स्वास्थ्य

Shefali Jariwala की मौत के बाद IV थेरेपी पर सवाल, जानिए क्या है इसका सच

उनकी अप्रत्याशित मौत ने फैंस और सेलेब्रिटीज को झकझोर दिया है। इस घटना के बाद डॉक्टरों ने एंटी-एजिंग के लिए की जाने वाली IV ड्रिप थेरेपी से जुड़ी अहम जानकारियां साझा की हैं।

मशहूर डांसर और सेलिब्रिटी Shefali Jariwala, जो ‘कांटा लगा गर्ल’ वायरल वीडियो से प्रसिद्ध हुई थीं, का 42 वर्ष की आयु में कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया। उनकी अप्रत्याशित मौत ने फैंस और सेलेब्रिटीज को झकझोर दिया है। इस घटना के बाद डॉक्टरों ने एंटी-एजिंग के लिए की जाने वाली IV ड्रिप थेरेपी से जुड़ी अहम जानकारियां साझा की हैं।

Written by Himanshi Prakash, National Khabar

“कांटा लगा गर्ल” के नाम से प्रसिद्ध शेफाली जरीवाला (Shefali Jariwala) का 27 जून को हृदय गति रुकने (कार्डियक अरेस्ट) से निधन हो गया। महज़ 42 वर्ष की आयु में उनकी अप्रत्याशित मृत्यु ने सभी को हिलाकर रख दिया। मीडिया सूत्रों के अनुसार, निधन से ठीक पहले वह एंटी-एजिंग उपचार के तौर पर इंजेक्शन और आईवी ड्रिप थेरेपी (IV Drips के दुष्प्रभाव) ले रही थीं।”

हाल ही में शेफाली जरीवाला की करीबी दोस्त पूजा घई ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि शेफाली ने अपनी मौत से ठीक पहले विटामिन-सी की आईवी ड्रिप ली थी। यह एक तरह की थेरेपी है, जिसे अक्सर लोग ब्यूटी ट्रीटमेंट के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आजकल कई सेलेब्रिटीज इस थेरेपी का सहारा ले रहे हैं। इस विषय में और जानकारी के लिए हमने यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, फरीदाबाद की डर्मेटोलॉजी और कॉस्मेटोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. चेतना घूरा से बात की और IV ड्रिप थेरेपी से जुड़ी अहम जानकारियां लीं।

आईवी ड्रिप थेरेपी क्या है?
डॉ. चेतना घूरा के अनुसार, आईवी ड्रिप थेरेपी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें तरल पदार्थ, विटामिन, मिनरल्स और दवाइयां नसों के जरिए सीधे ब्लड स्ट्रीम में पहुंचाई जाती हैं। यह तकनीक आमतौर पर डिहाइड्रेशन, पोषक तत्वों की कमी या दवाओं को तेजी से शरीर में पहुंचाने के लिए उपयोग की जाती है।

पिछले कुछ वर्षों में यह थेरेपी स्किन ग्लो, एनर्जी बूस्ट, रिकवरी और इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भी काफी लोकप्रिय हो गई है। एस्थेटिक ट्रीटमेंट्स के दौरान खासतौर पर इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, ग्लूटाथियोन और विटामिन-सी जैसे तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है।

आईवी ड्रिप थेरेपी कैसे काम करती है?
आईवी ड्रिप थेरेपी के दौरान एक छोटा कैथेटर आमतौर पर बांह की नस में डाला जाता है। इससे एक ट्यूब जुड़ी होती है, जो एक तरल पदार्थ से भरे बैग से जुड़ी रहती है। यह तरल धीरे-धीरे लगभग 30 से 60 मिनट में ब्लड स्ट्रीम में पहुंचता है। चूंकि पोषक तत्व सीधे खून में पहुंचते हैं और पाचन तंत्र को बायपास कर देते हैं, इसलिए इनका अवशोषण तेज़ और अधिक प्रभावी होता है। इस कारण कई मामलों में तुरंत लाभ भी देखने को मिलता है।

आईवी थेरेपी के संभावित साइड इफेक्ट्स
डॉ. चेतना के अनुसार, आईवी थेरेपी से कुछ मामलों में नसों में सूजन, चोट, इंजेक्शन वाली जगह पर संक्रमण या एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। खासकर जब फैट में घुलने वाले विटामिन्स जैसे—विटामिन A, D, E और K—शरीर में अत्यधिक मात्रा में पहुंच जाएं, तो टॉक्सिसिटी (विषाक्तता) का खतरा भी हो सकता है।

इसीलिए इस थेरेपी को देने से पहले डॉक्टर जरूरी जांच करते हैं, ताकि यह पता चल सके कि मरीज को कौन से तत्व दिए जा सकते हैं और कौन से नहीं। यह टेस्ट आमतौर पर थेरेपी से 24 घंटे पहले किया जाता है और कई मामलों में यह प्रक्रिया जान बचाने वाली साबित होती है।

क्या आईवी थेरेपी सभी के लिए सुरक्षित है?
डॉक्टर चेतना बताती हैं कि यह थेरेपी हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं होती। खासतौर पर जिन लोगों को किडनी या हृदय संबंधी समस्याएं हैं या जो किसी पुरानी बीमारी से जूझ रहे हैं, उन्हें पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। मेडिकल जरूरत के बिना या सिर्फ कॉस्मेटिक कारणों से इसे बार-बार लेना नुकसानदायक हो सकता है।

क्या रखें सावधानी?

  1. थेरेपी हमेशा किसी सर्टिफाइड और प्रशिक्षित मेडिकल प्रोफेशनल से ही करवाएं।
  2. पूरी प्रक्रिया साफ-सफाई और हाइजीन के साथ होनी चाहिए।
  3. ड्रिप में डाले गए तत्वों के बारे में पूरी जानकारी लें और यह भी समझें कि इसका उद्देश्य क्या है।
  4. डॉक्टर को पहले से अपनी एलर्जी, मेडिकल हिस्ट्री या कोई मौजूदा स्वास्थ्य समस्या के बारे में ज़रूर बताएं।

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