ गया कि कुछ बड़ा अनिष्ट होने वाला है।
दुर्योधन के जन्म की विचित्र और डरावनी घटनाएँ
जैसे ही दुर्योधन ने जन्म लिया, चारों ओर अजीब शोर मचने लगा। गधे कर्कश आवाज़ में चीखने लगे, उनके साथ सियार और उल्लू भी भयानक आवाज़ें करने लगे। यह सब देखकर लोग कांप उठे और बोले— यह तो भारी अपशकुन है।
ज्योतिषियों ने तुरंत पंचांग और ग्रह-नक्षत्र की गणना की। जब उन्होंने दुर्योधन के जन्म के समय का अध्ययन किया तो उनके चेहरे का रंग उड़ गया। उन्होंने हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र से कहा— इस पुत्र से तुरंत दूरी बना लीजिए, इसे जंगल में छोड़ दीजिए। परन्तु पुत्रमोह में डूबे धृतराष्ट्र ने उनकी सलाह मानने से इंकार कर दिया।
ज्योतिषियों की भविष्यवाणी सही निकली। दुर्योधन की महत्वाकांक्षा और अहंकार ने अंततः विनाश का कारण बना दिया।
गांधारी के सौ पुत्रों की कथा
व्यासजी ने गांधारी को सौ पुत्रों का वरदान दिया था। समय पर वह गर्भवती भी हो गईं, मगर नौ महीने निकल गए, साल भी बीत गया और संतान का जन्म नहीं हुआ। इसी बीच कुंती ने युधिष्ठिर को जन्म दिया, जिससे गांधारी दुखी हो गईं। उन्होंने क्रोध और हताशा में अपना गर्भ गिरा दिया।
गर्भ से लोहे की तरह कठोर मांस का एक पिंड निकला, जिसे वह फेंकने ही वाली थीं कि तभी महर्षि व्यास ने आकर कहा— मेरा वचन कभी झूठा नहीं होता। उन्होंने वह पिंड ठंडे पानी में भिगोकर रखा और सौ भाग कर अलग-अलग घी से भरे कलशों में रखवा दिए। एक साल बाद उन्हीं कलशों से दुर्योधन और उसके 99 भाई-बहन पैदा हुए।
जन्म के समय के भयानक संकेत
दुर्योधन के जन्म लेते ही उसके रोने की आवाज़ गधे की कर्कश चीख जैसी थी। उसके साथ ही गिद्ध, सियार, कौवे और उल्लू डरावनी आवाज़ें करने लगे। दिन में ही अंधेरा छा गया, आसमान काला पड़ गया, और कई जगह आग लग गई। यह सब देखकर लोग भयभीत हो उठे।
धृतराष्ट्र डरकर विदुर और भीष्म से पूछने लगे— क्या मेरे पुत्र को राज्य मिलेगा? इतने में सियार और जानवरों की चीख फिर गूंज उठी।
ब्राह्मणों और ज्योतिषियों की चेतावनी
ब्राह्मणों और ज्योतिषियों ने दुर्योधन के जन्म के समय को देखकर बताया कि यह बालक कुल के विनाश का कारण बनेगा। यह संघर्ष और युद्ध का जनक होगा। उन्होंने सलाह दी कि इसे छोड़ दीजिए, अन्यथा बड़ा अनर्थ होगा।
धृतराष्ट्र ने पुत्रमोह में उनकी बात नहीं मानी। एक महीने के भीतर ही 99 पुत्र और एक बेटी (दुशला) का जन्म हो गया।
दुर्योधन नाम का अर्थ और उसके स्वभाव की कहानी
कहा जाता है कि जन्म के समय उसका नाम सुयोधन रखा गया था, जिसका अर्थ होता है — एक महान योद्धा। मगर बाद में उसने स्वयं अपना नाम बदलकर दुर्योधन रख लिया, जिसका अर्थ है — जिसे हराना कठिन हो। यह उसके कठोर, जिद्दी और अपराजेय स्वभाव को दर्शाता है।
भविष्यवाणी का सच
जैसा कि विदुर और ब्राह्मणों ने चेतावनी दी थी, दुर्योधन के अहंकार और पांडवों के प्रति द्वेष ने महाभारत के विनाशकारी युद्ध को जन्म दिया। कौरवों का अंत हो गया और उनका कुल नष्ट हो गया।
दुर्योधन का व्यक्तित्व और प्रशासन
युद्धप्रिय और कठोर दुर्योधन एक कुशल रणनीतिकार था। उसने शकुनि, कर्ण, अश्वत्थामा और जयद्रथ जैसे शक्तिशाली योद्धाओं को अपने पक्ष में कर लिया। उसने अपने राज्य को मज़बूत करने के प्रयास किए, परन्तु उसका पक्षपाती और क्रूर स्वभाव प्रजा को उसके विरुद्ध कर देता था।
अशुभ संकेत — गधे, उल्लू और सियार क्यों चीखते हैं?
भारतीय शास्त्रों के अनुसार, गधे का अचानक और कर्कश चीखना किसी अनहोनी, यात्रा में विघ्न या अपमान का सूचक होता है।
उल्लू का असामान्य समय पर बोलना मृत्यु, बीमारी या दुर्भाग्य का संकेत माना जाता है।
सियार की हुआं-हुआं जैसी चीख भी किसी बड़े नुकसान या मृत्यु का पूर्वाभास देती है।
जब ये तीनों एक साथ चीखें तो इसे भारी आपदा, युद्ध, महामारी या विनाश की चेतावनी माना जाता है।
इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।