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घाटी में टारगेट किलिंग की घटनाओं ने बढ़ाई चिंता हर हाल में रोकना होगा एक और पलायन

रिपोर्ट- भारती बघेल

बीते कुछ दिनों कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकियों द्वारा दलित अध्यापिका रजनी बाला की हत्या के बाद घाटी में मौजूद हिंदुओं के बीच जो खौफ पैदा हुआ, उसे इसी जिले में एक बैंक मैनेजर विजय कुमार की टारगेट किलिंग ने और बढ़ा दिया है। वह मूलत: राजस्थान के थे। उनकी हत्या से पहले बड़गाम जिले में कश्मीरी राहुल भट्ट की हत्या होने के बाद हिंदू कर्मचारियों ने कश्मीर के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन किया था। और साथ ही ये भी कहा था कि उनके सामने फिर से पलायन के अलावा और कोई रास्ता नहीं दिखता।

क्योंकि लगातार हो रही टारगेट किलिंग से घाटी में तैनात हिंदू कर्मचारियों और अन्य अल्पसंख्यकों में भय और असुरक्षा की भावना व्याप्त हो रही है। इसलिए वे मांग कर रहे हैं कि कश्मीर में सुरक्षा हालात पूरी तरह सामान्य होने तक उन्हें जम्मू संभाग में स्थानांतरण कर दिया जाए। आतंकियों ने पिछले 20 दिनों में 7 लोगों को लक्ष्य बनाकर मौत के घाट उतारा है। यह आंकड़ा चिंतित करने वाला है।

जब केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन हालात लगातार बेहतर होने का दावा कर रहे हों, तब आतंकियों का आम नागरिकों खास तौर पर हिंदुओं को निशाना बनाना कितना परेशानी भरा है, यह गृह मंत्री अमित शाह की ओर से कश्मीर के हालात की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाने से होती है। अमित शाह कश्मीर की स्थिति की समीक्षा पिछले 15 दिनों में दूसरी बार कर रहे हैं। घाटी में कश्मीरी हिंदुओं के साथ देश के दूसरे हिस्सों में गैर कश्मीरियों की टारगेट किलिंग को देखते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने घोषणा की है, कि कश्मीर में तैनात अल्पसंख्यक समुदाय के सभी कर्मचारियों को 6 जून तक सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

अभी तक लगभग साढे चार हजार कश्मीरी पंडितों को प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत सरकारी नौकरी दी गई है। इनमें से सभी कश्मीर में तैनात हैं। आतंकी बार-बार इस समुदाय को निशाना बनाकर उन्हें घाटी से पलायन करने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। आतंकी संगठन लगातार वीडियो जारी कर कश्मीरी हिंदुओं और देश के दूसरे हिस्से के कर्मचारियों और अन्य लोगों को कश्मीर छोड़ने के फतवे जारी कर रहे हैं।

राहुल भट्ट की जब हत्या हुई उसके बाद पुलिस एवं प्रशासन के आला अधिकारियों ने कश्मीरी हिंदू कर्मचारियों को आश्वस्त किया था कि उनकी सुरक्षा में कोई भी कोताही नहीं बरती जाएगी। और दहशत फैलाने वालों को उनके अंजाम तक जल्द पहुंचाया जाएगा। ऐसा हुआ भी पिछले कुछ दिनों में हुई टारगेट किलिंग में लिप्त आतंकियों को सुरक्षाबलों ने 1 या 2 दिन में ही मौत के घाट उतार कर माकूल बदला लिया। इसके बाद भी जिस तरह रजनी बाला और विजय कुमार की हत्या हुई उस से हिंदुओं के मन में डर घर कर रहा है। और वे अब पलायन की बात कर रहे हैं।

यदि वे सचमुच घाटी छोड़कर चले जाते हैं, तो पाकिस्तान और उसकी परस्ती में फल-फूल रहे आतंकी संगठनों का एजेंडा पूरा हो जाएगा। स्पष्ट है कि पलायन को हर हाल में रोका जाना चाहिए। कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ जंग चल रही है। टारगेट किलिंग में मारे गए हिंदुओं का बलिदान सेना और पुलिस के बलिदानों से कहीं कम नहीं है। आतंक से जंग सिर्फ सेना और पुलिस के जवान ही नहीं बल्कि आम नागरिकों को भी लड़नी पड़ेगी। आतंकियों का डटकर मुकाबला करते हुए उनके नापाक इरादों को नेस्तनाबूद करने के बारे में सोचना चाहिए।

यह भी उल्लेखनीय है कि अनुच्छेद 370 और 35a के हटने के बाद घाटी के सुरक्षा परिदृश्य में व्यापक बदलाव आया है। आतंकी संगठनों की फंडिंग से लेकर सीमा पार से होने वाली घुसपैठ का पर प्रहार किया गया है। सुरक्षाबलों द्वारा बड़ी संख्या में आतंकियों को मारा जा रहा है। इनमें से ज्यादातर कमांडर हैं। सरकार ने आतंक को पोषित करने वाले स्थानीय नेटवर्क की कमर तोड़ दी है। स्थानीय लोगों ने आतंकियों की फरमान मानना बंद कर दिया है। इससे पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं की कुर्सी हिलने लगी है।

टारगेट किलिंग में तेजी आतंकियों की हताशा की परिचायक है। वे बौखलाहट में आकर कभी निहत्थे पुलिसकर्मी सैफ कादरी की हत्या करते हैं, तो कभी टीवी कलाकार अमरीना बट को गोलियों से भून डालते हैं। उनकी बौखलाहट इसे लेकर भी है कि उनकी दहशतगर्दी के बावजूद कश्मीर सैलानियों से गुलजार है। श्रीनगर और पहलगाम सरीखे पर्यटन स्थलों पर होटल में कमरे उपलब्ध नहीं है। श्रीनगर एयरपोर्ट से रिकॉर्ड संख्या में उड़ान भरी जा रही है।

आतंकियों की खौफनाक गतिविधियों के बाद भी 30 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा प्रबंध न सिर्फ पुख्ता किया जा रहा है, बल्कि कुछ नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। एंटी ड्रोन प्रणाली के इस्तेमाल से लेकर आधार शिविरों तक हेलीकॉप्टर सेवा और मुफ्त बैटरी कार की सुविधा के साथ स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार करके जम्मू कश्मीर के प्रशासन और श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड इस यात्रा को बहुत विशेष बनाना चाहते हैं।

सुरक्षा बल जानते हैं कि हर वर्ष अमरनाथ यात्रा से पहले आतंकी हमले तेज हो जाते हैं। आतंकी संगठन कश्मीर के बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को भयभीत करने के लिए ऐसा करते हैं। लेकिन जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से की जा रही तैयारियों से साफ है कि इस बार रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। ऐसे में एक ओर जहां कश्मीर में रह रहे हिंदुओं को सुरक्षाबलों पर विश्वास करना चाहिए, वही हिंदू कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के साथ ही सरकार को आतंक की कमर तोड़ने के लिए कुछ नए उपाय करने चाहिए।

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