पतली बांह और मोटी कमर: बुजुर्गों में डिमेंशिया का बड़ा संकेत — एम्स गोरखपुर स्टडी

एम्स गोरखपुर की एक स्टडी में पाया गया कि 60 साल से ज्यादा उम्र के 70% लोगों में डिमेंशिया के लक्षण दिखे। इनमें एक समानता यह थी कि उनके हाथ पतले थे, जबकि कमर के आसपास अधिक वसा जमा थी। डिमेंशिया (मनोभ्रंश) की स्थिति में स्मृति क्षीण हो जाती है और दैनिक जीवन की सामान्य गतिविधियों के लिए आवश्यक निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
Written by Himanshi Prakash, National Khabar
एम्स गोरखपुर का हालिया अध्ययन डिमेंशिया (मनोभ्रंश) के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह बुजुर्गों में याददाश्त कमजोर होने, विचार प्रक्रिया, भाषण और निर्णय लेने की क्षमता में आने वाली बाधाओं से निपटने में मददगार साबित हो सकता है।
60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर किए गए इस अध्ययन में 70% बुजुर्ग डिमेंशिया से ग्रसित पाए गए।
स्टडी में क्या सामने आया?
सभी बुजुर्गों की बांह पतली थी और उनकी कमर पर चर्बी पाई गई। उनकी सोचने और फैसले लेने की क्षमता भी कमजोर हो चुकी थी। डिमेंशिया मुक्त भारत के राष्ट्रीय अभियान के तहत एम्स गोरखपुर ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से यह अध्ययन किया।
इस अध्ययन के तहत 7 विकासखंडों में शोध किया गया। कुल 1013 बुजुर्गों को शामिल किया गया, जिनमें से 709 में डिमेंशिया के लक्षण पाए गए। इनमें 416 पुरुषों की याददाश्त कमजोर थी, जबकि 293 महिलाएं इस बीमारी से ग्रसित पाई गईं।
पतली बांह और कमर पर चर्बी — डिमेंशिया की चेतावनी
एम्स गोरखपुर की स्टडी में सामने आया कि डिमेंशिया अब कम उम्र से ही असर दिखाने लगा है। बुजुर्गों में कुपोषण और मोटापा याददाश्त, ध्यान और सोचने की क्षमता को नुकसान पहुंचाते हैं। जिन बुजुर्गों की बांह का बीच का हिस्सा (मिड अपर आर्म सरकंफेरेंस) पतला था, उनमें याददाश्त और भाषा कमजोर पाई गई।जिन लोगों के पेट और कमर के आसपास अधिक वसा जमा थी, उनमें संज्ञानात्मक कार्यों – जैसे विचार प्रक्रिया, एकाग्रता, भाषाई क्षमता और स्मृति – पर प्रतिकूल प्रभाव देखे गए।
कमर के चारों ओर बढ़ी चर्बी (केंद्रीय मोटापा) न केवल डिमेंशिया का संकेत हो सकती है, बल्कि भविष्य में मानसिक और शारीरिक बीमारियों का खतरा भी बढ़ाती है। इसी दिशा में एम्स और आईसीएमआर अब दूसरे चरण की स्टडी शुरू कर रहे हैं।
दूसरे चरण में क्या होगा?
इस बार 40 से 60 वर्ष के लोगों को शामिल किया जाएगा। शहर के 30 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को तीन समूहों में बांटा जाएगा:
- पहले समूह में लोगों को हफ्ते में 4 दिन योग, व्यायाम, संगीत, पोषण और डाइट प्लान बताया जाएगा।
- दूसरे समूह को केवल जानकारी दी जाएगी, कोई व्यायाम नहीं कराया जाएगा।
- तीसरे समूह के लोग अपनी मर्जी से गतिविधियां करेंगे, उन्हें कोई दिशा-निर्देश नहीं मिलेगा।
डॉ. यू. वेंकटेश (अध्ययनकर्ता, असिस्टेंट प्रोफेसर, एम्स गोरखपुर) के अनुसार, “बुजुर्गों में पोषण और व्यायाम बेहद अहम हैं। समय रहते कुपोषण और पेट की चर्बी पर ध्यान दिया जाए तो बुढ़ापे में दिमागी कमजोरी को काफी हद तक रोका जा सकता है। यह शोध इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।”
डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण
- हाल की घटनाएं और सामान रखकर भूल जाना
- परिचित लोगों के नाम याद न रहना
- सोचने और ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल
- जटिल कार्य करने में परेशानी
- योजना बनाने या निर्णय लेने में कठिनाई
- शब्द ढूंढने या दूसरों की बात समझने में दिक्कत
अगर ये लक्षण दिखें तो सतर्क होना ज़रूरी है।