भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की यमन में फांसी टली, दूतावास ने निभाई अहम भूमिका

यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को दी गई फांसी की सजा फिलहाल स्थगित कर दी गई है। निमिषा प्रिया पिछले आठ सालों से यमन की जेल में बंद हैं, जहां हत्या के आरोप में उन्हें सर्वोच्च अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारतीय दूतावास लगातार यमन के स्थानीय प्रशासन के संपर्क में है और मामले पर नज़र बनाए हुए है।
Written by Himanshi Prakash, National Khabar
यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी फिलहाल टल गई है। वह पिछले आठ साल से यमन की जेल में बंद हैं और वहां की सर्वोच्च अदालत ने उन्हें हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी।
भारत सरकार के सभी प्रयासों के बावजूद, निमिषा प्रिया के मामले में 16 जुलाई 2025 को फांसी की सजा सुनाई गई।
सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा मामला
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, स्थानीय प्रशासन ने बुधवार को होने वाली फांसी को फिलहाल स्थगित कर दिया है। इस मामले को भारत के सुप्रीम कोर्ट में भी उठाया गया था। वहां केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि चूंकि यह मामला दूसरे देश के अधिकार क्षेत्र में है, इसलिए उसकी भूमिका सीमित है।
विदेश मंत्रालय ने निभाई अहम भूमिका
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, निमिषा प्रिया मामले में भारतीय दूतावास लगातार स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में बना रहा। खासतौर पर निमिषा प्रिया के परिजनों को हर संभव सलाह दी गई और यमन के कानूनी पहलुओं के बारे में जानकारी भी दी जाती रही।
दूतावास ने पीड़ित परिवार और निमिषा प्रिया के परिजनों के बीच सीधे संवाद स्थापित कराने में भी मदद की, ताकि आपसी बातचीत का रास्ता खुल सके। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, “यह मामला बेहद संवेदनशील है। भारतीय अधिकारी लगातार यमन के प्रशासन और जेल अधिकारियों के संपर्क में हैं। इसी प्रयास की वजह से फिलहाल फांसी की तारीख टाल दी गई है।”
“ब्लड मनी” से बच सकती है निमिषा प्रिया की जान
यमन की सर्वोच्च अदालत से फांसी की सजा तय होने के बाद, अब निमिषा प्रिया के पास बचने का एकमात्र रास्ता इस्लामिक कानून के तहत “ब्लड मनी” का ही बचता है। इसके तहत, अगर पीड़ित का परिवार तय राशि लेकर माफी दे दे, तो सजा माफ की जा सकती है।
केरल निवासी निमिषा प्रिया ने शिक्षा पूरी करने के बाद यमन में रोजगार के अवसर तलाशे। वहां उन्होंने स्थानीय नागरिक तलत अब्दुल मेंहदी के साथ साझेदारी में एक चिकित्सा केंद्र की स्थापना की।
उसने प्रिया का पासपोर्ट और दूसरे दस्तावेज भी जब्त कर लिए थे। इसके बाद प्रिया ने अपने पति और बच्चे को भारत भेज दिया। अदालत में दर्ज मामले के अनुसार, पासपोर्ट वापस पाने के लिए प्रिया ने मेंहदी को बेहोशी का इंजेक्शन दिया, लेकिन उसकी वजह से उसकी मौत हो गई। यही मामला उनके खिलाफ हत्या के आरोप में चल रहा है।