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डॉ. बिस्वरुप रॉय चौधरी ने बताया हार्ट अटैक से बचने का सबसे बेस्ट तरीका

रिपोर्ट- भारती बघेल

डॉ. बिस्वरुप रॉय चौधरी आज किसी भी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उनको देश में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में लोग जानते हैं। इतना ही नही भारत के साथ- साथ उनके विदेश में भी सेंटर्स हैं। वहीं उनसे की गई खास बातचीत में क्या कुछ निकल कर आया वो आप निम्नलिखित चर्चा में जानेंगे।

तो पहला सवाल ही ये आता है कि हार्ट- अटैक क्या है?
इसका जवाब देते हुए डॉ. बिस्वरुप ने कहा कि हार्ट अटैक को मेडिकल भाषा में इंफेक्शन भी बोल सकते हैं। इसका सिंपल मतलब है कि हमारी पूरी बॉडी में ब्लड वेसल्स है। करीब 6 लाख किलोमीटर लंबा। और वह ब्लड वेसल हार्ट के ऊपर भी हैं। तो वो जो ब्लड वेसल जो हार्ट के सेल को ब्लड भेजता है। फूड भेजता है। ऑक्सीजन भेजता है। उसमें अगर कहीं पर कोई ब्लॉकेज आ जाए उस ब्लॉकेज से आपको जो तकलीफ होती है। आपको डिस्कंफर्ट होगा। पेन होगा। आपको पसीने छूटने लगेंगे। आपके हार्ट के पास पेन होगा। और वह पेन धीरे-धीरे हाथों में जाएगा तो इस तरह के जो डिस्कंफर्ट है। या आप जब चलेंगे तो पेन होगा। तो अगर उसका ये पेन ज्यादा बढ़ जाएगा। पसीने एकदम छूटने लगेंगे। पेन की जो इंटेंसिटी है वो अगर बढ़ती जा रही है। यानी कि हार्ट अटैक हो गया है।

ब्लॉकेज होना अपने आप में हार्टअटैक नहीं है। ब्लॉकेज की वजह से हाई अटैक होता है। मतलब यह कि ब्लॉकेज जब हंड्रेड परसेंट हो गया। और सेल्स में ब्लड अब जा नहीं रहा है। हार्ट के सेल्स को जब खाना-पीना, ब्लड नहीं मिल रहा है। तो हार्ट के शैल मरने लगेंगे। और जैसे-जैसे वह मरने लगेंगे वैसे- वैसे आपको दर्द का एहसास बढ़ने लगेगा। इस पल को बोलेंगे कि आपको हार्ट अटैक हो चुका है।

हालांकि एक बात और जान लीजिए कि जिस तरह के सिम्टम्स डॉ. ने बताए। यह सारे सिम्टम्स तब भी हो सकते हैं जब किसी को गैस्ट्रिक पेन हो। यानी कि वह पेन पेट से आएगा। लेकिन उस व्यक्ति को ऐसा लगेगा कि मुझको हार्ट अटैक आ गया है 99% केस में ऐसा ही होता है। गैस्ट्रिक पेन के लिए कुछ करने की जरुरत नहीं है। ये अपने आप ही समय के साथ ठीक हो जाता है।

अब दूसरा सवाल जो हमने डॉ. बिस्वरुप से पूछा वो ये कि हार्ट-अटैक और कार्डिएक अरेस्ट में क्या अंतर है?
इसके जवाब में डॉ. बिस्वरुप ने कहा कि कार्डिएक अरेस्ट का मतलब होता है डेथ। जैसे कोई इंसान आपके सामने मर गया तो पहले 10 मिनट में उसे बोलेंगे कार्डिएक अरेस्ट। और 10 मिनट जब बीत गए तो उसी डेथ को बोलेंगे डेथ। जैसे मान लीजिए आपके सामने कोई व्यक्ति मरा पड़ा है जो अभी कुछ देर पहले जिंदा था। और आपके सामने अचानक वो कॉलेप्स हो गया। और आपने सिर्फ यह देखा कि उसके पल्स नहीं है और सांसे नहीं है। तो आप बोलेंगे कि इसे कार्डिएक अरेस्ट हो गया है। और ऐसे ही जब 10 मिनट बीत गए अब बोलेंगे कि यह मर गया।

मरने और जीने के बीच का जो समय है 10 मिनट का। उसे ही बोलते हैं कार्डिएक अरेस्ट। इसका मतलब यह कि जब इंसान कोई मरता है, तो एकदम से नहीं मरता है। उसकी सांसे चली जाती है। पल्स चला जाता है। वह ऐसे ही डेड बॉडी की तरह पड़ा रहता है। उसकी जो आत्मा है वह आस-पास ही रहती है।

तो ऐसे में अगर हम ठीक उसका हार्ट पंप कर सकते हैं। तो आत्मा वापस आ सकती है। तो डेथ तो वापस नहीं हो सकती। लेकिन कार्डिएक अरेस्ट वापस हो सकता है। इसलिए पहले 10 मिनट को डेथ न बोल कर हम बोलते हैं कार्डिएक अरेस्ट। अगर 10 मिनट नहीं हुए हैं तो उसे मरना घोषित नहीं कर सकते। तो यह डिफरेंस है कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक में।

अब वक्त है उस आखिरी सवाल का, जिसका आप सभी को इंतजार था कि अगर किसी को हार्ट अटैक आ जाए तो उस कंडीशन में क्या करना चाहिए?
इसके जवाब में डॉ. बिस्वरुप ने कहा कि हार्ट अटैक को को पहचानने के लिए उसके सिम्टम्स को देखना पड़ेगा। खासतौर पर ऐसे लोग जो चलते हैं तो पेन बढ़ जाता है। सीढ़ियां चढ़ते हैं तो पेन बढ़ जाता है। समान उठाते हैं तो पेन बढ़ जाता है। तो डेफिनेटली वह हार्ट का पेन है। और वह पेन अचानक बढ़ता चला गया बढ़ता चला गया तो आप उसे लिंक कर सकते हैं कि वह हार्ट अटैक का पेन है।

तो ऐसे में उनको क्या करना है इसे जानने के लिए आप ये वीडियो देखें https://youtu.be/CK30XCgRm6M
(वहीं जो लोग इस खबर को हमारी वेबसाइट पर पढ़ रहे हैं वो खबर के साथ अटैच लिंक को देखें। जिसमें डॉ. बिस्वरुप ने बताया है कि हार्ट अटैक आने पर आपको वो कौन सी बातें हैं, जिन्हें आपको फॉलो करना है।) https://youtu.be/CK30XCgRm6M

जो लोग ये पूरा वीडियो देखना चाहते हैं वो नेशनल खबर के चैनल नेशनल हेल्थ पर जाकर देख सकते हैं।

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