महाराष्ट्र और केरल में कोरोना ने बढ़ा दी भारत की टेंशन, कोरोना की हर एक तस्वीर विस्तार से
रिपोर्ट- भारती बघेल
कोरोना का खतरा अभी भारत से टला नहीं है।अभी भी कुछ राज्य ऐसे हैं जहां पर रोजाना कोरोना के नये केस निकल रहे हैं। इन राज्यों में केरल, महाराष्ट्र,कर्नाटक और आंध्र प्रदेश शामिल हैं।अब महाराष्ट्र और केरल दो ऐसे राज्य हैं जिसमें प्रतिदिन कोरोना के नये केस बढ़ते देखकर केंद्र सरकार सतर्क हो गई है। कोरोना को लेकर केंद्र सरकार एक बैठक बुलाई गई है वहीं मिली जानकारी के मुताबिक इन दोनों राज्य के केंद्रीय गृह सचिव मौजूद रहें। इस मीटिंग में कोरोना से जुड़ी सभी समस्याओं को लेकर चर्चा हुई जैसे कोरोना के प्रभाव को कैसे कम किया जाए। क्या ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं जिनसे बढ़ते कोरोना को रोका जा सके।
कोरोना की वजह से पूरे देश ने पिछले दिनों काफी कुछ झेला है। किसी की नौकरी चली गई तो किसी का कोई अपना उसे छोड़ कर चला गया। न जानें कितने बच्चे अनाथ हो गए। ऐसे में कोरोना की तीसरी लहर से डर लगना लाज़मी है। लेकिन तीसरी लहर का प्रकोप कुछ राज्यों में उतना ज्यादा कैसे हो गया ये भी अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है? क्या ऐसा गलतियां हुईं इन राज्य सरकारों से जिसके चलते कोरोना फिर से अपनी पकड़ मजबूत बनाने में लग गया है? कोरोना कितना खतरनाक है इससे आज हर कोई वाकिफ है क्योंकि हर एक भारतीय ने इसका क्रूर से क्रूर रुप देखा है। जिससे देखकर दिमाग बंद हो जाए उसे आप कोरोना कह सकते हैं। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि हरेक भारतीय ने इसका हिम्मत के साथ सामना किया है।
पहली बार जब भारत में आया था कोरोना
याद कीजिए साल 2020 जो पूरी दुनिया के लिए इतिहास बन गया है। लेकिन भविष्य में भी इसे याद किया जाएगा। ये वो वक्त था जब पूरी दुनिया ने कोरोना का प्रकोप झेला था।इतना ही नहीं जिस तरह से लोग इससे प्रभावित हो रहे थे, उसे देखते हुए इसे महामारी घोषित कर दिया था। वहीं पूरी दुनिया को इसकी दवा यानी वैक्सीन का इंतजार था।कोरोना महामारी के चलते आयात निर्यात भी रोक दिया गया जिसके कारण देश की हालत चरमरा गई। ये ऐसी हालत सिर्फ भारत की ही नहीं हुई बल्कि पूरे विश्व की यही हालत थी। भारत के लोगों की जान बचाने के लिए लॉकडाउन लगाना पड़ा, लेकिन इस लॉकडाउन की वजह से न जानें कितने लोगों की नौकरी चली गईं।सभी भारतीय इस दुविधा में थे कि जान बचाएं या पेट।
सख्ती के साथ लगा देश में पहला लॉकडाउन
देश में पहला लॉकडाउन बहुत ही सख्ती के साथ लगाया गया। किसी को भी बाहर निकलने की अनुमति नहीं थी। सभी को अपने घरों में रहने को कहा जा रहा था वहीं कोई इमरजेंसी होने पर ही बाहर जाने की इजाजत थी। अगर लोग गलियों या मोहल्लों में इकट्ठे पाए जाते थे तो कानून के हाथ उन पर बरसने से जरा भी नहीं हिचकिचाते थे। और ये एक तरह से सही भी था । हम इसमें कोई बुराई नहीं निकालेंगे। क्योंकि अगर कोई बनाए गए नियम तोड़े तो दंड मिलना तो निश्चित है।
