स्वास्थ्य

युवाओं में कोलन कैंसर के मामले तेजी से बढ़े: क्या हैं कारण?

हाल के दिनों में युवाओं (Colon cancer risk in young adults) में कोलन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक हालिया स्टडी में इसका खुलासा हुआ है। हालांकि इसका सही कारण अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन शोधकर्ताओं का मानना है कि मोटापा और डायबिटीज जैसे कारक इसके पीछे हो सकते हैं। आइए जानते हैं कोलन कैंसर के अन्य संभावित कारणों के बारे में।

Written by Himanshi Prakash, National Khabar

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो इन दिनों कई लोगों के लिए बड़ी चिंता का कारण बन चुकी है। यह दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है और हर साल लाखों लोगों की जान ले रहा है। खासकर भारत में हाल के वर्षों में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं, जिससे यह एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या बन गया है। कैंसर कई प्रकार का होता है, जो शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है और उसी के नाम से पहचाना जाता है। इन्हीं में से एक है कोलन या बॉवेल कैंसर, जो इन दिनों खासतौर पर युवाओं को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है।

हाल ही में एक स्टडी में सामने आया है कि युवाओं में आंत के कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। चिंता की बात यह है कि इन बढ़ते मामलों का कोई स्पष्ट कारण अब तक सामने नहीं आया है। कैंसर रिसर्च यूके के मुताबिक, यह बीमारी अब भी बुजुर्गों में ज्यादा पाई जाती है, लेकिन कई देशों में 50 साल से कम उम्र के लोगों में इसके बढ़ते मामले चिंता बढ़ा रहे हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि खराब डाइट और मोटापा इसके अहम जोखिम कारक हो सकते हैं। आइए जानते हैं कोलन कैंसर के कुछ अन्य संभावित कारण।

  1. मोटापा
    जरूरत से ज्यादा वजन होना कोलन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है। मोटापा कई गंभीर बीमारियों की जड़ बनता है, जिनमें बॉवेल कैंसर भी शामिल है। अधिक वजन वाले लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा ज्यादा होता है, और यह खतरा पुरुषों में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। ऐसे में इस जोखिम को कम करने के लिए हेल्दी वेट बनाए रखना बेहद जरूरी है।
  2. स्मोकिंग
    लंबे समय तक धूम्रपान करने वालों में कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा, न करने वालों की तुलना में ज्यादा होता है। स्मोकिंग से कोलन में पॉलीप्स बनने की संभावना भी बढ़ जाती है। आमतौर पर धूम्रपान को फेफड़ों के कैंसर से जोड़ा जाता है, लेकिन यह कई अन्य तरह के कैंसर का कारण भी बन सकता है।
  3. शराब का सेवन
    शराब पीने से भी कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। वैसे तो किसी भी मात्रा में शराब सेहत के लिए नुकसानदेह होती है, लेकिन अगर आप पीते ही हैं, तो पुरुषों को दिन में 2 से ज्यादा और महिलाओं को 1 से ज्यादा ड्रिंक नहीं लेनी चाहिए। हालांकि, ऐसा करने से भी कैंसर से पूरी तरह बचाव की गारंटी नहीं मिलती। इसलिए बेहतर है कि शराब से पूरी तरह दूरी ही रखें।
  4. टाइप-2 डायबिटीज
    टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों में कोलोरेक्टल कैंसर होने की संभावना उन लोगों से ज्यादा होती है जिनमें यह कैंसर नहीं होता। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह जोखिम इंसुलिन के उच्च स्तर के कारण बढ़ सकता है, जो खासतौर पर हाई रिस्क डायबिटीज मरीजों में देखा जाता है। टाइप-2 डायबिटीज और कोलोरेक्टल कैंसर दोनों में मोटापा और शारीरिक सक्रियता की कमी जैसे कुछ सामान्य जोखिम कारक होते हैं। हालांकि, इन कारकों का ध्यान रखने के बावजूद भी डायबिटीज से पीड़ित लोगों में इस कैंसर का खतरा अधिक रहता है।
  5. कुछ विशेष प्रकार की डाइट
    कुछ खास प्रकार के खाने से कोलन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। रेड मीट जैसे बीफ, पोर्क, लैम्ब या लिवर, और प्रोसेस्ड मीट जैसे हॉट डॉग आदि का अधिक सेवन कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है। इसलिए इन खाद्य पदार्थों की मात्रा सीमित रखना जरूरी है।

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