Sunday, September 8, 2024
HEALTH

Air Pollution:स्टडी में सामने आया डिमेंशिया से इसका संबंध, ट्रैफिक का प्रदूषण बन सकता है आपके दिमाग का दुश्मन

वायु प्रदूषण की वजह से सेहत से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं जिसमें डिमेंशिया भी शामिल है। ट्रैफिक से होने वाला प्रदूषण दिमागी सेहत को काफी प्रभाव करता है। इस स्टडी में इसके कारण और प्रभाव पता लगाने की कोशिश की गई है। जानें क्या पाया गया इस स्टडी में और कैसे कर सकते हैं प्रदूषण से बचाव

हाईलाइट

ट्रैफिक से होने वाले प्रदूषण की वजह से डिमेंशिया का खतरा अधिक बढ़ जाता है।

डिमेंशिया में याददाश्त कमजोर होने, बातचीत करने में तकलीफ, मूड स्विंग्स जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।

प्रदूषण से बचाव करने के लिए अपनी डाइट हेल्दी बनाएं, मास्क लगाएं और बेवजह बाहर निकलने से बचें

Written By: Rishu Pandey, Edited By: Pragya Jha

वायु प्रदूषण सेहत के लिए किसी श्राप से कम नहीं है। इस वजह से सेहत से जुड़ी कितनी ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है, इसका आपको कुछ हद तक अंदाजा होगा। वायु प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले अंग फेफड़े हैं। हवा के जरिए शरीर में प्रवेश करने वाले प्रदूषक सबसे पहले फेफड़ों में पहुंचते हैं, जिस कारण से उन्हें सबसे पहले नुकसान होता है, जिनमें PM 2.5 सबसे छोटा प्रदूषक होता है, जो आसानी से बल्ड में जा सकता है।


क्या है यह नई स्टडी?


अभी तक आपने सुना होगा कि वायु प्रदूषण की वजह से दिल की बीमारियां, रेस्पिरेटरी डिजीज, डायबिटीज और रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स प्रभावित होते हैं, लेकिन इसकी वजह से आपके दिमाग पर भी काफी गंभीर नकरात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। हाल ही में, इस बारे में एक स्टडी सामने आई है, जिसमें ट्रैफिक की वजह से होने वाले प्रदूषण का दिमाग पर क्या असर होता है, इस बारे में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। न्यूरोलॉजी में पब्लिश हुई स्टडी में यह बताया गया है कि ट्रैफिक की वजह से होने वाला प्रदूषण डिमेंशिया के गंभीर प्रकार के लिए जिम्मेदार हो सकता है। साथ ही, जिन व्यक्तियों में डिमेंशिया के जीन मौजूद नहीं है, उनमें भी डिमेंशिया का प्रमुख कारण बन सकता है।


क्यों बढ़ता है डिमेंशिया का खतरा?


हवा में प्रदूषण के PM 2.5 पार्टिकल्स होते हैं, जो ब्लड-ब्रेन में आसानी से घुस सकता है, जिस वजह से यह दिमाग तक पहुंचकर नुकसान पहुंचा सकता है। इस स्टडी में यह पाया गया कि जिन व्यक्ति को ट्रैफिक की वजह से होने वाले प्रदूषण का ज्यादा सामना करना पड़ता है, उनमें डिमेंशिया के लिए जिम्मेदार माना जाना वाला अमाइलॉइड प्लेग अधिक मात्रा में पाया गया। यह प्लेग न्यूरॉन्स पर इकट्ठा होने लगता है, जिससे कॉग्नीटिव हेल्थ पर प्रभाव पड़ता है और डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इस प्लेग को डिमेंशिया के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इसके पलहे जामा इंटरनल मेडिसिन में भी इस बारे में एक स्टडी पब्लिश हुई थी, जिसमें यह कहा गया था


क्या है डिमेंशिया?


अल्जाइमर्स एसोशिएशन के अनुसार, डिमेंशिया खुद में कोई बीमारी नहीं है बल्कि, वह कई बीमारियों का समूह है, जो दिमागी सेहत को प्रभावित करते हैं। इनमें अल्जाइमर सबसे आम है। जिसकी वजह से रोज के छोटे-मोटे काम करने में भी व्यक्ति असमर्थ होता जाता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 5.5 करोड़ लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं।


कैसे कर सकते हैं वायु प्रदूषण से बचाव?


1 अपने घर या दफ्तर के आस-पास के AQI लेवल को नियमित रूप से चेक करें।

2. प्रदूषण अधिक होने पर बिना मास्क के बाहर न निकलें।

3 हर छोटी राइड के लिए अपनी कार का इस्तेमाल न करें। इसके बदले पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे- मेट्रो का इस्तेमाल करें, इससे प्रदूषण कम होता है और आपको भी कम प्रदूषण का सामना करना पड़ेगा।

4 घर में और गाड़ी में एयर प्योरिफायर का इस्तेमाल करें

5 घर के अंदर इंडोर प्लांट्स लगाएं ताकि घर के भीतर की हवा शुद्ध रहे।

6 डिटॉक्सीफाइंग ड्रिंक्स पीएं, जैसे हर्बल टी।

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