कोरोना के असर ने नहीं बच पाए भगवान
हमारी जो भारतीय संस्कृति है उसमें भगवान को बहुत माना जाता है लेकिन कोरोना ने भारत में आकर भगवान से भक्तों को छीन लिया। मंदिरों पर ताले लग गए। नौ देवा हो या कोई और त्योहार, मंदिर में जाने की पूरी तरह से पाबंदी थी। भक्तों ने भक्ति अपने घर पर ही की। लेकिन कुछ मस्जिदों के हालात मंदिरों से थोड़े जुदा था। एक साथ कई लोग मंदिरों में बैठे पाए गए और जितनी शिद्दत से बैठते थे पुलिस उतने ही प्यार से डंडे लगाकर बाहर निकालती थी। शुरुआत में लोगों ने कोरोना को गंभीरता से नहीं लेते थे। कुछ लोगों का मानना था कि ये कोरोना कम भ्रम ज्यादा है । मगर वक्त के साथ लोग धीरे धीरे सब समझते गए।
पीएम मोदी ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ कोरोना की पहली लहर को किया काबू
जिस तरह से पीएम मोदी ने कोरोना की पहली लहर को काबू किया, उसे देखकर पूरा विश्व दंग रह गया। पूरे विश्व में भारत की जयजयकार हुई। कई देशों ने पीएम मोदी के इस कदम के लिए उनकी पीठ थपथपाई। और इस तरह हमने कोरोना की पहली लड़ाई से जंग जीत ली।
दूसरे राज्यों में काम करने वाले लोग पैदल लौटे अपने राज्य
खासकर के यूपी बिहार के लोग अपने जिले अपने घर जाने के लिए परेशान दिखे। जैसा कि आप जानते हैं कि लॉकडाउन के समय में वाहनों पर रोक लगी हुई थी, तो लोग पैदल यात्रा पर निकल पड़े। उस वक्त जो लोग पलायन कर रहे थे, उनका कहना था कि नौकरी छूट गई है कामधंधा कोई है नहीं इसलिए अपने घर लौट रहे हैं। शहरों में किराए और खानपान चलाने का खर्चा बिना काम धेधे के कैसे निकालें।
30 जनवरी 2020 में आया कोरोना का पहला मामला
भारत में कोरोना का पहला केस केरल से सामने आया। आपको बता दें कि केरल भारत के दक्षिण में है। ये पहला केस एक युवती में पाया गया था जिसकी उम्र करीब 20 साल थी। बताया जा रहा था कि ये युवती चीन के वुहान शहर से 25 जनवरी 2020 को लौटी थी। और जैसा कि आप जानते हैं कि ये चीन का वहीं वुहान शहर था जहां कोरोना वायरस का जन्म हुआ। मिली जानकारी के मुताबिक ये युवती वहां 3 साल से मेडिकल की पड़ाई कर रही थी।
वहीं बात अगर भारत में पहली मौत की करें तो पहली मौत 12 मार्च 2020 को हुई थी। ये पहली मौत कर्नाटक राज्य में हुई थी।मरने वाले 76 वर्ष के थे। मिली जानकारी के मुताबिक ये व्यक्ति सऊदी अरब से लौटे थे।
कैसी थी कोरोना की दूसरी लहर
कोरोना की दूसरी लहर में अगर पूरे विश्व में सबसे भयानक हालत की बात करें तो वो भारत में ही थे।लोगों की मौत इतनी जल्दी जल्दी होती गई कि कोेई कुछ समझ ही नहीं पाया। समसान घाट या कब्रिस्तान की हालत तो ऐसी थी कि न उसमें जलाने की दवा बची और न दफनाने की।
ऑक्सीजन के लिए भटके लोग
कोरोना की पहली लहर में भारत ने जितना खुद को संभाला था, दूसरी लहर में हालात उतने ही बिगड़ गए। ऑक्सीजन की किल्लत से न जानें कितने लोगों की जानें चलीं गई। सरकारें चाहें कितनी भी सफाई दे लें, लेकिन इस सच को नहीं ठुकराया जा सकता कि किस तरह लोगों ने ऑक्सीजन की आस में अपनी जानें गंवाई हैं।दूसरी लहर न जाने कितने लोगों को बहा कर ले गई। न जानें कितने बच्चे अनाथ हो गए। ऐसा कोई व्यक्ति नहीं बचा जिसने अपने किसी जानने वाले को न खोया हो। ऑक्सीजन की व्यवस्था एकदम चौपट दिखी।
कोरोना की पहली लहर के बाद कुछ महीने तक सब ठीक चला लेकिन उसके बाद कोरोना की दूसरी लहर की आहट सुनाई देने लगी।
लगातार तीन दिन भी हुआ जीना मुश्किल
अस्पताल में मरीजों की हालत इस कदर थी कि भर्ती होने के बाद दो से तीन दिन में लोगों की मौत हो जा रही थी। डॉक्टर्स ऐड़ी चोटी का जोर लगाने के बाद भी ज्यादातर मरीजों को नहीं बचा पा रहे थे।
नेता व्यस्त थे रैलियों में
कोरोना की दूसरी लहर की जब शुरुआत हुई तब हमारे देश के जानेमाने नेता चुनावी रैलियों में मशगूल थे। जब लोग ऑक्सीजन की कमी से मर रहे थे तब नेता चुनाव प्रचार कर रहे थे। कोविड प्रोटोकोल की बंगाल समेत कुछ अन्य राज्यों में धज्जियां उड़ाईं जा रहीं थीं। न मास्क का प्रयोग हो रहा था और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन। चुनाव खत्म होने के बाद ही नेताओं ने कोरोना की सुध ली। और कड़ी मशक्कत के बाद कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाया जा सका।
पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में कम था लॉकडाउन
आम लोगों की आर्थिक स्थिति का ख्याल करते हुए दूसरी लहर में लॉकडाउन कन रखा गया। और सख्ती भी कम बरती गई, ताकि आम इंसान रोज की मजदूरी करके अपना पेट भर सके । क्योंकि ये आप और हम सब जानते हैं कि इन कठिन परिस्थतियों में जिनका जीवन सबसे ज्यादा कठिन हो जाता है वो है देश का आम इंसान। जिसने मुश्किल से कुछ पैसे जोड़कर अलग से रखे होते है। अगर इन सब के चलते वो खर्च हो जाएं तो आगे का सहारा कौन बनेगा। हालांकि दूसरी लहर में दिल्ली करीब एक महीने के लिए बंद हो गई थी, मतलब लॉकडाउन लगा दिया गया था। लेकिन धीरे धीरे स्थिति संभलती गई लॉकडाउन को फिर से खोल दिया गया।
कोरोना के खौफ के बीच भी हुए थे कुछ ठहाके वाले कारनामे
जब पूरा देश कोरोना के खौफ में था तब कुछ चीजें ऐसी हुईं जिन्हें देखकर लोग अपने ठहाके रोक नहीं पाए। कोरोना के बीच एक तस्वीर आई जहां सारी महिलाएं इकट्ठी होकर कोरोना को भगाने के लिए गाना गा रहीं थीं। वहीं एक तस्वीर ऐसी भी आई थी जहां कुछ लोग एक साथ खड़े होकर गो कोरोना के नारे लगाए थे। वहीं ये ठहाके तब और ज्यादा बढ़ गए जब देश के सर्वश्रेष्ठ आज तक टीवी चैनल पर ये बताया जा रहा था कि शराब पीने वालों को नहीं होगा कोरोना।
तो दोस्तों कैसी लगी आपको ये मेरी रिपोर्ट मुझे जरुर बताएं। और अगर आपके पास भी कोई एक्सपीरियंस है जो कोरोना या लॉकडाउन से जुड़ा हो तो कमेंट के जरिए हमसे जरुर शेयर करें।या आपने भी कोई ऐसा किस्सा देखा हो जिसे देखकर आप अपने ठहाकों या हंसी को रोक न पाएं हो तो हमसे जरुर शेयर करें।